Tuesday, June 9, 2020

नई राहें: मुश्किल नहीं है स्मार्ट वर्कर बनना

                                       - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट ... ...
किसी भी संस्थान में काम करनेवाले सभी श्रेणियों  के लोगों के लिए अगर एक कॉमन शब्द  का प्रयोग करें तो कर्मी या वर्कर ठीक लगता है. कर्मियों की क्वालिटी  मुख्य रूप से संस्थान की मार्केट इमेज और बिज़नस परफॉरमेंस का कारण होता है. तभी तो वर्कप्लेस में अपने मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रोजेक्ट मैनेजर, बॉस या किसी सीनियर ऑफिसर को मौका-बेमौका कई सहकर्मियों को कार्य निष्पादन के मामले में स्मार्ट बनने को कहते आपने भी सुना होगा. परफॉरमेंस रिव्यु या सालाना कार्य मूल्यांकन के वक्त भी वर्कप्लेस में हार्ड वर्कर बनाम स्मार्ट वर्कर संबंधी चर्चा आम होती है. स्पष्टतः यहां संस्थान के उन कर्मियों की चर्चा नहीं की जा रही है जो काम के मामले में जी चुराते या आलस्य दिखाते हैं यानी कार्य निष्पादन के मामले में कमजोर हैं और नतीजतन कभी भी अपने पद से डिमोट किए जा सकते है और खुद को इम्प्रूव न कर पाने के कारण बाद में जॉब से मुक्त भी किए जा सकते हैं. लिहाजा, अपनी चर्चा को हार्ड वर्कर और स्मार्ट वर्कर तक सीमित रखते हुए यह जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर दोनों में बुनियादी फर्क क्या होता है.

हार्ड वर्कर में कई खूबियां होती हैं. वे अपना काम पूरी तन्मयता और निष्ठा से करते हैं. अपने कार्यस्थल पर समय से पहुंचते हैं और कार्यावधि समाप्त होने के बाद ही घर जाते हैं. वे अपने वरीय सहयोगी और अपने टीम लीडर के निर्देशों का पालन करते हैं. उन्हें अपने मेहनत पर पूरा भरोसा होता है. वे अपने को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं. कामचोरी या आलस्य से उनका कोई वास्ता नहीं होता. हार्ड वर्कर अनुशासनप्रिय होने के साथ-साथ अपने काम के प्रति पूर्णतः समर्पित होते हैं. किसी भी संस्थान में वे लम्बे समय तक काम करनेवाले कर्मी होते हैं. हार्ड वर्कर को उनके संस्थान में अच्छी नजरों से देखा जाता है. इतना सब होने के बावजूद अपने संस्थान में उन्हें कभी-कभार ही बेस्ट परफ़ॉर्मर का खिताब मिल पाता है. लीडरशिप पोजीशन के लिए भी उनका चयन कम ही हो पाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है?  आइए, इसे एक रियल लाइफ स्टोरी के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं.

अफ्रीका के एक जंगल में काम करनेवाले एक कंपनी ने अपने दो कर्मियों, एक सीनियर और एक नए कर्मी, को जंगल में पेड़ कटाई का काम सौंपा और उन्हें रोज के रोज अपना-अपना परफॉरमेंस रिपोर्ट मैनेजर को देने का निर्देश भी दिया. एक हफ्ते के बाद जब मैनेजर ने दोनों कर्मियों के परफॉरमेंस की समीक्षा की तो दोनों में बड़ा फर्क दिखा. अगले हफ्ते की समीक्षा में भी कुछ ऐसा ही अंतर था. मैनेजर को बात समझ में नहीं आई, क्यों कि दोनों ही स्टाफ निष्ठापूर्वक काम करते थे. अतः एक दिन मैनेजर दोनों कर्मियों के बीच के इस फर्क का कारण जानने खुद स्पॉट पर पहुँच गए और उन दो कर्मियों को बिना डिस्टर्ब किए बस उनके काम करने के तरीके को देखते-समझते रहे. मैनेजर शाम को हेड क्वार्टर लौट गए. इस बीच वे दोनों कर्मी कुछ दिन और उस जंगल में काम करते रहे और फिर वहां का टास्क पूरा होने पर लौट गए. सैलरी डे पर नए कर्मी को वेतन के अलावे अच्छा इंसेंटिव दिया गया और कंपनी के सभी कर्मियों के सामने मैनेजर ने उसकी खूब प्रशंसा की और उसे स्मार्ट वर्कर भी कहा. उन्होंने जंगल के अपने विजिट के दौरान जो कुछ नोटिस किया उसके आधार पर अपना अनुभव साझा करते हुए पहले प्रसिद्ध अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की यह उक्ति सबको सुनाई, "अगर किसी पेड़ को काटने के लिए मुझे छह घंटे दिए जाते हैं तो मैं पहले कुछ  घंटे अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगाऊंगा" और फिर निम्न बातें कही.  
  
स्मार्ट वर्कर वह होता है जो इंटेलीजेंटली काम करता है, क्रिएटिवली काम करता है, आउट-ऑफ़-बॉक्स सोचता है, दूसरे से अच्छी बातें सीखता रहता है, लेकिन उसे परिस्थिति के अनुसार अपने तरीके से अमल में लाता है. वह मेनिपुलेसन का पक्षधर नहीं और न ही अनैतिक तरीके अपनाकर जीवन में आगे बढ़ने का, जैसा कि स्मार्ट होने की कुछ लोगों की मान्यता है. वह अनुशासनप्रिय होता है, तन्मयता से यथाशक्ति और यथाबुद्धि  काम करता है. वह खुद को रिचार्ज करते रहता है और अपने उपकरण-औजार को तराशता भी रहता है. वह अपने काम के हर पहलू से अच्छी तरह परिचित होता है. इतना ही नहीं, अपनी कंपनी द्वारा निर्धारित लक्ष्य के मद्देनजर वह खुद अपने लिए थोड़ा बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है और उस लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य निष्पादित करता है. वह ओवरटाइम काम किए बिना ही अपने टारगेट से कहीं बेहतर रिजल्ट देता है. ऐसा संभव हो पाता है, क्यों कि वह काम को बोझ नहीं समझता, बल्कि उसे एन्जॉय करता है. नतीजतन वह थकता कम है. वह प्रयोगधर्मी है और काम को अलग-अलग तरीके से करके एक नया और बेहतर तरीका खोजता रहता है, जिससे कि कार्य की गुणवत्ता से समझौता किए बगैर प्रोडक्टिविटी को उन्नत किया जा सके. जाहिर तौर पर कोई भी स्मार्ट वर्कर कंपनी के हार्ड वर्कर के गुणों के अलावे कई विशेष गुणों से सम्पन्न होता है. और इसी कारण निरंतर बड़ी सफलता का हकदार बनता है और बड़े पोजीशन का भी. 
(hellomilansinha@gmail.com)


                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 02.03.2020 को प्रकाशित  

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