Monday, June 29, 2020

जरुरी है अच्छा शैक्षणिक माहौल

                                 - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अध्ययन हेतु पंजीकृत छात्र-छात्राएं की संख्या करोड़ों में है. यहां  एक कोर्स या क्लास विशेष में पंजीकृत और अध्ययन हेतु उपस्थित विद्यार्थियों के डाटा का अध्ययन किया जाए तो अनुपात अधिकतम 10:9 का होगा. सवाल है कि ये दस प्रतिशत पंजीकृत पर अध्ययन से अनुपस्थित विद्यार्थी कौन होते हैं और क्या सामान्य तौर पर इनमें से ही अधिकांश  विद्यार्थी अपने कैंपस में या बाहर होनेवाले हंगामा-प्रदर्शन-तोड़फोड़-पत्थरबाजी का हिस्सा होते हैं?  

देश की राजधानी के अलावे समय-समय पर देश के कुछ  कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में गैर-शैक्षणिक मुद्दों और वह भी देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था यानी देश की संसद से पारित मुद्दों पर मूलतः इन दस प्रतिशत वाले जमात के कुछेक विद्यार्थी हिंसक हंगामा-प्रदर्शन करते हैं. इतना ही नहीं, वे उनके संस्थान के ही बाकी के 90 प्रतिशत से ज्यादा छात्र-छात्राओं को पढ़ने-लिखने  से रोकने  की कोशिश भी करते हैं. कॉलेज या यूनिवर्सिटी प्रशासन को ऐसे आकस्मिक हंगामा-प्रदर्शन का वास्तविक कारण  पता नहीं होता, फिर भी देर-सबेर वे उनसे बात करने की कोशिश करते हैं, जिससे कि समाधान तलाशा जा सके और संस्थान में अच्छा शैक्षणिक माहौल बना रहे. लेकिन हल निकलता नहीं क्यों कि अधिकांश मामला शिक्षण आदि  से इतर राजनीतिक होता है.   हां, हमारे लोकतंत्र में विद्यार्थी सहित हर नागरिक को अन्याय के खिलाफ विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार क्या दूसरे को सामान्य जीवन जीने से रोक सकता है? 

अगर विद्यार्थियों को किसी मामले में विरोध करना है तो पहले संबंधित दूसरे पक्ष को उचित ज्ञापन  देकर और फिर आगे उनसे बातचीत करके समस्या का हल निकालने का प्रयास करना चाहिए. अगर इसमें सफलता नहीं मिलती तो अंतिम विकल्प के रूप  में वे  बिना किसी को परेशान किए शांतिपूर्ण तरीके से किसी पेड़ आदि के नीचे बैठकर विरोध दर्ज कर सकते हैं. गौरतलब बात है कि अगर उनके विरोध का मुद्दा वाकई जायज और सभी विद्यार्थियों के व्यापक हित में होगा तो  और भी छात्र-छात्राएं उनका साथ देने को जरुर आगे आयेंगे. और फिर उनके संस्थान को भी उस मामले के समाधान हेतु सक्रियता और गंभीरता से कार्य करना पड़ेगा.   

विचारणीय सवाल है कि आखिर विद्यार्थी किसी भी संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने के लिए ही तो आते हैं. उनके अभिभावक भी यही मानते हैं कि उनकी संतान उसी कार्य में व्यस्त होंगे. दरअसल,  हमारे देश में ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षित करने हेतु बड़ी मुश्किल से संस्थान का फीस, हॉस्टल के खर्चे आदि भर पाते हैं. फिर भी अगर उनकी संतान शिक्षा ग्रहण करने के बदले हंगामा-प्रदर्शन आदि में समय गंवाते हैं तो उनके लिए बहुत कष्ट और क्षोभ की बात होती है. खुद उन विद्यार्थियों के लिए यह अवांछित कार्य में संलिप्त होकर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़  ही तो है. वे जोश या आवेग या उन्माद या बहकावे में बिना सोचे-समझे या किसी तात्कालिक आर्थिक या अन्य लाभ हेतु किसी दूसरे की कठपुतली बनकर यह सब करते हैं, जिसका पछतावा बाद में उनमें से अधिकतर विद्यार्थी को होता है. समय रहते वे यह समझ सकें और उनके साथी-अभिभावक-शिक्षक उन्हें समझा सकें तो हर दृष्टि से बेहतर होगा. 

यहां सभी अच्छे विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की, जिनकी संख्या बहुत ज्यादा है, यह जिम्मेदारी है कि वे सब मिलकर अपने तरीके से कैंपस में यथोचित शैक्षणिक माहौल बनाए रखने के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दवाब बनाएं जिससे सभी विद्यार्थियों की शिक्षा बिना बाधित हुए समय से अच्छी तरह पूरी हो सके. कॉलेज-यूनिवर्सिटी प्रशासन की बात करें तो सीसीटीवी, बायोमेट्रिक अटेंडेंस आदि के जमाने में उनके लिए यह जानना मुश्किल नहीं है कि कौन-कौन से विद्यार्थी क्लासेज अटेंड नहीं करते और उनमें से कितने संस्थान के पढ़ाई-लिखाई के माहौल को खराब करने में शामिल रहते हैं. इस जानकारी के आधार पर पहले संबंधित विद्यार्थी से साफ़-साफ़ बात करना आसान होगा. फिर उनके अभिभावक को यथोचित जानकारी देकर उनकी मदद से विद्यार्थी को अध्ययन के लिए प्रेरित करना भी मुश्किल नहीं होगा. अगर  इस तरह की प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी विद्यार्थी में अपेक्षित सुधार नहीं दिखाई पड़ता है, तो प्रशासन उस विद्यार्थी के खिलाफ संस्थान के नियमानुसार कार्रवाई कर ही सकता है. यह एक पारदर्शी एवं प्रभावी प्रक्रिया है जिसका सदुपयोग कर देश-विदेश के कई अच्छे संस्थान अपने विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने तथा अपनी एकेडमिक रैंकिंग उन्नत करने में कामयाब रहे हैं.
(hellomilansinha@gmail.com)  

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 22.03.2020 अंक में प्रकाशित  
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

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