- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
सीखना एक सतत प्रक्रिया है. बचपन से लेकर बुढ़ापे तक यह सिलसिला किसी न किसी रूप में चलता रहता हैं. बेटर लर्निंग फॉर बेटर अर्निंग की बात भी अनेक मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स कहते रहे हैं. सीखने का दायरा बहुत व्यापक है. कोर्स की किताबों और क्लास रूम की पढ़ाई तो जरुरी है ही, देश-दुनिया की महत्वपूर्ण बातों के प्रति स्वाभाविक जिज्ञासा तथा जीवन यात्रा में प्राप्त विविध अनुभव भी पढ़ाई का बड़ा और अहम हिस्सा होते हैं. विद्यार्थी जीवन में सीखने की प्रक्रिया को एन्जॉय करना और इसे अपनी आदत बनाना बहुत बड़ी उपलब्धि होती है. ऐसा करते हुए देश-विदेश के अनेक विद्यार्थियों ने न केवल अपने समग्र विकास को संभव बनाया, बल्कि बड़ी सफलता और बड़ा सम्मान भी अर्जित किया. रोचक बात है कि छात्र-छात्राओं को सीखने के लिए अपने आसपास देखने का बहुत लाभ मिलता है. मिसाल के तौर पर प्रकृति को ही लें. जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नदी-पहाड़, मौसम और न जाने क्या-क्या हर विद्यार्थी को सीखने का असीमित अवसर देते हैं. असंख्य बातें वे जान सकते हैं और उस ज्ञान एवं अनुभव का उपयोग अपने और दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाने में कर सकते हैं. दरअसल, हर विद्यार्थी किसी-न-किसी रूप में कम या ज्यादा ऐसा करता भी है. बहरहाल, वर्तमान में देश-विदेश में जितने प्रसिद्ध लोगों का नाम छात्र-छात्राएं जानते हैं, उनको फिलहाल छोड़ भी दें तो इतिहास के पन्नों में जिन महान लोगों का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है, उनमें से अपने पसंद के केवल एक प्रतिशत लोगों के विषय में जानने का भी एक गंभीर प्रयास करें तो सीखते रहने के असीमित लाभ के विषय में जानेंगे और उससे प्रेरित होकर कार्य करेंगे. फिर तो छात्र-छात्राएं खुद अनेक उपलब्धियों के लायक बनते जायेंगे.
श्री रामकृष्ण परमहंस, अल्बर्ट आइंस्टीन, हेनरी फोर्ड सहित कई विश्व प्रसिद्ध लोगों ने अलग-अलग शब्दों में इस विचार को रेखांकित किया है कि वह व्यक्ति या समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है, उनके जीवन में नवीनता ख़त्म हो जाती है. नीरसता और निराशा उनके साथी बन जाते हैं, उनके लिए प्रगति का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और वे अवसान की ओर चल पड़ते हैं. सच कहें तो सीखते रहना सही अर्थों में युवा बने रहने की एक बड़ी शर्त है. जॉर्ज संटायना सही कहते हैं, "सबसे बुद्धिमान व्यक्ति के लिए हमेशा कुछ सीखना बाकी होता है." आइए, दो छोटे उदाहरणों के माध्यम से इसे अच्छी तरह समझने का प्रयास करते हैं.
हम सभी जानते हैं कि 1879 में जन्मे अल्बर्ट आइंस्टीन में सीखने की लालसा जबरदस्त थी. उन्हें गणित सबसे आसान विषय लगता था, जब कि स्कूल में उनकी गिनती कभी भी मेधावी विद्यार्थियों में नहीं हुई. अपने छात्र जीवन में आइंस्टीन को एकाधिक बार असफलता और तिरस्कार का सामना करना पड़ा, फिर भी वे सीखने के मार्ग पर ख़ुशी-ख़ुशी चलते रहे. और जानते हैं आइंस्टीन ने 30 साल से कम उम्र में थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी यानी सापेक्षता का सिद्धांत प्रस्तुत किया. आगे इस दिशा में वे काम करते रहे. मात्र 42 साल की उम्र में उन्हें उनके आविष्कार के लिए नोबेल प्राइज इन फिजिक्स से सम्मानित किया गया. रोचक बात है कि इस विश्वविख्यात वैज्ञानिक को संगीत सीखना भी अच्छा लगता था और वे वायलिन अच्छा बजाते थे. अल्बर्ट आइंस्टीन की यह उक्ति उनके मिजाज से खूब मेल खाती है जब वे कहते हैं, "कल से सीखो, आज के लिए जीओ, कल के लिए सपने देखो और सबसे जरुरी बात यह कि कभी भी रुको मत."
हमारे राष्ट्रगान "जन गण मन अधिनायक जय हे ..." के रचियता गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर में सीखने की विलक्षण लालसा थी. प्रकृति उनका सबसे बड़ा दोस्त और शिक्षक था. प्रकृति के सानिद्ध में रहने और उससे सीखने के हर मौके का उन्होंने बहुत सदुपयोग किया. विधिवत औपचारिक शिक्षा न प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने साहित्य, इतिहास, संस्कृत, खगोल विज्ञान, अंग्रेजी सहित अन्य कई विषयों का अध्ययन किया. उनकी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता का रेंज विशाल था. साहित्य के करीब सभी विधाओं - कविता, नाटक, गीत, कहानी, लघु कथा, उपन्यास, निबंध आदि में बहुत उम्दा लेखन किया. संगीत और चित्रकारी में भी उनको महारत हासिल था. रबीन्द्र संगीत के नाम से प्रसिद्ध संकलन में उनके दो हजार से ज्यादा गीतों को संगीतबद्ध किया गया. भारतवर्ष के वे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे. वर्ष 1913 में उन्हें उनकी रचना "गीतांजलि" के लिए साहित्य का नोबेल प्राइज मिला. हमेशा सीखते रहने को लालायित इस महान व्यक्ति की यह उक्ति काबिले गौर है, "जो कुछ हमारा है वह हम तक आता है ; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं."
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 29.03.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 29.03.2020 अंक में प्रकाशित
No comments:
Post a Comment