Thursday, August 6, 2020

समीक्षा और संकल्प का समय

                    - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ...

छात्र जीवन की रोमांचक यात्रा में हर विद्यार्थी को कई मार्गों और कई चौराहों से होकर गुजरना पड़ता है. इस क्रम में कई बार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकना भी पड़ता है. पर मन को रोकना किसी सिग्नल के लिए कहां संभव होता है. उसे तो खुद सही दिशा में गतिशील या स्थिर रखने में पारंगत होना पड़ता है, जो थोड़ा कठिन तो है, पर असंभव नहीं. बहरहाल, भागमभाग के वर्तमान समय में कई बार छात्र-छात्राएं बहुत तेज गति से कई चौराहों को पार करते हुए जीवन पथ पर बहुत दूर निकल जाते हैं, तब कहीं जा कर उन्हें सोचने का वक्त मिलता है कि वाकई वे सही दिशा में बढ़ तो रहे हैं? कई बार तो वे अपने अभिभावक या शिक्षक या मार्गदर्शक से सलाह लेने की जरुरत भी नहीं समझते और कई बार सलाह मिलने पर भी उसपर अमल नहीं करते हैं. परिणामस्वरूप, अपेक्षा के अनुरूप सफलता हाथ नहीं लगती. सच पूछिए तो छात्र-छात्राएं अपने कार्यों की समय-समय पर समीक्षा या रिव्यु करते रहे तो यह यह परेशानी नहीं होती. यह समीक्षा वे खुद कर सकते हैं या किसी के सहयोग से भी कर सकते हैं. उसी प्रकार लगभग सभी विद्यार्थी अध्ययन कार्य में व्यस्त तो रहते हैं, पर कुछ विद्यार्थी ही यथासमय अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं, क्यों कि वे सब संकल्प शक्ति के धनी होते हैं. आइए वैश्विक संकट के मौजूदा समय में आज 'स' अक्षर से शुरू होनेवाले दो शब्दों - समीक्षा और संकल्प की अहमियत पर चर्चा करते हैं. 


आज भारत सहित संसार के सभी देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, व्यापार, आर्थिक-सामाजिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि सभी क्षेत्रों में समीक्षा का दौर प्रारंभ हो चुका है. अपनी-अपनी स्थिति-परिस्थिति के अनुसार हर देश अपनी प्राथमिकताओं की गंभीर समीक्षा कर रहा है. विद्यार्थियों के लिए भी अपने कार्यकलाप और कार्ययोजना की समीक्षा का यह विशेष समय है. समीक्षा से वे अपरिचित नहीं हैं. रोचक बात है कि समीक्षा का भाव हर विद्यार्थी में बुनियादी रूप से विद्दमान होता है. बचपन से ही अपने कार्य के साथ-साथ दूसरे लोगों के कार्य की समीक्षा जाने-अनजाने सभी करते हैं. पुस्तक समीक्षा, फिल्म समीक्षा या भाई-बहन से लेकर  दोस्त-सहपाठी तक के ड्रेस और स्टाइल पर समीक्षा की बात हो, छात्र-छात्राएं इनमें शामिल रहते हैं. उसी तरह विद्यार्थी अपने कार्यकलाप की समीक्षा भी करते रहते हैं, बेशक यदाकदा. ऐसा इसलिए कि हमें बाहर देखने की आदत अधिक होती है, अंदर देखने की कम. हां, बुद्धिमान विद्यार्थी अपने काम  की गंभीर समीक्षा का अभ्यस्त होता है. वह अपने संकल्प को  साधने के क्रम में अपने हर एक्शन की समय-समय पर विवेचना और समीक्षा करता है. अपनी गलतियों को ढूंढने का प्रयास करता  है और उससे जरुरी सबक लेता है. इससे उसे आगे और बेहतर तरीके से अपनी कार्य योजना को अंजाम देने और जरुरी हो तो कोर्स करेक्शन में भी मदद मिलती है. इस प्रक्रिया में  उसे जहां भी कोई कनफूजन होता है, वह अपने अभिभावक या मेंटर से सलाह लेने में पीछे नहीं रहता है.


ज्ञानीजन बराबर कहते रहे हैं कि जो विद्यार्थी सोच-विचार कर संकल्प लेता है और उससे  प्रतिबद्ध रहता है, उसके लिए कर्मपथ पर चलना एक साधना के समान हो जाता है और फिर तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि संकल्पित होते ही वह पॉजिटिव फील करने लगता है और उसकी आंतरिक शक्ति बढ़ने लगती है, जो कार्य विशेष को सफ़ल बनाने में बहुत सहायक होता  है. दरअसल, किसी भी विद्यार्थी में शक्ति की कमी नही होती, बस संकल्प की कमी होती हैं. संकल्प के अभाव में छात्र-छात्राएं सफ़लता के निकट पहुंच कर भी असफल हो जाते हैं. कहने का अभिप्राय यह कि किसी कार्य का असंभव  या संभव होना विद्यार्थी विशेष के संकल्प पर निर्भर करता हैं.  


स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री व महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार पटेल हों या हॉकी के जादूगर कहे जानेवाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद  या दक्षिण अफ्रीका के महान नेता व पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला या सिंगापुर के युगपुरुष व पूर्व प्रधानमन्त्री ली कुआन यू  या  देश के महान स्पेस साइंटिस्ट विक्रम साराभाई या विश्व प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट आलराउंडर कपिल देव, सबने अपने-अपने क्षेत्र में अपने संकल्प को  निष्ठापूर्वक साधते हुए तथा निरंतर अपने प्रदर्शन की बेबाक समीक्षा करते हुए देश-विदेश में अपनी सफलता का झंडा बुलंद किया. मेरी तो स्पष्ट मान्यता है कि हमारे विद्यार्थियों में असीम क्षमता है और उनमें अनेक खूबियां भी मौजूद हैं. बस आज जरुरत इस बात की है कि समीक्षा और संकल्प की अहमियत को समझते हुए देश का युवावर्ग अपने और देश के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को हासिल करने हेतु कर्मपथ पर दृढ़ता से सतत आगे बढ़ता रहे. 

 (hellomilansinha@gmail.com)  

      
                         और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 10.05.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

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