Friday, February 26, 2016

प्रतियोगिता-प्रतिस्पर्धा-परीक्षा के मौजूदा दौर में तनाव से बचने (स्ट्रेस मैनेजमेंट) के अहम सूत्र

-  मिलन  सिन्हा, मोटिवेशनल  स्पीकर ..

Image result for free photo-image of students under stressप्रतियोगिता-परीक्षा -प्रतिस्पर्धा के मौजूदा दौर में देश के करोड़ों छात्र–छात्राएं - स्कूल, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी कमोबेश सभी के, मानसिक दवाब एवं तनाव से जूझते नजर आते हैं. मुख्य परीक्षाओं-प्रतियोगिताओं के समय तो अधिकांश किशोर व युवा इससे परेशान दिखते हैं. उन पर आंतरिक दवाब के साथ -साथ बाहरी दवाब भी तो कम नहीं रहता है. ऐसे आजकल के किशोर एवं युवा जानते हैं कि कोई भी इम्तहान उनके धैर्य, दिमागी संतुलन, ज्ञान व समय प्रबंधन का टेस्ट मात्र ही होता है, तथापि आम विद्यार्थियों के लिए परीक्षा-प्रतियोगिता अपने साथ अतिरिक्त दवाब-तनाव का सौगात लेकर आता है. क्यों न हो ? ऐसे नाजुक समय पर कितना पढ़ा, कितना अभी तक बाकी है, किससे बात करें, किससे पूछें–सलाह लें, अन्य साथी कैसी तैयारी कर रहे हैं जैसे सवाल परेशान जो करते रहते हैं. सच कहें तो आज के सामाजिक -शैक्षणिक माहौल में ऐसा होना गैर-स्वभाविक नहीं है. 

तो  इस मौके पर स्ट्रेस मैनेजमेंट -तनाव प्रबंधन कैसे करें ? आइये, गौर करते हैं इन ग्यारह सूत्रों पर:

“परीक्षा” या “पर-इच्छा”

कुछ लोग इसे ‘परीक्षा’  को पर इच्छाभी कहते हैं. अगर यह सही है तो  परीक्षा में सब कुछ अपनी इच्छा के अनुरूप हो, यह जरूरी  नहीं. इसलिए, परीक्षा के पहले यह अपेक्षित है कि हम कूल -कूल और नार्मल रहने का प्रयास करें. अब तक जो नहीं पढ़ पाए हैं, उसकी चिंता इस वक्त कतई न करें. बेहतर तो यह है कि हमने जो पढ़ा है उसी पर फोकस करें. इस अवसर पर स्मार्ट समय प्रबंधन आपके  परफॉरमेंस को बेहतर बनाता है और आपके लिए  एक बेहतर जीवन  का मार्ग  प्रशस्त करता है. 

आशावादी बने रहें

शाश्वत सत्य है कि अगर कहीं कोई समस्या है तो उसका कोई - न- कोई समाधान भी है. जरुरत है तो समाधान तलाशने का भरपूर प्रयास करने की. अतः आपको कभी भी आशा का परित्याग नहीं करना चाहिए. बस प्राथमिकता तय कर लें, स्मार्ट कार्य योजना बनाएं और उस पर पूरी निष्ठा से अमल करें. अच्छा करेंगे तो अच्छा ही होगा.

खुद को ही करें बुलंद  

पहली चीज जो हमें निष्ठांपूर्वक करनी चाहिए वह है खुद को जानना. हमें आत्म-विश्लेषक होना  चाहिए और सकारात्मक सोच के माध्यम से, व्यक्तिगत सुधार  हेतु सतत तत्पर रहना चाहिए. हमें दूसरों से सीखना तो चाहिए, लेकिन आँख मूंद  कर दूसरों  की नक़ल नहीं करनी चाहिए. आपके दोस्त-सहपाठी क्या कर रहें हैं, क्या –क्या पढ़ रहें हैं, ऐसा सोच –सोच कर अपना बहुमूल्य समय बर्वाद करने का कोई फायदा नहीं. फ़ोन करके यह सब जानने की कोशिश करना उचित नहीं है. ऐसे वक्त  अपना  मोबाइल बंद कर लें तो उत्तमनहीं तो कम से कम साइलेंट मोड पर जरूर कर लें. फेस बुक आदि से इस समय दूर ही रहें तो अच्छा. बस खुद पर और परीक्षा की अपनी तैयारी  पर ध्यान केन्द्रित करें.

चिंता नहीं, चिंतन करें

चिंता हमें कमजोर करती है, जब कि चिंतन हमें मजबूत बनाती है. शारीरिक–मानसिक परेशानी को अपने माता-पिता एवं अभिभावक से शेयर (साझा ) करें और उनके सुझावों को गंभीरता से लें. एक छोटी-सी बात और. परीक्षा के दौरान  टेक-इट-इजी”  सिद्धांत को फॉलो करें. इस नाजुक समय में फल की चिंता छोड़ कर केवल अपने कर्म पर ध्यान केन्द्रित करें. 

जल का फल

तनाव महसूस हो तो थोड़ा पानी पी लें. रोजाना बढ़िया से स्नान करें. पानी तनाव की  तीव्रता को कम कर देगा. ऐसे भी आपका शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, आप उतना ही स्वस्थ रहेंगे.

केला, दूध, नींबू चाय, चाकलेट आदि लाभकारी 

केला, दूध, नींबू चाय, चाकलेट, ड्राई फ्रूट्स, वेजिटेबल सूप आदि  मानसिक तनाव को तुरत कम करने में अहम रोल अदा करते हैं. कुछ पल के लिए खुले में निकल आएं और स्वाद लेकर इन चीजों को धीरे  –घीरे खाएं, अच्छा महसूस करेंगे.

संगीत की अहम् भूमिका

संगीत का साथ   केवल हमारे व्यक्तित्व में निखार लाता है, बल्कि हमें शारीरिक और मानसिक रूप में स्वस्थ रखने में कारगर भूमिका अदा करता है. मानसिक तनाव से परेशान रहने वाले लोगों के लिए तो संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है. ज्ञानीजन कहते हैं कि जिनके जीवन में लय,ताल  सुर का बेहतर समन्वय होता है, वे सरलता से अपने कार्यों को संपन्न करने में ज्यादा सक्षम होते हैं.

खेलकूद  और  एक्सरसाइज का सकारात्मक असर  

खेलकूद  और  एक्सरसाइज  ऐसे तो सामान्य शारीरिक क्रियाएं हैं, लेकिन इनका असर बहुत व्यापक और सकारात्मक होता है. सुबह जल्दी उठकर पानी पीने एवं  शौच से निवृत होने के बाद  5-10 मिनट फ्री हैण्ड एक्सरसाइज कर लें, वार्म-अप हो लें. या फिर 10 -15 मिनट दौड़ लें, साइकिलिंग कर  लें  या  स्किपिंग कर लें  या  पांच राउंड सूर्य नमस्कार आसन कर लें. इससे आपका मानसिक तनाव बहुत कम हो जाएगा और आप बेहतर फील करेंगे.

अच्छी  नींद है  जरुरी

रात में अच्छी नींद का पॉजिटिव असर दिनभर महसूस होता है. आप  दिन भर सक्रिय रहते हैं. अतः रात में जल्दी सोयें और सुबह जल्दी उठें. रात में 7-8 घंटा जरुर सोयें. सच तो यह है कि नींद हमारी जरुरत नहींआवश्यकता है. मौका मिले तो दोपहर में भी थोड़ी देर (घंटा भर) सो लें, अच्छा लगेगा. सच पूछिये तो नींद प्राणी मात्र की जिन्दगी में सुख का बेहतरीन समय होता है और तनाव मुक्ति  की अचूक दवा.

योग और ध्यान  का  महत्व

जानकार-समझदार लोग भी श्वास की महत्ता को बखूबी समझते हैं और मानसिक तनाव को कम करने में इसकी प्रभावी भूमिका की  तार्किक व्याख्या भी करते हैं. अतः सुबह व्यायाम/आसन  के बाद प्राकृतिक परिवेश में कम-से-कम 15 मिनट अनुलोम –विलोम, कपालभाति और भ्रामरी  प्राणायाम करें. उसके पश्चात्  5-10 मिनट ध्यान में बैठें. कहना न होगा, योग और ध्यान के जरिए हम निराशा एवं अवसाद (डिप्रेशन) से भी निजात पा सकते हैं .

हंसी सर्वोत्तम औषधि 

इस  पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है कि हंसी सर्वोत्तम औषधि  है. गांधीजी ने हंसी की अमूल्यता की प्रशंसा की है. विशषज्ञों का यह स्पष्ट मत है  कि हंसी का समय तनावमुक्त होता है. पूर्व की अपनी उपलब्धियों एवं खुशनुमा क्षणों को याद कर हंस लिया करें. खाने के टेबल पर  परिवार के सदस्यों के साथ जोक्स आदि शेयर करने  से भी आप तनावमुक्त रहते हैं. 
                                                                                      (hellomilansinha@gmail.com)

              और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

Monday, February 15, 2016

लघु कथा : योग्यता

                                                                                 - मिलन  सिन्हा  
चारों  मित्र कुशाग्र बुद्धि वाले एवं मेहनती थे. इत्तफाक से चारों ने एक साथ एक ही संस्था में अधिकारी के रूप में योगदान किया.

कुछ ही वर्षों में चारों अधिकारियों की पहचान कुशल एवं अच्छे अधिकारियों के रूप में होने लगी. परन्तु समय के साथ राजन विभागीय प्रमोशन पाता गया. बाकी तीनों पीछे छूट गए.

लोगों के बीच में यह एक पहेली थी. आखिर राजन में क्या है, जो अन्य तीनों में नहीं.


ऐसे ही समय अधिकारी संघ के अध्यक्ष का आगमन हुआ. कई विषयों पर लोगों ने उनसे चर्चा की. एक अधिकारी ने राजन की त्वरित प्रोन्नति के बाबत भी पूछा. अघ्यक्ष ने जवाब दिया, ‘राजन साहब में जो योग्यता है वो आप लोगों में नहीं. जानते हैं, पिछले प्रमोशन से पूर्व साक्षात्कार के दौरान जब उनसे पूछा गया कि अगर उनसे कहा जाये कि पचास कर्मचारियों के खिलाफ बिना जांच के निलम्बन का आदेश देना हो तो वे क्या करेंगे ? जवाब में राजन साहब ने बिना संकोच के ऐसा करने की बात कही. बताइये, आप में से किसी और में ऐसी योग्यता है ?’

               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

# लोकप्रिय  अखबार , 'हिन्दुस्तान' में 22 मई , 1997 को प्रकाशित