-मिलन सिन्हा
देश-विदेश कहीं भी,नियोक्ता एक अच्छे पद पर नियुक्ति के लिए नार्मल योग्यता के साथ -साथ एक विशेष योग्यता की तलाश हर अभ्यार्थी में करते हैं और वह है लीडरशीप क़्वालिटी।पर यह लीडरशीप क़्वालिटी आखिर किसे कहते हैं? वह जो हम आम राजनीतिक नेता में देखते हैं- बोलो कुछ , करो कुछ ; अपने लिए अलग नियम, दूसरे के लिए अलग; तीव्र गति से धन इकठ्ठा करने की चाह लिये पावर के पीछे भागने की ललक आदि। नहीं, बिल्कुल नहीं। सच्चे मायने में लीडर या नेता वह नहीं जो सिर्फ लेता हो, अपितु वह जो दिल खोल कर देता हो। लीडर को सरल एवं सटीक रूप से परिभाषित करने की कोशिश करें तो कहना होगा कि ऐसा शख्स जो जानता है कि किस रास्ते पर चलना है, उसकी अच्छाई - बुराई क्या है, आसानी -परेशानी क्या है; वह लोगों को उस रास्ते पर चलने को प्रेरित कर सकता है, उनका सही मार्ग दर्शन करने में सक्षम है और सबसे महत्वपूर्ण यह कि जरुरत के अनुसार खुद सबसे पहले उस कठिन व चुनौती भरे मार्ग पर सहर्ष चल पड़े। सबके साथ आगे बढ़ने में जिन्हें खुशी मिले, जिनके विचार तथा व्यवहार में एकरूपता रहे; जो असाधारण होते हुए भी साधारण रहें व साधारण दिखें।
महात्मा गांधी के जीवन पर नजर डालें तो ये सारे लीडरशीप क़्वालिटी स्पष्ट दिखाई पड़ जाएंगे। अपने देश में आजादी के बाद के नेताओं को देखें तो लालबहादुर शास्त्री से लेकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण तक अनेक नेता इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।बड़ी कम्पनियां, बड़ी संस्थाएं आदि सिर्फ नियम कानून के बूते नहीं खड़ी हो जाती हैं। उसे खड़ा करने में उस लीडर की अहम भूमिका होती है जो नई चीजें सीखने से लेकर उसे जमीन पर सहजता से उतारने में सक्षम भी होता है और उपलब्धियों का श्रेय सबमें बांटने में दक्ष व सहृदय।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
देश-विदेश कहीं भी,नियोक्ता एक अच्छे पद पर नियुक्ति के लिए नार्मल योग्यता के साथ -साथ एक विशेष योग्यता की तलाश हर अभ्यार्थी में करते हैं और वह है लीडरशीप क़्वालिटी।पर यह लीडरशीप क़्वालिटी आखिर किसे कहते हैं? वह जो हम आम राजनीतिक नेता में देखते हैं- बोलो कुछ , करो कुछ ; अपने लिए अलग नियम, दूसरे के लिए अलग; तीव्र गति से धन इकठ्ठा करने की चाह लिये पावर के पीछे भागने की ललक आदि। नहीं, बिल्कुल नहीं। सच्चे मायने में लीडर या नेता वह नहीं जो सिर्फ लेता हो, अपितु वह जो दिल खोल कर देता हो। लीडर को सरल एवं सटीक रूप से परिभाषित करने की कोशिश करें तो कहना होगा कि ऐसा शख्स जो जानता है कि किस रास्ते पर चलना है, उसकी अच्छाई - बुराई क्या है, आसानी -परेशानी क्या है; वह लोगों को उस रास्ते पर चलने को प्रेरित कर सकता है, उनका सही मार्ग दर्शन करने में सक्षम है और सबसे महत्वपूर्ण यह कि जरुरत के अनुसार खुद सबसे पहले उस कठिन व चुनौती भरे मार्ग पर सहर्ष चल पड़े। सबके साथ आगे बढ़ने में जिन्हें खुशी मिले, जिनके विचार तथा व्यवहार में एकरूपता रहे; जो असाधारण होते हुए भी साधारण रहें व साधारण दिखें।
महात्मा गांधी के जीवन पर नजर डालें तो ये सारे लीडरशीप क़्वालिटी स्पष्ट दिखाई पड़ जाएंगे। अपने देश में आजादी के बाद के नेताओं को देखें तो लालबहादुर शास्त्री से लेकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण तक अनेक नेता इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।बड़ी कम्पनियां, बड़ी संस्थाएं आदि सिर्फ नियम कानून के बूते नहीं खड़ी हो जाती हैं। उसे खड़ा करने में उस लीडर की अहम भूमिका होती है जो नई चीजें सीखने से लेकर उसे जमीन पर सहजता से उतारने में सक्षम भी होता है और उपलब्धियों का श्रेय सबमें बांटने में दक्ष व सहृदय।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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