आज की बात -5 जून, 2020 - मिलन सिन्हा
कोरोना की कहानी चैनेल और अखबार में जारी है. अब तक प्रभावित लोगों की संख्या दो लाख पार कर चुका है. लेकिन तसल्ली की बात है कि संक्रमित लोगों में से ठीक होकर घर लौटनेवालों की संख्या एक लाख से ऊपर है और यह प्रतिशत धीरे-धीरे ही सही बेहतर हो रही है. महाराष्ट्र और पड़ोसी प्रदेश गुजरात में संख्या अब भी ज्यादा है. मुंबई की स्थिति अब डराने लगी है. गवर्नेंस का मसला है. दीगर बात है कि राज्य के मुखिया को सत्ता परिचालन का अनुभव नहीं रहा है. ऊपर से यह अप्रत्याशित और अकल्पनीय संकटपूर्ण स्थिति. पर संकल्प की कमी तो नहीं होनी चाहिए. विचारणीय बात यह भी है कि एनसीपी कोटे से मराठा क्षत्रप बड़े पवार के भतीजे उप मुख्यमंत्री न तो अनुभवहीन हैं और न ही उन्हें गाइड करनेवाले उनके चाचा. वे तो सीन से लगभग गायब ही हैं. यह चिंता और खेद का विषय है.
दो दिनों तक समुद्री तूफ़ान निसर्ग ने कोरोना की गर्मी से खबरनीसों का ध्यान बेशक मोड़ दिया था. शुक्र है कि तूफ़ान ने आशा से कम ही नुकसान किया है. बहरहाल, यह सोचनीय विषय है कि टेस्टिंग किट की उपलब्धता के बावजूद अब भी ज्यादातर प्रदेशों में जांच के लिए हासिल सैंपल 7 से 10 दिनों तक रिजल्ट की प्रतीक्षा में हैं. जिनके सैंपल लिए गए हैं, जरा उनकी मानसिक स्थिति का अनुमान लगाएं और वह भी तब जब कोरोना के विषय में चारों तरफ से न जाने कितने पुष्ट-अपुष्ट डरानेवाली बातें उनके सामने आती हैं. इसमें अविलम्ब सुधार आवश्यक है.
विश्व पर्यावरण दिवस के इस साल के थीम "जैव विविधता" की भावना के विपरीत केरल में एक गर्भवती हाथी के अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण मौत से चारों ओर स्वाभाविक रोष और चर्चा जोरों पर है. अमानवीयता का इससे ज्यादा घृणित कृत्य और क्या हो सकता है? वन्य जीवों की तस्करी और उनकी हत्या कर उनके अंगों के व्यापार में लिप्त लोग और उन्हें प्रश्रय देनेवाले कानून के तथाकथित रखवाले कठोर दंड के अधिकारी हैं. प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई कर उन्हें सख्त सजा दिलवाए और आगे ऐसी घटना से मानवता शर्मसार न हो यह सुनिश्चित भी करें. यकीनन, समाज की भी इसमें बड़ी भूमिका है.
गनीमत है कि जिन्हें हम जानवर कहते हैं वे मानव के खिलाफ ऐसे जानलेवा षडयंत्र नहीं करते.
सबको असीम शुभकामनाएं.
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