Thursday, September 24, 2020

सिर्फ विज्ञापन नहीं

                    - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

बाजारवाद के मौजूदा दौर में कमोबेश सभी विद्यार्थियों के जीवन में विज्ञापन का असर देखा जा सकता है. यह एकदम सामान्य बात है. देश-विदेश की छोटी-बड़ी कम्पनियां अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेस को बाजार में स्थापित करने और उस कारोबार के मार्फ़त अच्छा लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापन का इस्तेमाल करती हैं.
बोतल बंद पीने के पानी से लेकर टूथपेस्ट, साबुन, जूते, कपड़े, कोल्ड ड्रिंक्स, कलम, मोबाइल, लैपटॉप, साइकिल, स्कूटर, कार, आटा, दाल, चावल, मसाला कोई भी ऐसी वस्तु या सेवा नहीं है जिसका विज्ञापन नहीं हो रहा है और विद्यार्थियों सहित सब लोग  उससे कम या ज्यादा प्रभावित नहीं हो रहे हैं. इतना ही नहीं, कोरोना काल में जब क्लास रूम पढ़ाई नहीं हो पा रही है, ऑनलाइन स्टडी और क्लासेज के लिए कई बड़ी कम्पनियां जाने-माने फ़िल्मी कलाकारों से भी विज्ञापन करवा रहीं हैं. 


विज्ञापन का व्यवसाय बहुत बड़ा और अत्यंत डायनामिक होता है. उपभोक्ता की पसंद-नापसंद, उनका मनोविज्ञान, आसपास के लोगों का उनपर असर, उनकी महत्वाकांक्षा, उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति, मौजूदा परिस्थिति आदि सभी पक्षों का विस्तृत अध्ययन-विश्लेषण किया  जाता है. बाजार में प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट या सर्विसेस की प्राइसिंग, मार्केट शेयर, डिमांड-सप्लाई का अर्थशास्त्र और अन्य स्थिति का आकलन-विवेचन भी गंभीरता से किया जाता है. हां, प्रोडक्ट या सर्विसेस की क्वालिटी का ध्यान भी रखा जाता है, लेकिन विज्ञापन और प्रचार में उसे यथार्थ से ज्यादा अच्छा बताने का प्रचलन आम है. ऐसा इसलिए कि देश में उपभोक्ता संरक्षण कानून और गलत विज्ञापन देने पर दंड का प्रावधान होने के बावजूद प्रोडक्ट या सर्विसेस की विज्ञापित गुणवत्ता को जांचने-परखने की मौजूदा व्यवस्था कारगर तरीके से काम नहीं करती है. परिणाम स्वरुप बहुत सारी सब-स्टैण्डर्ड चीजें और सर्विसेस विज्ञापन और प्रचार के बलबूते बाजार में न केवल कायम है, बल्कि अच्छा बिज़नस भी कर रही हैं. 


सभी विद्यार्थी जानते हैं कि हर कंपनी चाहती है कि उसके ग्राहकों की संख्या निरंतर बढ़े और प्रॉफिट भी.
भारत जैसे युवा देश में छात्र-छात्राएं एक  बड़ा ग्राहक वर्ग है. यह वर्ग कभी भी बाजार में किसी वस्तु या सेवा को मजबूत या कमजोर स्थिति में लाने का बड़ा कारण बन सकता है. अतः कम्पनियां छात्र-छात्राओं द्वारा उपयोग में लानेवाली चीजों के विज्ञापन पर बहुत ज्यादा फोकस करती हैं, जिससे कि उनके अवचेतन मन पर उसकी गहरी छाप पड़े और वे उसे खरीदने को आतुर हो जाएं. यहां सभी विद्यार्थियों के लिए यह जानना जरुरी है कि अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स और सर्विसेस के कारोबार में संलग्न कम्पनियां न्यूनतम विज्ञापन से सालों-साल तक मार्केट में अपना स्थान बनाए रखती हैं, क्यों कि वे इस शाश्वत सत्य को जानते हैं  कि किसी भी उत्पाद या सर्विस का संतुष्ट ग्राहक ही उसका चलता-फिरता एवं अत्यंत प्रभावी विज्ञापन होता है. तो सवाल है कि विज्ञापन से भरे इस बाजार में विद्यार्थियों को क्या करना चाहिए? 


इन पांच अहम बातों को याद रखकर कार्य करें.
1) सिर्फ विज्ञापन और प्रचार से आकर्षित होकर  किसी भी प्रोडक्ट और सर्विस का उपयोग करने के बजाय गुणवत्ता और कीमत के आधार पर उनका इस्तेमाल करने का संकल्प लें. 2) किसी भी दोस्त या सहपाठी के देखादेखी तुरत कोई निर्णय न लें. खुद सोच-विचार और तुलना-विश्लेषण करें और फिर जो उचित लगे, वहां पैसा खर्च करें. 3) शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए कौन सी चीजें इस समय एकदम जरुरी है, इसका ध्यान रखते हुए क्वालिटी चीजें ही खरीदें. कहने का अभिप्राय यह है कि किसी सेलेब्रिटी को किसी ब्रांड का कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, कॉस्मेटिक्स आदि का उपयोग करते देख या किसी फिल्म स्टार को किसी ऑनलाइन क्लास को उत्कृष्ट बताने पर बिना सोचे-समझे उन प्रोडक्ट्स का उपयोग करना या उस ऑनलाइन क्लास को ज्वाइन करना कोई समझदारी नहीं  है. 4) सेल या डिस्काउंट के आकर्षण-प्रलोभन में एक साथ बहुत चीजें न खरीदें. सिर्फ वही खरीदें जिसका फिलहाल उपयोग करना है और 5) कभी न भूलें कि जो भी कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस के विज्ञापन और प्रचार में बहुत ज्यादा पैसा खर्च करती है, वह सामान्यतः क्वालिटी से समझौता करती है और आखिरकार इस सबकी वसूली उपभोक्ता के पॉकेट से ही करती है. कहने का आशय यह कि छात्र-छात्राएं अपनी शिक्षा का सही उपयोग करते हुए सदा एक जागरूक और समझदार उपभोक्ता का रोल अदा करें और विज्ञापन को जानकारी का सिर्फ एक माध्यम समझें.

  (hellomilansinha@gmail.com)       

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 12.07.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

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