Monday, June 22, 2020

मोटिवेशन: हैलो, स्माइल और सॉरी का कमाल

                                                      - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस  कंसलटेंट ...
देश-विदेश हर जगह कॉरपोरेट वर्ल्ड में मैन मैनेजमेंट यानी मानव प्रबंधन की चर्चा खूब होती है. होनी भी चाहिए. किसी भी संस्थान के लिए उनसे जुड़े लोगों से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई नहीं होता. वह उनके कर्मी हों, उनके ग्राहक, उनके सर्विस प्रोवाइडर  या कोई और. उनसे अगर रिश्ते अच्छे हैं और आगे उसे बेहतर करने का इरादा है तो संस्थान के विकास में दिक्कत नहीं होती. ऐसे तो आपसी रिश्तों को कामकाजी, अच्छा या प्रगाढ़ बनाने के जाने-पहचाने तरीके हैं, लेकिन अगर कोई संस्थान अपने लोगों को हेलो, स्माइल और सॉरी का बेहतर प्रयोग करना भी सिखा दे या  हम सभी अपने स्तर पर इनका सदुपयोग करना सीख लें तो तनाव को सरलता से मैनेज करने के साथ-साथ जिंदगी जीना काफी आसान और सुखद हो जाएगा. आखिर कैसे?

हैलो: यह शब्द छोटा है, लेकिन इसका उपयोग बहुत होता है और असर भी कम  बड़ा नहीं होता है. फोन उठाते ही हम पहला शब्द यही इस्तेमाल करते हैं. ऐसे कुछ लोग इसके बदले नमस्ते या नमस्कार जैसे शब्दों का भी उपयोग करते हैं. बात मोटे तौर पर एक ही है.  घर से ऑफिस के लिए निकलते ही हमको रास्ते में आते-जाते कई लोग मिलते हैं जो हमारे परिचित होते हैं, एक-दूसरे से हमारी नजर मिलती है तो क्या हेलो करते हैं यानी नमस्ते या हाथ हिलाकर अभिवादन करते हैं ? अगर करते हैं तो हम जानते हैं कि इसका कितना पॉजिटिव असर हमारे व्यक्तित्व विकास पर पड़ता है, हमारे मूड को इम्प्रूव करने में होता है और हमारे आपसी रिश्ते की गर्माहट को बनाए रखने में होता है. ऑफिस में प्रवेश करते ही हम हेलो, गुड मॉर्निंग, नमस्ते आदि शब्दों के माध्यम से एक दूसरे का अभिवादन करते हैं. गुडविल प्रदर्शन के लिए ये छोटे शब्द बहुत प्रभावी माने जाते हैं. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं या नजर चुराते हैं, तो आज से इस पर गौर कीजियेगा कि जब आप हेलो करने से बचते हैं उस क्षण या उसके तुरत बाद कैसा फील करते हैं. पॉजिटिव या नेगेटिव. हां, दूसरे पर इसका क्या असर होता है और इसके कारण अच्छे रिश्तों में कैसे दुराव और बदलाव आता है, इस पर अनेक सर्वेक्षण एवं शोध हो चुके हैं और यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि इसका  उपयोग कम या नहीं करने से  हम सबमें नकारात्मकता  बढ़ती है और इसका  दूरगामी नेगेटिव  इम्पैक्ट हर चीज पर दिखता है. तो फिर अभी से हेलो कहना शुरू करके देखिए और उसके असर को फील करने का प्रयास कीजिए. अच्छा लगेगा.
    
स्माइल: सच है, मुस्कुराहट हमारी खूबसूरती में सुधार करने का एक सस्ता और हेल्दी तरीका है. ऐसे भी हमें  मुरझाये हुए चेहरे अच्छे नहीं लगते. तभी तो फोटो खींचते वक्त फोटोग्राफर स्माइल प्लीज कहते हैं. दरअसल, मुस्कराहट हमारे चेहरे पर एक ऐसा मैजिक बैंड है जो दूसरों को मित्रता  और भाईचारे का संदेश देता  है. बच्चों की मुस्कुराहट से न जाने कितने लोगों का तनाव काफूर हो जाता है और वे अंदर से फ्रेश और आनंदित महसूस करते हैं. जब हम एक दूसरे से मुस्कुराकर मिलते हैं तो बड़ा अच्छा फील होता है. किसी भी वार्तालाप के सफल समापन में इसकी अहम भूमिका को सभी स्वीकारते हैं. तभी तो फोटो सेशन में इसका रिफ्लेक्शन हमें दोनों पक्षों के चेहरे पर मुस्कान के रूप में दिखाई पड़ता है. लेकिन क्या हम सभी ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस अनमोल तोहफे का उपयोग एवं उपभोग अपने जीवन को बेहतर और खुशहाल बनाने के लिए कर पा रहे हैं? विशषज्ञों के इस राय से कोई  इंकार नहीं कर सकता कि हमारे चेहरे पर तैरते स्वाभाविक मुस्कान हमारे अन्दर व्याप्त ऊर्जा एवं उत्साह का परिचायक होता है. यह भी सही है कि स्माइल करने वाले लोग अपेक्षाकृत तनाव प्रबंधन में माहिर होते हैं.  एक बात और. अनेक मेडिकल रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि हंसना-मुस्कराना हमारे हेल्थ को बेहतर बनाये रखने में बहुत मदद करता है. ज्ञानी लोग तो इसे एक मुफ्त तथापि बेहद प्रभावी प्राकृतिक औषधि की संज्ञा देते हैं, कारण वे जानते हैं कि मुस्कराने की सम्पूर्ण प्रक्रिया में हमारे शरीर में फील-गुड तथा  फील-हैप्पी हॉर्मोन का स्राव स्वतः होता है जो हमें मानसिक रूप से प्रसन्न रखता है. इससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है और हमारा परफॉरमेंस बेहतर होता है. हमारा मेटाबोलिज्म तो बेहतर होता ही है. रोचक बात है कि महात्मा गांधी, अल्बर्ट आइंस्टीन, चार्ली चैपलिन तथा अब्दुल कलाम सहित देश-विदेश के अनेक महान लोग  न केवल इसकी महत्ता  के प्रशंसक रहे हैं, बल्कि अपने दैनंदिन व्यवहार में इसे अमल में लाकर इसका औचित्य भी सिद्ध करते रहे हैं. फिर हम-आप स्माइल करने में पीछे क्यों रहें? 

सॉरी: हम सब अपने जीवन में छोटी-बड़ी गलती करते रहते हैं. ये गलतियां जाने-अनजाने कारणों से होती हैं. कहते हैं जिसने जीवन में सचमुच कोई गलती नहीं की, उसने वाकई जीवन को सम्पूर्णता में जीया ही नहीं. लेकिन गलती करते जाना भी कोई अच्छी बात तो नहीं. और गलती होने पर सॉरी न कहना या फील करना तो वाकई ठीक नहीं. घर हो या बाहर अगर हम एक सिंपल सिद्धांत बना लें कि जब भी मुझसे छोटी-बड़ी गलती होती है, बेशक उसे कोई देखे या न देखे, उस पर कोई टोके या न टोके, सॉरी या क्षमा याचना के लिए कहे या न कहे, मुझे बेझिझक तुरत सॉरी बोलना  है, तो हम अनगिनत लाभ के भागी बनेंगे. सबसे पहले तो हम हल्का फील करेंगे, अंदर से मजबूत फील करेंगे और झूठ बोलने एवं  आगे झूठ के चक्रव्यूह में फंसने से बचेंगे. हमें अपराधबोध बोध नहीं कचोटेगा,  ईगो प्रॉब्लम नहीं होगा और आगे से वही गलती न दोहराने की सीख मिलेगी. हमारे व्यवहार आदि में सुधार प्रक्रिया बेहतर होगी तथा आपसी रिश्ते बिगड़ने के बजाय सुधरेंगे. और भी अनेक छोटे-बड़े लाभ हासिल होंगें. इतिहास में ऐसे हजारों घटनाएं-दुर्घटनाएं दर्ज हैं, जिसका आगाज तो बहुत खराब हुआ, लेकिन इस छोटे से शब्द सॉरी ने उसका अंजाम बहुत सुखद बना दिया. तो आइए, इस लंबी पर सस्पेंस तथा सरप्राइज से भरी जीवन यात्रा में खुले मन से सॉरी का उपयोग करें और लाइफ को खुद एन्जॉय करने के साथ-साथ  दूसरों को भी एन्जॉय करने दें.    
(hellomilansinha@gmail.com) 

                 
                   और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 16.03.20 को प्रकाशित 
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

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