Monday, September 21, 2020

दो कल के बीच वर्तमान का उपहार

                    - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

विश्व विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन कहते हैं कि 'कल से सीखो, आज के लिए जीओ, कल के लिए सपने देखो और सबसे जरुरी बात यह कि कभी भी रुको मत.'
सचमुच सभी छात्र-छात्राओं का समय सपने देखने और उनको सच करने के क्रम में कल, आज और कल के बीच से गुजरता है. अपने काउंसलिंग सेशन में वैसे हर विद्यार्थी से जो समय की कमी और बेहतर परफॉर्म न कर पाने की बात करते हैं, आग्रह करता हूँ कि सिर्फ एक हफ्ते तक रोजाना रात में सोने से पहले एक नोट पैड में ईमानदारी से यह लिखें कि उन्होंने कितने घंटे अतीत की दुखभरी बातों को याद करने में बिताए, भविष्य के सोच में आशंका व चिंता से ग्रस्त रहे और कितने घंटे वाकई तन्मयता से अध्ययन में बिताए. सामान्यतः  यह बात साफ़ तौर पर सामने आती है कि पास्ट और फ्यूचर की बातों में उनका ज्यादातर समय गुजर जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता. कदाचित वे महसूस करते हैं कि यह ठीक नहीं है, लेकिन अगले दिन उनका समय अतीत की कुछ ऐसी ही नेगेटिव बातों को याद करने में या भविष्य की दुश्चिंताओं में गुजरता है. परिणाम स्वरुप अपने लक्ष्य के अनुरूप सकारात्मक सोच के साथ आज को जीने के लिए उनके पास समय कम पड़ जाता है. 

 
हां, यह सही है कि किसी भी विद्यार्थी के लिए शायद ही संभव होगा कि वह दिनभर में कभी भी अतीत या भविष्य में विचरण न करें, लेकिन क्या यह मुनासिब नहीं है कि एक बार ठीक से अतीत और भविष्य यानी दोनों कल के विषय में अपना माइंड क्लियर कर लें? 
चलिए, अभी कुछ सोच-विचार कर लेते हैं. मजेदार बात है कि एक दिन पहले के आज को बीता हुआ कल यानी अतीत कहते है और एक दिन बाद आनेवाले आज को भी कल ही कहते है, लेकिन मतलब भविष्य होता है. यही न. तो साफ़ है कि दोनों कल वाकई आज ही था या होगा समय के एक अंतराल के बीच. फिल्म "हम हिन्दुस्तानी" का यह गाना कि " छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी..." या फिल्म "कसमे-वादे" का यह गाना "कल क्या होगा किसको पता अभी जिंदगी का ले लो मजा..." दोनों गानों में अतीत और भविष्य की बातों को छोड़कर आज में जीने का संदेश साफ़ है. फिर विद्यार्थियों को क्या करना चाहिए?


महात्मा बुद्ध का कहना है कि 'मन और शरीर दोनों के लिए स्वास्थ्य  का रहस्य यह है कि  अतीत पर शोक मत करो और ना ही भविष्य की चिंता करो, बल्कि बुद्धिमानी तथा  ईमानदारी  से वर्तमान में जीओ.' 
तो  छात्र-छात्राएं सर्वप्रथम  यह संकल्प करें कि अभी से वे वर्तमान यानी प्रेजेंट में जीयेंगे. प्रेजेंट का एक अर्थ उपहार भी है और शायद इसी को रेखांकित करता है आज का समय यानी वर्तमान, जो वाकई  एक अमूल्य उपहार है. हां, इस संकल्प को हमेशा याद रखना है और मन ही मन दोहराना भी है. ऐसा इसलिए कि जब भी मन अतीत या भविष्य में जाए और नेगेटिविटी के जाल में फंसने लगे तो वे प्रेजेंट में तुरत लौट सकें.  यहां इस बात को नहीं भूलना चाहिए  कि अतीत का पूरा समय बीते हुए वर्तमान का कुल योग होता है और भूतकाल के इस बड़े काल खंड में सभी विद्यार्थियों ने अनेक काम किए हैं और बहुत-सा अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त  किया है. ये अनुभव  उनके  धरोहर हैं  और आगे बहुत काम आनेवाले हैं अगर वे  इनसे मिले सबक और सीख को वर्तमान में अर्थात आज उपयोग में ला सकें. अतीत की असफलताओं और गलतियों को सिर्फ याद कर निराश और दुखी होने का कोई फायदा नहीं. आगे वही गलती न करें तो कुछ बात बने. दूसरा, अतीत की जो सफलताएं या अच्छी यादें आपके स्मृति में हैं, उन्हें अच्छी तरह संजो कर रखें. उन्हें जीवंत बनाए रखना आपको अच्छे कार्य में संलग्न रहने को उत्प्रेरित करता रहेगा. तीसरा यह कि भविष्य के लिए जो सपने देखें हैं या जहां पहुंचना चाहते हैं यानी जो आपका बड़ा लक्ष्य है, उसके लिए एक प्रैक्टिकल और फुलप्रूफ कार्ययोजना तैयार करके चलें. यकीनन, इन्हें साधने के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को आज पर पूरा फोकस करना होगा क्यों कि वे आज जो कुछ करते हैं, वही हकीकत है और सबसे अधिक अहम.  


महात्मा गांधी भी कहते हैं कि 'हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या करते हैं.'  आपने यह भी सुना ही है कि 'काल करो सो आज कर, आज करो सो अभी.' तो बस इस सिद्धांत को दृढ़ता से अपनाकर हर दिन को एक महत्वपूर्ण दिन मानें और फिर आज यानी वर्तमान के अच्छे कार्य व प्रयास को खूब एन्जॉय करते हुए अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ते चलें. निसंदेह, सफलता और ख़ुशी दोनों मिलेगी. 

 (hellomilansinha@gmail.com)    

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 05.07.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

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