Wednesday, January 4, 2017

यात्रा के रंग : अब पुरी की ओर -3 (साक्षी गोपाल)

                                                                                                - मिलन सिन्हा  
गतांक से आगे... सुबह जब नींद खुली तो ट्रेन एक छोटे से स्टेशन पर खड़ी थी. नाम था – साक्षी गोपाल.  वहाँ से पुरी की दूरी करीब 20 किलोमीटर थी. यह स्थान एक धार्मिक प्रसंग से जुड़ा है, ऐसा लोग कहते हैं. कथा कुछ ऐसी है : एक बार श्री कृष्ण अर्थात गोपाल दो ब्राह्मणों के बीच एक विवाद के निबटारे के सिलसिले में गवाह यानी साक्षी के रूप में यहाँ आये थे और इस स्थान की प्राकृतिक सुन्दरता से प्रभावित होकर कुछ दिनों तक रुके थे. कहने का तात्पर्य यह कि साक्षी देने के लिए गोपाल यहाँ आये थे, लिहाजा यह स्थान साक्षी गोपाल के नाम से जाना जाता है. स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर मुख्य मंदिर है जहाँ श्री गोपाल की मूर्ति स्थापित है. इस स्थान को सत्यवादीपुर के नाम से भी जाना जाता है.

खैर, स्टेशन पर चाय, समोसा, चनाचूर आदि के स्थान पर सुबह-सुबह डाब अर्थात नारियल पानी बेचते कई लोग दिखे, वह भी बिलकुल ताजा और सस्ता भी. बहुत अच्छा लगा. शायद आप जानना चाहें, आखिर क्यों? तो बताते चलें कि स्वास्थ्य की दृष्टि से डाब एक बेहतर प्राकृतिक पेय है. इसमें काफी  मात्रा  में विटामिन - सी, मैग्नीशियम, पौटेशियम और दूसरे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं. माना जाता है कि सुबह - सुबह नारियल पानी पीना ज्यादा फायदेमंद होता है. यह हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखने,  रक्त चाप को नियंत्रित करने और सिरदर्द एवं माइग्रेन को कम  करने के साथ –साथ  हमारी अन्य कई शारीरिक समस्याओं में लाभकारी  सिद्ध  होता है. इसमें अपेक्षाकृत कम शूगर एवं फैट होने के कारण इसे  एक उपयुक्त  एनर्जी और स्पोर्ट्स ड्रिंक भी  माना जाता है.

ट्रेन आगे बढ़ी तो रेलवे लाइन के दोनों ओर दूर तक नारियल के पेड़ दिखते रहे, पूरे फलदार. सागर तट निकट आने का एहसास भी होता गया. हम पुरी पहुंचने को थे. पुरी अर्थात पुरुषोत्तम पुरी अर्थात जगन्नाथ पुरी ओड़िशा का एक छोटा शहर है; जिला मुख्यालय भी है. इसी जिले में विश्व प्रसिद्ध ‘कोणार्क मंदिर’ और ‘चिल्का लेक’ भी है. 
जिले में करीब आधा दर्जन मौसमी नदियों का जाल बिछा है. ये सभी मुख्यतः महानदी की शाखाएं हैं.  पुरी शहर की आबादी करीब तीन लाख है. धान यहाँ का मुख्य फसल है. ज्यादातर लोग छोटे व्यवसाय और कृषि से जुड़े हैं. ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर से यह ऐतिहासिक शहर करीब 60 किलोमीटर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के समुद्र किनारे अवस्थित है. कई कारणों से पुरी पूरे देशभर के पर्यटकों के लिए बेहद पसंदीदा स्थल रहा है – बारहवीं शताब्दी में बना विश्व विख्यात जगन्नाथ मंदिर, दूर तक फैला खूबसूरत समुद्र तट, वहां के आतिथ्य पसंद लोग के साथ-साथ  रहने एवं खाने-पीने की बेहतर एवं अपेक्षाकृत सस्ती व्यवस्था. निश्चित ही ये सब भी अहम कारण होंगे कि रोजाना यहाँ औसतन 50 हजार पर्यटक आते हैं. .... आगे जारी ...

                   और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
# साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' में प्रकाशित 

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