Thursday, September 3, 2020

प्रकृति से जुड़ने के असीमित फायदे

                      - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

कोविड 19 से बचावरूपी लॉक डाउन के कारण बेशक हमें कई छोटी-बड़ी तकलीफों से गुजरना पड़ा हो, लेकिन इसी अवधि में प्रकृति ने अपना जो रूप हम सबको दिखाया है, वह बेहद उत्साहवर्धक और खूबसूरत है. दिल्ली में दशकों से प्रदूषण से जूझती यमुना नदी तक स्वच्छ दिखने लगी, तीन सौ किलोमीटर दूर से हिमालय पर्वत श्रृंखला के छोटे-बड़े पहाड़ साफ़ नजर आने लगे, तितली- चिड़िया-जानवर उन्मुक्त विचरण करते दिखे, ध्वनि-जल-वायु प्रदूषण से दुष्प्रभावित रहनेवाले अनेकानेक मरीज बिना किसी मेडिसिन के अच्छा फील करने लगे. यकीनन, इससे हमें  प्रकृति के अनेक संदेश प्राप्त हुए.
सभी ज्ञानीजन बारबार कहते हैं कि प्रकृति हम सबका उत्तम  शिक्षक, मार्गदर्शक और सखा है, जो हमेशा हमारे कल्याण हेतु समर्पित है. जिसको भी प्रकृति को जानने, समझने और उससे सीखने की आदत लग जाती है, उसे ज्ञान और बुद्धि का अभाव नहीं रहता. 


जीने के लिए हमें क्या चाहिए सवाल के उत्तर में लगभग सभी विद्यार्थी पहले रोटी, कपड़ा और मकान की बात करते हैं. लेकिन क्या यही सबसे जरुरी चीजें हैं या और कुछ? सोचनेवाली बात है कि वे उन तीन चीजों की चर्चा नहीं करते जिसके बिना  जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते और रोटी, कपड़ा और मकान भी इन्हीं तीन चीजों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है. क्या है ये तीन चीजें? हवा, पानी और धूप. चूंकि ये तीनों चीज प्रकृति द्वारा सबको  मुफ्त में मिल जाती हैं, शायद इसलिए कोई इन्हें गिनती में नहीं रखता. सभी विद्यार्थियों के लिए यह चिंतन का एक अहम विषय होना चाहिए, खासकर विश्वव्यापी संकट की इस घड़ी में कि क्या हम हवा के बिना जी सकते हैं, क्या हम पानी के बिना रह सकते हैं और क्या धूप और सूरज की किरणों के बिना जीवन संभव है? मुझे विश्वास है कि इस चिंतन-विश्लेषण के बाद लगभग सभी विद्यार्थियों को प्रकृति की महिमा का बेहतर एहसास होगा और वे खुद प्रकृति के साथ जुड़ने और अपने आसपास के लोगों को जोड़ने का सार्थक प्रयास अवश्य करेंगे. सच कहें तो प्रकृति से जुड़ने और जोड़ने का काम बहुत आसान, आनंददायक और हर दृष्टि से लाभप्रद है. आइए जानते हैं, कैसे? 


सदियों से विविधता में एकता में विश्वास करनेवाले इस प्राचीन तथा प्रगतिशील देश में जैव विविधता की आवश्यकता और खूबसूरती दोनों की बहुत अहमियत है. लिहाजा जैव विविधता  को बचाए और बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों को कुछ-न-कुछ करना चाहिए. सनातन भावना यह है कि हम साथ-साथ हैं और मिलकर प्रगति पथ पर अग्रसर होंगे. कहते हैं अच्छा काम करने के लिए हर वक्त अच्छा होता है. सो, विद्यार्थी आज से ही शुरू करें प्रकृति से सार्थक रिश्ता बनाने का सिलसिला. सुबह  सूर्योदय के समय उठें और अपने कमरे से बाहर निकल कर सूरज को उगते हुए देखें. आसपास की प्राकृतिक सक्रियता को महसूस करें. मसलन पशु-पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों और पेड़-पौधों की सक्रियता. ऐसा अनुभव होगा कि सब कुछ प्रकृति द्वारा निर्धारित एक अलिखित नियम के तहत स्वतः हो रहा है. अब एक छोटी शुरुआत करें. जहां हैं - गांव, क़स्बा, नगर, महानगर वहां एक छोटा पौधा लगाएं. तुलसी, नीम, पीपल, आम, कटहल, नींबू, आंवला या अन्य कोई  पौधा जो फलदार, फूलदार या छायादार प्रजाति का हो. उसे रोज पानी दें, उसे निहारें, उसमें होनेवाले हर परिवर्तन को गौर से ऑब्जर्व करें, रोज 5-10 मिनट ही सही. विश्वास करें, जिस दिन उस पौधे से आपका भावनात्मक रिश्ता कायम हो जाएगा, उसके नए पत्ते, फूल आदि सब आपको आकर्षित और आनंदित करेंगे. प्रकृति से जुड़ने के इन प्रयासों को दिनचर्या का हिस्सा बना लें. 


हमारे देश के शहर-महानगर में रहनेवाले लोग छुट्टियों में अपने गांव या किसी प्राकृतिक स्थान में कुछ वक्त बिताकर हैप्पी और हेल्दी फील करते हैं. स्कूल-कॉलेज के अनेक विद्यार्थियों को स्टडी टूर में प्राकृतिक परिवेश में कुछ समय बिताने और एक अभिनव आनंद का भागी बनने का मौका मिलता है. तालाब, झील, नदी और सागर की  निकटता से  क्रिएटिविटी को पंख लगते हैं. इसका सबूत है करोड़ों रचनाएं और असंख्य कलाकृतियां. इतना ही नहीं न्यूटन सहित कई वैज्ञानिकों  ने प्रकृति के मिजाज एवं रीति-नीति को जानने-समझने के क्रम में कई बड़े आविष्कार किए. सच कहें तो प्रकृति विद्यार्थियों के लिए असीमित ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत है. प्रकृति के सानिद्ध में रहने से आंतरिक और अध्यात्मिक उर्जा में वृद्धि होती है. उनका सोच ग्लोबल, इंक्लूसिव और डेमोक्रेटिक बनता है. उन्हें प्रकृति और हर जीव के बीच के अत्यंत गहरे संबंध का बोध होता है.
तभी तो अल्बर्ट आइंस्टीन कहते हैं, "प्रकृति में गहराई से देखिये और आप हर एक चीज बेहतर ढंग से समझ सकेंगे."  

 (hellomilansinha@gmail.com)     

     
               
                    और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 14.06.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

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