Friday, October 19, 2012

हास्य व्यंग्य कविता: गांधीवादी परम्परा

                                                                                     * मिलन सिन्हा 
















हमारे  नेता जी काफी चर्चित थे .
जनता से
 जो काम करने को कहते थे 
उसे पहले 
खुद करते थे .
इस  मामले वे अपने को 
पक्के सिद्धान्तवादी-गांधीवादी कहते थे .
एक बार उन्होंने कहा,
हम गरीबी हटाकर रहेंगे 
अब गरीबी रहेगी या 
 हम रहेंगे .
 सिद्धान्त के मुताबिक  उन्होंने पहले 
अपनी गरीबी हटाने का प्रयास किया 
और जल्दी ही 
कई गाड़ियां खरीद लीं, 
चार-पांच मकान  बनवा लिया 
और भी न जाने 
क्या-क्या जोड़ लिया .
इस तरह उन्होंने
एक नयी परम्परा को जन्म दिया 
जिसका अनुसरण करते हुए 
अधिकांश नेता गांधीवादी (?) बन गए 
और पहले 
अपनी-अपनी गरीबी हटाने में जुट गए !
                                       
# प्रवक्ता . कॉम  में प्रकाशित 

                 और भी बातें करेंगे, चलते - चलते असीम शुभकमनाएं

3 comments:

  1. Aapne sahee likha hai.Aajkal ke netajilog suroo se ant tak apnee gareebee hatane ka prayaas karte rahte hain.SG

    ReplyDelete
  2. आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। आपको मेरी असीम शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. R0shni gar khuda ko ho manjur
    TO andhio me bhi chirag jalte hai.

    ReplyDelete