Saturday, October 20, 2012

दो छोटी कविताएं : देखनेवाले, अक्लवाले

                                                                        - मिलन सिन्हा 
 देखनेवाले
आज 
जो लोग 
उजाले में हैं 
वे 
अंधेरे में पड़े 
लोगों को 
नहीं देख पा रहे हैं .
पर,
अंधेरे में पड़े लोग 
उन्हें  बराबर 
अच्छी तरह
देख रहे हैं !

अक्लवाले 
आज 
लोग 
अक्ल की 
बात 
कल पर 
छोड़  रहे हैं 
लेकिन,
अर्थ की 
बातों को 
अपने स्वार्थ  से 
तुरत 
जोड़  रहे हैं !
                और भी बातें करेंगे, चलते - चलते असीम शुभकमनाएं। 

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