-मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर...
कहा जाता है कि सरल ही सुन्दर होता है और सर्वग्राही भी. सरल जीवन जीना आनंद का मार्ग है. लियो टॉलस्टॉय कहते हैं , ‘वहां कोई महानता –उत्कृष्टता नहीं हो सकती, जहां सरलता, अच्छाई और सच्चाई नहीं है.' जरा सोचिये, हम जो हैं, उसे हमसे बेहतर कौन जानता है. फिर भी हम जो नहीं हैं उसे दिखाने के चक्कर में स्वयं ही जीवन को सरल मार्ग से जटिलता की ओर ले जाते हैं. तभी तो कन्फ़्यूशियस का कहना है, ‘जीवन वाकई सरल है, किन्तु हम इसे जटिल बनाने पर आमादा रहते हैं.’
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एक कहावत भी हम सभी वर्षों से सुनते आ रहे हैं, ‘सादा जीवन, उच्च विचार’. देश, विदेश से लेकर अपने आसपास भी कई लोग ऐसे मिल जाते हैं या जिन्हें हम जानते हैं या जिनके विषय में हम पढ़ते हैं , जो इन बातों के ज्वलंत मिसाल रहे हैं . राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन तक का जीवन देख लें.
ऐसे भी, सरलता को छोड़कर चाहे –अनचाहे जटिलता को अपनाने में समय, उर्जा एवं पैसे की बर्बादी में कौन सी बुद्धिमानी है ? असहजता और तनाव के सीधे रिश्ते से हम अपरिचित भी तो नहीं हैं , क्यों ?
उदारीकरण के वर्तमान दौर में जब चारों ओर बाजार का प्रभुत्व और जलवा दिखाई पड़ता है, जब विचारों से ज्यादा जानकारी को महत्व दिया जाता है, जब मशीनी श्रम को मानव श्रम से ज्यादा तबज्जो देने का चलन है, तब हमारे जैसे देश में समावेशी विकास के लिए इस कथन का विशेष अर्थ है. महात्मा गाँधी कहते हैं, ‘मनुष्य अपने विचारों से निर्मित प्राणी है. वह जो सोचता है, वही बन जाता है.'
सोचने वाली बात तो है कि आखिर क्यों देश के आम लोग महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे या बाबा आम्टे जैसे लोगों को अपने सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिनते हैं, जब कि वे न कभी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति रहे ?
ऐसा इसलिए कि इन्होंने न केवल हमेशा विचार के स्तर पर विशिष्टता प्रदर्शित की जो सर्वथा लोकहितकारी थी, बल्कि अपने रोजमर्रा की जिंदगी में आचरण के स्तर पर सादगी, सरलता और सदाचार को अंगीकार किया. शानो –शौकत, तामझाम, आडम्बर आदि से इनका कोई रिश्ता नहीं रहा . लिहाजा, ऐसे आचरण वाले नेताओं का चरण स्पर्श करना भी सौभाग्य की बात मानी गयी. इन लोगों ने जहां भी काम किया, जिस वक्त भी काम किया, वहीं एक सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित किया. इनका व्यवहार आम और खास के लिए अलग –अलग न होकर एक रूप रहा. इसी कारण ये निरंतर सबके प्रेरणास्रोत बने रहे .
कहना न होगा, ऐसे लोग ही देश के लिए काम करने में खुशी महसूस करते हैं, जिसे सरदार पटेल इन शब्दों में व्यक्त करते हैं, ‘देश की सेवा करने में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं.'
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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