Tuesday, July 29, 2014

राजनीति: नेताओं के कहने व करने में बड़ा फर्क

                                                                                 - मिलन सिन्हा
Displaying BP896472-large.pngअपवादों को छोड़ दें तो आजकल भारतीय राजनीति के बड़े -छोटे सभी नेता राजनीति को सेवा का पर्याय बताने में जुटे रहते हैं, लेकिन अपने राजनीतिक विरोधियों के आरोपों  को 'राजनीति से प्रेरित ' कहकर ख़ारिज करने की कोशिश भी करते रहते हैं । आखिर ऐसा क्यों और कैसे संभव है ? अगर राजनीति वाकई सेवा नीति है तो  राजनीति से प्रेरित बात बुरी और अमान्य कैसे हो सकती है ! फिर मौजूदा राजनीति में विचार -व्यवहार एवं कथनी -करनी में इतना अन्तर होने और दीखने का सबब क्या है; राजनीति के स्तर में गिरावट क्यों है ? 

 देश के विभाजन की  बुनियाद पर मिली आजादी के साथ ही भारतीयता और नैतिकता में  क्षरण की शुरुआत हुई । स्वतन्त्रता आन्दोलन में पले -बढ़े  देश भक्त नेता -कार्यकर्त्ता इसे सम्हालने का प्रयास करते रहे । लेकिन लाल बहादुर शास्त्री के  निधन के बाद सत्ता के लिए राजनीतिक जोड़ -तोड़  ने देश में भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने का काम किया जो आपातकाल के काले अध्याय से गुजरता हुआ आज यहां तक पहुँच चुका है । नेताओं ने सादा जीवन, उच्च विचार के सिद्धान्त और संस्कार को तिलांजलि दे दी और  आडंबर, विलासिता, भाई -भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को अंगीकार कर लिया । रोकने -टोकने वाली सरकारी मशीनरी में जंग लगने लगे । इस बीच लोकतन्त्र के चारों स्तम्भों को सुनियोजित ढंग से कमजोर करने का काम भी चलता रहा ।  जहाँ तक कानून के सामने सबकी समानता के सिद्धांत का प्रश्न है, सरकार  इसकी दुहाई तो देती रही,  पर जमीनी हकीकत  भिन्न बनी रही । 

देश  की राजनीति में प्रकाश स्तम्भ रहे गांधी, अम्बेदकर, लोहिया, जय प्रकाश, दीन दयाल और नम्बूदरीपाद सरीखे  नेताओं के नाम पर राजनीति करने वाले और खुद को उनका सच्चा अनुयायी बतानेवाले ही आज की राजनीति के शीर्ष पर बैठे हैं, सत्तारूढ़ भी हैं या रहे हैं  और  मंच से कमोवेश वही बातें कर  रहे हैं, परन्तु उनके कहने और करने में  बड़ा फर्क आ गया है - मात्र उसी से आज की राजनीति परिभाषित हो जाती है । ऐसे सभी नेताओं को लोहिया द्वारा लोक सभा में 4  अगस्त 1967 को दिए गए भाषण को कम से कम एक बार जरूर पढ़ना चाहिए । शायद इससे कुछ फर्क पड़ जाए । 

                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

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