Wednesday, June 26, 2013

आज की कविता : सत्याग्रह का अस्त्र


                                          -मिलन सिन्हा

uttrakand










मौसम प्रतिकूल
टूट गयी सड़कें
बह गया पुल
आम जनता है पस्त
अधिकांश नेता – अधिकारी
अपने में मस्त
दिखने में सब भद्र
पर सवाल वही
कहाँ है पीड़ितों – गरीबों का
सही हमदर्द
बड़ा हादसा हो जाता है जब
आते है अपनी सुविधा से
सफेदपोश सारे
जहाज और गाड़ियों में
लदकर , लकदक
सहानुभूति जताने
घड़ियाली आंसू बहाने
अखबार और टीवी के लिए
फोटो खिचवाने
समाचार छपवाने
गहराता जा रहा है
राजनीति व प्रशासन में यह चलन
जनता का निरंतर
हो रहा दोहन व दमन
जागृत समाज सत्याग्रह का अस्त्र
फिर उठाएगा जब
आम जन की हालत
अच्छी होगी तब !

#  प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :26.06.2013

              और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं। 

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