- मिलन सिन्हा, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट
दरअसल, यह उस व्यक्ति की समस्या मात्र नहीं है. ऐसा अनेक लोग फील करते हैं. विचारणीय बात यह है कि यह स्थिति आपके नियंत्रण क्षेत्र में है या नहीं. अधिकांश मामलों में नहीं. यह सही है कि आपको कुछ गलत होते हुए देखना अच्छा नहीं लगता. आपका नाराज होना या क्रोधित होना भी गैर वाजिब नहीं है. उस कारण तनाव ग्रस्त होना जरुर गैर मुनासिब है. ऐसे सभी मामलों में जो गलत कर रहा है, उसे न तो आपके बुरा लगने से कोई फर्क पड़ता है और न ही उसमें कोई सुधार होता है. कई बार तो आपकी नाराजगी का उसे भान भी नहीं होता. इधर आप नाराज, क्रोधित और तनावग्रस्त होकर अपना ढेर सारा नुकसान कर लेते हैं. है कि नहीं?
लक्ष्मण रेखा तय करें और बहस में न उलझें: ऐसी स्थिति में आपको जो करना चाहिए वह यह कि आप गलत काम में संलग्न व्यक्ति को पूरी शालीनता और शान्ति से बस यह बता दें कि उनका गलत काम या व्यवहार आपको बुरा लगा. इसके रिएक्शन में वह कुछ भी कहे, आप उससे बहस में न उलझें. यही आपकी लक्ष्मण रेखा है. समझनेवाली बात यह है कि आपका अपने कार्य या आचरण पर तो कंट्रोल हो सकता है, लेकिन बाहर के किसी व्यक्ति पर शायद नहीं. हां, गलत करनेवाले को टोकने की एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य जरुर निभाएं. इसके अच्छे परिणाम मिल जाए तो खुश हो लें, न मिले तब भी इस बात से खुश होने का प्रयास करें कि आपने कोशिश तो की. किसी भी अवस्था में खुद तनावग्रस्त होने का तो कोई अर्थ नहीं है. अमेरिकी विचारक रेनहोल्ह निबुहर सही कहते हैं, "हे ईश्वर, मुझे उन चीजों को स्वीकार करने की स्थिरता दें जिन्हें मैं बदल नहीं सकता, उन चीजों को बदलने का साहस दें जिन्हें मैं बदल सकता हूँ और दोनों में अंतर करने की बुद्धि दें."
(hellomilansinha@gmail.com)
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