Monday, July 27, 2020

सहयोग से सब संभव

                - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ...

आप सबने 1957 में आई चर्चित हिन्दी फिल्म "नया दौर" का यह लोकप्रिय गाना तो सुना ही होगा जिसके बोल हैं - "साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना, साथी हाथ बढ़ाना...." यहां हाथ बढ़ाने का अर्थ सहयोग करने से है.  वैश्विक महामारी के इस कठिनतम दौर में आपसी सहयोग का अतिशय महत्व है. इसके बिना  इस समय देश के करोड़ों लोगों को भूख और बीमारी से बचाकर रखना बहुत मुश्किल है. इसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं. सोशल डीस्टेंसिंग के साथ-साथ इमोशनल क्लोजनेस बनाए रखने में भी आपसी सहयोग की अहम भूमिका है, जिसका आग्रह देश के प्रधानमंत्री बारबार कर रहे हैं. जाहिर है, इस समय उन छात्र-छात्राओं का रोल कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो जाता है, जो अपेक्षाकृत समृद्ध और सुरक्षित हैं. 


सच तो यह है कि उदारीकरण तथा वैश्वीकरण के इस युग  में व्यक्ति, परिवार, समाज या देश सबको  - चाहे वह कितना भी उन्नत और सम्पन्न क्यों न हो,  किसी-न-किसी बात के लिए एक दूसरे के सहयोग की जरुरत होती ही है. सूचनाओं का आदान-प्रदान हो, आयात-निर्यात की बात हो, सुख-दुःख में भावनात्मक रूप से एक दूसरे  के साथ खड़े रहने का सवाल हो या अन्य कोई समस्या, सहयोग अपना कमाल दिखाता है. पूरे विश्व को अपना कुटुंब माननेवाली भारतीय संस्कृति तो आपसी सहयोग से समाधान तक पहुंचने की विशाल गाथा है. दरअसल आपसी सहयोग सबके विकास और कल्याण के लिए एक अनिवार्य शर्त है. 
 
सहयोग की भावना हर व्यक्ति में होती है, कम या ज्यादा. छात्र जीवन तो सहयोग का पाठ पढ़ने और उसे जीवन में अमल में लाने का बड़ा समय होता है. क्लास रूम से लेकर खेल के मैदान तक आपसी सहयोग की भावना से समस्या से आगे सफलता तक पहुंचना जारी रहता है. स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले अनेक विद्यार्थी आर्थिक रूप  से कमजोर वर्ग से आते हैं. इनको सरकार के अलावे परिजनों, सामाजिक संगठनों, मित्रों एवं सहपाठियों से सहयोग न मिले तो इनके लिए अध्ययन जारी रखना कितना मुश्किल होगा, यह हम सब जानते हैं. ऐसे भी हर विद्यार्थी के जीवन में ऐसा वक्त आता है जब उसे छोटे-बड़े आर्थिक सहयोग लेने या प्रदान करने की जरुरत होती है. विचारणीय सवाल है कि अगर हमें किसी साथी-सहपाठी-पड़ोसी का सहयोग करने का कोई अवसर मिलता है और हम वह करने में सक्षम हैं तो क्या हमें बिना ज्यादा सोच-विचार किए उस अवसर का उपयोग नहीं करना चाहिए? अगर हम आज किसी के साथ सहयोग करते हैं तभी तो हम आगे कभी किसी से सहयोग की अपेक्षा कर सकते हैं. 


हां, सहयोग का दायरा केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं होता. इसका दायरा बहुत व्यापक है. इसके अनेक अन्य आयाम हैं.  विद्यार्थी जीवन में चुनौती और समस्या आती रहती है. पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो प्रत्येक क्लास में  किसी विद्यार्थी को कोई विषय या चैप्टर बड़ा कठिन लगता है तो कोई दूसरा विषय बड़ा आसान. किसी दूसरे विद्यार्थी के मामले में इसका उल्टा  हो सकता है. मसलन, अगर पहले विद्यार्थी को अर्थशास्त्र कठिन लगता है और भूगोल आसान तो दूसरे विद्यार्थी को अर्थशास्त्र आसान और भूगोल कठिन लग सकता है.  ऐसी स्थिति में  दोनों विद्यार्थी एक दूसरे को कठिन लगने वाले विषय को समझने में सहयोग करे तो दोनों विद्यार्थी को कम या ज्यादा लाभ होता है. अव्वल तो दोनों को कठिन लगनेवाले विषय अब  थोड़ा आसान लगते हैं, समझानेवाले दोनों विद्यार्थियों का अच्छा रिवीजन हो जाता है,  ट्यूशन या कोचिंग की जरुरत नहीं होती, पैसे और समय की बचत होती है  और दोनों के बीच आपसी रिश्ता भी मजबूत होता है. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे कई विद्यार्थी जो कंबाइंड स्टडी करते हैं, वे इस तरीके से कम समय में सभी विषयों पर अच्छी पकड़ बनाने में कामयाब होते हैं. जरा सोचिए, सहयोग की भावना से प्रेरित होकर आईआईटी की प्रतियोगिता परीक्षा में अगर तीन विद्यार्थी तीन विषयों फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स का अध्ययन साथ मिलकर करें, तो अपेक्षाकृत कम संसाधन और समय के बावजूद उन सबके लिए  विषयों की बेहतर समझ तो आसान हो ही जाएगी. 


ऐसे अनगिनत उदाहरण दिए जा सकते हैं जिसमें सहयोग के प्रति छात्र-छात्राओं का स्वाभाविक भाव परिलक्षित होता है. यह सदा लाभकारी साबित होता है. सच कहें तो  विद्यार्थियों में सहयोग भाव की मजबूत बुनियाद भविष्य में जीवन के हर मोड़ पर उन्हें चुनौतियों  से सफलतापूर्वक निबटने  में बहुत सहायता करता है. इससे देश-समाज को बेहतर बनाने में भी बड़ी मदद मिलती है. 

 (hellomilansinha@gmail.com)  

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 26.04.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com    

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