Tuesday, December 24, 2013

आज की कविता : पहचान कहाँ खो गए

                                                                                    -मिलन सिन्हा 
old man














जिन्हें 
ढूंढ़ रही थी आँखें 
वो कहाँ चले गए 
जिन्हें 
देख रही थी आँखें 
वो पहचान कहाँ खो गए 
जिन रास्तों पर 
चलने की सीख 
गुरुजनों के दी थी 
वे रास्ते क्यों अब 
सुनसान पड़ गए 
जिन पर चलने से 
किया था मना 
वे रास्ते क्यों अब 
भीड़ से पट गए 
परवरिश में तो 
नहीं थी कोई कमी 
फिर बच्चे 
माँ - बाप को छोड़ कर 
क्यों चले गए 
न जाने 
किस काम में लग गए 
किस भीड़ में खो गए 
कैसे रिश्तों की परिभाषा 
ऐसे बदलते गए 
कैसे हम 
इतने अकेले हो गए 
भविष्य के सपने 
क्यों ऐसे चकनाचूर हो गए ?

                 और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
 प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :31.12.2013

Tuesday, December 10, 2013

आज की कविता : बड़े घरों में पड़ा ताला

                                              - मिलन सिन्हा 


खस्ता हाल
साल दर साल
क्या करे मजदूर -किसान
हैं सब बहुत परेशान
या तो बाढ़
या फिर सूखा
आधी उम्र
गरीब रहता है भूखा
हर गाँव में महाजन
देते ऊँचे ब्याज पर रकम
पर कैसे चुकाए उधार
कहाँ मिले रोजगार
बेचना पड़े घर - द्वार
शहर भी कहाँ खुशहाल 
गरीब यहाँ भी बदहाल 
सड़क के साथ चलता 
उफनता बदबूदार नाला 
फूटपाथ पर रहते लोग 
बड़े घरों में पड़ा ताला 
स्वछन्द विचरते 
गाय, सूअर , कुत्ते 
जहाँ -तहाँ, इधर -उधर 
हर वक्त, बेरोकटोक 
न जाने और कितने साल 
रहने को अभिशप्त हैं ये लोग !

                    और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
 प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित

Wednesday, December 4, 2013

आज की कविता : देखा मैंने राजधानी में

                                                  - मिलन सिन्हा 
देखा मैंने राजधानी में 
आलीशान इमारतों का काफिला
और बगल में
झुग्गी झोपड़ियों की बस्ती
जैसे अमीरी -गरीबी
रहते साथ- साथ
दो अलग -अलग दुनिया में
सुविधाएँ अनेक इमारतों में
असुविधाएँ अनेक झोपड़ियों में
एक तरफ रातें रंगीन हैं
तो दूसरी ओर
सिर्फ कल्पनाएँ रंगीन हैं ,यथार्थ काला
ऊपर मदिरा में डूब कर भी
प्यासे हैं लोग
झोपड़ियों में पानी के लिए भी
तरस रहें हैं लोग
कितने ही ऐसे विरोधाभास
फिर भी, बस ऐसे ही
सालों -साल जिये जा रहें हैं लोग !

               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
 प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित