Thursday, October 11, 2012

आज की कविता : सपनों का गाँव

                                                                               -- मिलन सिन्हा
सपनों  का गाँव
यह गाँव है , सपनों का गाँव है 
हरियाली है, खुशहाली है 
होली है, क्रिसमस है, ईद है, दिवाली है 
पतंग है, उमंग है 
मोहक यहाँ का सब रंग ढंग है 
अपनी धरती, अपना आकाश है 
दूर नहीं, सब आस-पास है
 नदी है, नाव है, धूप  है, छांव है 
फूलों का सुगंध है, धूल-सना पाँव है 
यह गाँव है , सपनों का गाँव है।


अमराई  है, तराई है 

हर चीज अपनी, नहीं कुछ पराई है 
कोयल की कूक है, प्यार की हूक है 
बात मीठी -मीठी, पर दो टूक है 
सम्बन्ध है मधुर, प्रेम है भरपूर 
बुराई है यहाँ से बहुत ही दूर 
गहरा लगाव है, अच्छा स्वभाव है 
पनघट है, नीम की छांव है 
यह गाँव है , सपनों का गाँव है। 


                       और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं। 


6 comments:

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    1. धन्यवाद। असीम शुभकामनाएं।

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  2. sir
    India is the country of village nice poem



    regards
    Pushkar kr sinha
    Bgp

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    1. धन्यवाद। असीम शुभकामनाएं।

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  3. Achhi lagee kavita.Gaon ka varnan aapne achha kia hai is kavita main.SG

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    1. आपके मंतव्य के लिए धन्यवाद। असीम शुभकामनाएं।

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