Tuesday, September 28, 2021

स्मरण शक्ति उन्नत करना है आसान

                           - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट  कंसलटेंट

आमतौर पर यह पाया जाता है कि ज्यादातर विद्यार्थी अपेक्षित मेहनत करने के बाद भी अपेक्षित रिजल्ट के हकदार नहीं बन पाते. व्यक्तिगत काउंसलिंग में अनेक विद्यार्थी मुझसे  पूछते हैं कि ऐसा क्यों होता है. इस समस्या की गहराई में जाकर विद्यार्थियों से बातचीत करने और फिर उसका विश्लेषण करने पर एक कॉमन बात जो सामने आती है, वह है यादाश्त की समस्या. छात्र-छात्राएं बेशक पढ़ते हैं, पर दो-चार दिन के बाद वह पूर्णतः याद नहीं रहता, कई बार तो बिल्कुल ही याद नहीं रहता. मीडिया में मेमोरी पॉवर को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपायों और प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हम सब अक्सर देखते रहते हैं. सच मानिए, अपनी स्मरण शक्ति को उन्नत करना हर विद्यार्थी के अपने हाथ में है. प्रस्तुत है कुछ आसान उपाय.    

     
पढ़ाई के समय बस पढ़ना: दिनभर में जब-जब पढ़ने बैठें, बस पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित करें. उस समय कोई दूसरा काम न करें. मोबाइल को ऑफ कर दें. जिस विषय के जिस चैप्टर को पढ़ना है, उसके विषय में पहले दो-चार मिनट चिंतन करें और अपने मन को उस टास्क के लिए तैयार करें. कई बार कोई चीज हमें पहली बार पूरी समझ में नहीं आती है. तो यह सोच कर कि यह विषय कठिन है, उसे छोड़ने की गलती न करें. इसके बजाय इस संकल्प के साथ उसे पूरे मनोयोग से दोबारा पढ़ें. आप पायेंगे कि इस बार आपको ज्यादा समझ में आया है. अब उसी संकल्प और मनोयोग से आप जब उसे फिर पढ़ेंगे तो 100 से 90 फीसदी बात पूरी तरह समझ में आ जाएगी. अगर 10 प्रतिशत बात जो किसी कारणवश समझ में नहीं आई तो उसे चिंतन का हिस्सा बनाने के साथ-साथ एक कॉपी में नोट कर लें, जिससे कि बाद में टीचर से आप उसका समाधान पा सकें. जब पूरी बात एक बार अच्छी तरह समझ में आ जाए तो अगले कदम के रूप में उसे लिखने का प्रयास करें. आप पायेंगे कि अच्छी तरह समझने के बावजूद आप उस चैप्टर को सौ फीसदी उसी रूप में नहीं लिख पा रहे हैं, कहीं अटक रहें हैं तो कभी भटक रहे हैं. यह अस्वाभाविक नहीं है. अतः परेशान होने की जरुरत नहीं है. यहां जरुरत है उसे फिर से पढ़ने, समझने और लिखने का अभ्यास करने की. दिलचस्प बात है कि किसी एक विषय को ठीक से याद कर लेने से यह गारंटी नहीं मिल जाती कि हमेशा आपको वह वैसे ही याद रहे. लिहाजा समय-समय पर इसे टेस्ट करके देखना बेहतर होता है. ऐसे भी कहा जाता है कि दिमाग को आप जिस विषय में जितना सक्रिय रखेंगे, वह चीज उतना ज्यादा याद रहेगी. कहने का तात्पर्य यह कि नियमित अभ्यास से बातें हमारे स्मृति में अच्छी तरह बैठ जाती हैं. 


सुबह जल्दी उठें और रात में अच्छी तरह सोएं: सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत पॉजिटिव सोच से करें. शरीर को हाइड्रेटेड करें यानी आराम से बैठकर कम-से-कम आधा लीटर पानी पीएं और फिर नित्य क्रिया से निवृत होकर सुबह एक-दो घंटा पढ़ने की आदत डालें. एकाधिक मेडिकल रिसर्च बताते हैं कि सुबह पढ़ी हुई चीजें हमें ज्यादा अच्छी तरह याद रहती हैं. इसके कई कारण हैं, जैसे दिमाग फ्रेश रहता है, शरीर ऊर्जावान, वातावरण अपेक्षाकृत साफ़ और ऑक्सीजनयुक्त आदि. सच तो यह भी है कि सुबह की बेहतर शुरुआत से मन प्रसन्न हो जाता है और आत्मविश्वास व यादाश्त में वृद्धि. इसका पॉजिटिव असर हमारे दिनभर के सभी एक्टिविटी पर पड़ता है. देर रात तक जगकर पढ़ने की आदत मेमोरी को कमजोर करती हैं और शरीर को दुर्बल. अतः रात में जल्दी सोना चाहिए. रात में सात-आठ घंटे की अच्छी नींद मेमोरी पॉवर को उन्नत करने में अहम भूमिका निभाती है. अंग्रेजी के एक प्रसिद्द कहावत का भावार्थ है कि रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने वाले लोग स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान होते हैं.

    
हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करें: हमारे दिमाग की क्षमता असीमित है, लेकिन  सामान्यतः  हम उसका बहुत कम उपयोग करते हैं. हम एक कम्फर्ट जोन में रहना पसंद करते हैं. अतः अनेक नई चीजें नहीं सीख पाते हैं. पाया गया है कि हम अपने दिमाग को जितना नई चीजों को सीखने में लगायेंगे, दिमाग की सक्रियता उतनी बढ़ेगी और स्मरण शक्ति भी. यह शतरंज जैसा कोई नया खेल हो सकता है या सिलेबस में शामिल कोई नया विषय या शब्द पहेली का नया टास्क या अन्य कोई सकारात्मक विधा. करके देखिए, बहुत लाभ होगा.  

 (hellomilansinha@gmail.com)


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.            पाक्षिक पत्रिका "यथावत" के 16-30 सितम्बर, 2021 अंक में प्रकाशित  

#For Motivational Articles in English, pl.visit my site : www.milanksinha.com

Friday, September 17, 2021

जीवन में एक हॉबी जरुरी है

                              - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट  कंसलटेंट

मेरे मोटिवेशनल एवं वेलनेस सेशन में छात्र-छात्राएं अमूमन यह सवाल जरुर पूछते हैं कि अपने खाली समय का सदुपयोग कैसे करें जिससे कि जीवन में खुशी मिलती रहे और तनाव को मैनेज करना आसान हो. वाकई यह सवाल अमूमन हर विद्यार्थी से किसी-न-किसी रूप में जुड़ा है. इस प्रश्न का जवाब यह है कि हर विद्यार्थी का एक-न-एक हॉबी होना जरुरी है, जिसमें उसकी रूचि हो और अध्ययन के बाद बचे हुए समय में उसमें समय बिताने में वह आनंद महसूस करे. यहां यह स्पष्ट करना जरुरी है कि हॉबी का मतलब कोई पॉजिटिव एक्टिविटी जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए हितकारी हो.


इसमें कोई दो मत नहीं है कि विद्यार्थियों के लिए पूरे समय घर के अंदर रहकर केवल पढ़ाई करना कठिन होता है, खासकर इस महामारी के दौर में, जब बाहर जाने में पाबंदी है और गए तो बहुत सावधानी बरतने की बाध्यता होती है. काबिले गौर बात है कि इनमें से अधिकतर विद्यार्थियों के पास अपने खाली समय में करने को ज्यादा कुछ नहीं होता सिवाय अपने स्मार्ट फोन या कंप्यूटर-लैपटॉप पर व्यस्त होने और वह भी ज्यादातर समय नकारात्मक बातों या अप्रासंगिक साइट्स पर घूमते रहने के. इसके विपरीत वे विद्यार्थी जो अपेक्षाकृत स्मार्ट, बुद्धिमान और कुछ हद तक भाग्यवान  भी होते हैं  उनका  एक या ज्यादा हॉबी होता है. वैसे विद्यार्थी एकाधिक तरीके से बहुत फायदे में रहते हैं. ऐसा पाया गया है कि वे ज्यादा स्वस्थ, खुश और सफल भी रहते हैं. खुशी की बात है कि हॉबी की सूची बहुत बड़ी है और इन्हें इंडोर या आउटडोर एक्टिविटी के रूप में एन्जॉय किया जा सकता है. खासकर महामारी जैसे कठिन समय में कोई ऐसा हॉबी जिसे घर में रहकर ही एन्जॉय किया जा सकता है, वाकई  किसी वरदान से कम नहीं है. कहने की जरुरत नहीं कि  संगीत, नृत्य, पेंटिंग, अच्छी किताबें पढ़ना, कार्टून बनाना, सिलाई, कढ़ाई, ब्लॉग लिखना, शतरंज, कैरम बोर्ड जैसे कई अन्य हॉबी को अपना कर इसे अमल में लाया जा सकता है. बाहर जाकर अपने शौक को पूरा करने में हर तरह के मैदानी खेल जैसे हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट से लेकर लॉन टेनिस, कबड्डी, वॉलीबॉल तक कोई खेल या कोई  सामाजिक-सांस्कृतिक एक्टिविटी जैसे अनेकानेक हॉबी में छात्र-छात्राएं खुद को सकारात्मक रूप से व्यस्त रख सकते हैं.  


दिलचस्प तथ्य यह है कि विश्वभर में जितने भी विभूतियों  ने आम लोगों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया है और कर रहे हैं, उन लोगों ने अपने मूल कार्यकलाप के अलावे अपने खाली  समय में एक या ज्यादा हॉबी में भी खुद को व्यस्त रखा है. प्रसिद्द वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम को वीणा बजाने का शौक था. महात्मा गांधी को चरखे पर सूत कातना और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े जन कल्याण का शौक था. महान भौतिकशास्त्री और नोबेल  पुरस्कार विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन को वायलिन बजाने और नौकायन की हॉबी थी. कभी-कभार जब वे किसी वैज्ञानिक गुत्थी को सुलझाने के क्रम में उलझ जाते थे, तो माइंड को रिफ्रेश करने के लिए वायलिन बजाते थे. उसी तरह दो बार नोबेल पुरस्कार हासिल करनेवाली महिला  वैज्ञानिक मैरी क्यूरी को लम्बी दूरी तक साइकिल चलाने का शौक था. मजेदार बात है कि अपने हनीमून के दिन क्यूरी दम्पति ने उत्तरी फ्रांस में बहुत देर तक साइकिल चलाकर आनंद उठाया. धोनी, कपिल देव और इआन बोथम जैसे कई क्रिकेटर हॉबी के रूप में नियमित रूप से फुटबॉल खेलते रहे हैं.


दरअसल, अपने हॉबी के माध्यम से छात्र-छात्राएं अपने पसंदीदा एक्टिविटी में क्वालिटी टाइम  बिता सकते हैं और अपने स्ट्रेस को भी अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं. इससे न केवन वे मानसिक   रूप से मजबूत और उन्नत होते हैं, बल्कि दिमाग से नकारात्मक विचारों को कम करने में सक्षम होते  है. बोनस के रूप में उनकी पॉजिटिव सक्रियता बढ़ती है और वे इनोवेटिव, क्रिएटिव और हैप्पी फील करते हैं. प्रसिद्द ब्रिटिश रचनाकार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ तो कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने हॉबी के साथ जीता है वह वाकई खुश रहता है. तो विद्यार्थियों के लिए संदेश एकदम स्पष्ट है कि अपने दिमाग को खाली मत  छोड़ें क्यों कि कहा जाता है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है; अपने अध्ययन के अलावे किसी हॉबी में रोजाना कुछ समय व्यतीत करें, जिससे कि आप खुद को रिफ्रेश कर सकें और अपने मुख्य एक्टिविटी यानी अध्ययन आदि को ज्यादा उत्साह और उमंग से जारी रख सकें. निसंदेह इससे जीवन में सफलता व खुशी में इजाफा होना निश्चित है.  

  (hellomilansinha@gmail.com)                

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय पाक्षिक "यथावत" के 01-15 सितम्बर, 2021 अंक में प्रकाशित

#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

Friday, September 10, 2021

स्ट्रेस मैनेजमेंट: कहीं आप बेवजह तो तनावग्रस्त नहीं

                                               - मिलन  सिन्हा,  स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट 

हाल ही में एक व्यक्ति ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि जब भी वे मार्केट जाते हैं या किसी ऑफिस आदि में और वहां लोगों को गलत काम या व्यवहार करते देखते हैं, तो गुस्सा आता है. उन्हें कुछ कहना चाहते हैं, पर कह नहीं पाते. खुद अंदर-ही-अंदर उबलते हैं और कई दिन यही सोचकर तनाव में रहते हैं. इससे बचने के लिए क्या करें? 

दरअसल, यह उस व्यक्ति की समस्या मात्र नहीं है. ऐसा अनेक लोग फील करते हैं. विचारणीय बात यह है कि यह स्थिति आपके नियंत्रण क्षेत्र में है या नहीं. अधिकांश मामलों में  नहीं. यह सही है कि आपको कुछ गलत होते हुए देखना अच्छा नहीं लगता. आपका नाराज होना या क्रोधित होना भी गैर वाजिब नहीं है. उस कारण तनाव ग्रस्त होना जरुर गैर मुनासिब है. ऐसे सभी मामलों में जो गलत कर रहा है, उसे न तो आपके बुरा लगने से कोई फर्क पड़ता है और न ही उसमें  कोई सुधार होता है. कई बार तो आपकी नाराजगी का उसे भान भी नहीं होता. इधर आप नाराज, क्रोधित और तनावग्रस्त होकर अपना ढेर सारा नुकसान कर लेते हैं. है कि नहीं? 

लक्ष्मण रेखा तय करें और बहस में न उलझें: ऐसी स्थिति में आपको जो करना चाहिए वह यह कि आप गलत काम में संलग्न व्यक्ति को पूरी शालीनता और शान्ति से बस यह बता दें कि उनका गलत काम या व्यवहार आपको बुरा लगा. इसके रिएक्शन  में वह कुछ भी कहे, आप उससे बहस में न उलझें. यही आपकी लक्ष्मण रेखा है. समझनेवाली बात यह है कि आपका अपने कार्य या आचरण पर तो कंट्रोल हो सकता है, लेकिन बाहर के किसी व्यक्ति पर शायद नहीं. हां, गलत करनेवाले को टोकने की एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य जरुर निभाएं. इसके अच्छे परिणाम मिल जाए तो खुश हो लें, न मिले तब भी इस बात से खुश होने का प्रयास करें कि आपने कोशिश तो की. किसी भी अवस्था में खुद तनावग्रस्त होने का तो कोई अर्थ नहीं है. अमेरिकी विचारक रेनहोल्ह निबुहर सही कहते हैं, "हे ईश्वर, मुझे उन चीजों को स्वीकार करने की स्थिरता दें जिन्हें मैं बदल नहीं सकता, उन चीजों को बदलने का साहस दें जिन्हें मैं बदल सकता हूँ और दोनों में अंतर करने की बुद्धि दें."  

  (hellomilansinha@gmail.com) 


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.            "प्रभात खबर हेल्दी लाइफ " में  01 सितम्बर , 2021 को प्रकाशित   

#For Motivational Articles in English, pl.visit my site : www.milanksinha.com