- मिलन सिन्हा, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट
Friday, November 21, 2025
Monday, October 13, 2025
स्ट्रेस मैनेजमेंट पॉइंट: बदले की नहीं, बदलने की भावना
- मिलन सिन्हा, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट
सच यह है कि ऐसा होना अस्वाभाविक नहीं है. आम तौर पर लगभग सबका रिएक्शन कमोबेश ऐसा ही होता है. शायद आपका भी हो. घटना याद आते ही बदले की भावना बलवती हो जाती है. मन अशांत हो जाता है. है न ?
यहां विचारणीय बात यह है कि घटना-दुर्घटना को घटे कई महीने हो गए हैं और जब ऐसा हुआ उस समय आप वहां थे भी नहीं. जैसा आपको बताया गया आप उस पर रियेक्ट कर रहे हैं. जिनके साथ हुआ, जैसे इस मामले में विद्यार्थी के पिता के साथ, वे वहीँ रह रहे हैं और उनका वह रिश्तेदार भी. उनमें इस बीच फिर वैसी कोई गलत बात नहीं हुई और न ही आपके पिता जी ने आपसे उस रिश्तेदार से बदला लेने की बात ही की. फिर भी आप उस बात को सोच-सोचकर परेशान रहते हैं और अपनी पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते हैं. तो इसमें नुकसान किसको हो रहा है और क्या सोचने मात्र से समस्या का समाधान हो जाएगा? यक़ीनन नुकसान आपका ही होगा और समाधान भी नहीं मिलेगा. मुफ्त में तनावग्रस्त रहेंगे सो अलग. तो फिर आप क्या करें?
अब से जब भी उस बात की याद आए, अपने मन को समझाएं कि जो बीत गई वह बात गई. अपने मन से कहें कि हमारे वह रिश्तेदार थोड़े नासमझ हैं जो उन्होंने ऐसा गलत व्यवहार जाने-अनजाने किया. फिर भी मैं उनको माफ करता हूँ. इसके बाद दो मिनट ध्यान में बैठें और सिर्फ अपने सांस को आते-जाते सजगता से देखिए. पूरा ध्यान श्वास-प्रश्वास पर लगाएं. मन शांत होगा.
आगे जब भी ऐसा ख्याल आए, अपने मन को हर बार इसी तरह समझाते रहें और साथ ही गुणीजनों के इस कथन को भी मन-ही-मन दोहराएं कि मेरा आत्मबल मजबूत है क्यों कि कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है. यहां अमेरिकी लेखक-विचारक बर्नार्ड मेल्ट्जर के इस कथन से भी प्रेरणा लेनी चाहिए कि जब आप माफ करते हैं तब आप अतीत को नहीं बदलते हैं – लेकिन आप निश्चित रूप से भविष्य को बदल देते हैं. (hellomilansinha@gmail.com)
Friday, July 4, 2025
स्वामी विवेकानन्द - संकल्प, संयम, कर्म व देशप्रेम के प्रतीक
- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
संकल्प, संयम, कर्म के प्रति निष्ठा और देशप्रेम की भावना स्वामी विवेकानंद (जन्म : 12 जनवरी, 1863, देहावसान : 4 जुलाई, 1902) के जीवन की कहानी खुद कहता है. इन विषयों पर उनके विचार हर व्यक्ति के लिए हमेशा प्रेरणादायक थे, हैं और रहेंगे. आइए, इन विषयों पर व्यक्त उनके विचारों से प्रेरणा लेते हैं.
संकल्प: जिस समय जिस काम का संकल्प करो, उस काम को उसी समय पूरा करो, अन्यथा लोग आप पर विश्वास नहीं करेंगे... ... जब तुम कोई कर्म करो, तब अन्य किसी बात का विचार ही मत करो. उसे एक उपासना के रूप में करो और उस समय उसमें अपना सारा तन-मन लगा दो... ...उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
संयम: किसी भी काम को अच्छी तरह करने के लिए जरूरी है एकाग्रता.... ....हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है.... .... मन का विकास करो तथा उसका संयम करो. उसके बाद जहां इच्छा हो, वहां इसका प्रयोग करो. इससे जल्दी सफलता मिलेगी.
कर्म: मनुष्य के रूप में हमारा पहला कर्तव्य यह है कि अपने प्रति घृणा न करें, क्योंकि आगे बढ़ने के लिए यह आवश्यक है कि पहले हम स्वयं में विश्वास रखें ... ...प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह अपना आदर्श लेकर उसे चरितार्थ करने का प्रयत्न करें. दूसरों के ऐसे आदर्शों को लेकर चलने की अपेक्षा, जिनको वह पूरा ही नहीं कर सकता, अपने ही आदर्श का अनुसरण करना सफलता का अधिक निश्चित मार्ग है.
देशप्रेम: हमारा पवित्र देश भारत धर्म, दर्शन, अध्यात्म, प्रेम और मधुरता की पुण्य भूमि है. इन बातों में संसार के अन्य देशों की अपेक्षा हमारा देश अब भी श्रेष्ठ है. यहीं अनेक बड़े-बड़े महात्माओं एवं ऋषियों का जन्म हुआ है. यह संन्यास और त्याग की भूमि है. आदिकाल से अबतक यहां मानव जीवन के लिए सर्वोच्च आदर्श का द्वार खुला हुआ है.
आज स्वामी जी को सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी कि हर भारतवासी स्वामी जी के व्यक्तित्व से सच्ची प्रेरणा लेकर देश को आत्मनिर्भर, समृद्ध और खुशहाल बनाने में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से हरसंभव योगदान करें. (hellomilansinha@gmail.com)
Sunday, March 30, 2025
रिजल्ट जैसा भी आया है, उसे मन से स्वीकार करें
-- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
बिहार बोर्ड की दसवीं अर्थात मेट्रिक परीक्षा का परिणाम आ गया है, जिसमें 82.11% विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए. आमतौर पर रिजल्ट के दिन का माहौल कहीं खुशी, कहीं गम का होता है. खैर, अब जब कि रिजल्ट आ गया है तो खासकर ऐसे विद्यार्थी जिनका रिजल्ट उनकी अपेक्षा के प्रतिकूल या खराब आया है, उन्हें निम्नलिखित बातों पर गंभीरता से सोच-विचार करना चाहिए:
1) जीवन से बड़ा कुछ भी नहीं. आपका जीवन अनमोल है. सफलता-असफलता
सभी के जीवन में आते रहते हैं. जीवन में एक के बाद दूसरी परीक्षा आती रहेगी और आपको
बेहतर से बेहतर परिणाम हासिल करने का अवसर भी मिलता रहेगा. इतिहास के पन्ने ऐसे हजारों रियल लाइफ सक्सेस स्टोरी से भरे
पड़े हैं, जिसमें हर शख्स ने कंफ्यूशियस के इस विचार को अपने कर्मों से
साबित किया है कि 'हमारी महानतम विशालता कभी भी न गिरने
में नहीं, बल्कि गिरने पर हर बार फिर उठ जाने में निहित है.'
2) इस बार रिजल्ट
जैसा भी आया है, उसे मन से स्वीकार करें.
'टेक-इट-इजी' सिद्धांत का पालन करते हुए किसी के भी डांट- फटकार, कटाक्ष, आलोचना, व्यंग्य आदि
को दिल से न लें.
3) किस दोस्त
या सहपाठी को कितने मार्क्स आए, इसको
जानने और इसकी विवेचना-आलोचना से बचें क्यों कि इससे आपके
मार्क्स तो इम्प्रूव नहीं होंगे, उलटे समय की बर्बादी होगी
और नेगेटिव थॉट्स में वृद्धि.
4) दूसरे को दोष देने के बजाय मन ही मन यह दोहरायें - जो
हुआ, ठीक ही हुआ. मैंने जैसी परीक्षा दी, परिणाम कमोबेश उसी के अनुरूप आया; आगे सुधार करेंगे तो बेहतर
होगा रिजल्ट.
5) अगर
रीचेकिंग या इम्प्रूवमेंट का प्रावधान या व्यवस्था है, तो उसका उपयोग करें. अगर मार्क्स या रिजल्ट
में सुधार होता है तो बोनस के रूप में अतिरिक्त ख़ुशी के हकदार बनेंगे.
6) किसी भी
स्थिति में निराश, हताश या तनावग्रस्त होने की बिलकुल जरुरत नहीं है. आवेग या आवेश में किसी भी प्रकार
के आत्मघाती कदम उठाने का विचार तक मन में न लायें.
7) इसके
बावजूद भी अगर तनाव महसूस हो तो थोड़ी देर खुली हवा में आँख बंद कर बैठें और डीप
ब्रीदिंग करें; घर में आपके सबसे प्रिय व्यक्ति से खुल कर बात करें या अपने सबसे
अच्छे दोस्त से बात करें, टीवी आदि पर
कॉमेडी शो का आनन्द लें, पर्याप्त पानी/ मौसमी फल का रस पीएं
और नींद का पूरा लाभ उठाएं. आपका तनाव स्वतः बहुत कम हो जाएगा.
8) इस समय बस
शांति और संयम से खुद को रीऑर्गनाइज करें और एक संकल्प लें कि पीछे कोई भूल
हुई है तो उसे आगे नहीं दोहराएंगे, खूब मेहनत करेंगे और एक प्रभावी रूटीन फॉलो करते हुए आगे जरुर कामयाब
होंगे.
9) माता-पिता सहित घर के सभी बड़ों के सामने अपनी गलती को स्वीकारते हुए उन्हें आगे बेहतर रिजल्ट का आश्वासन दें और उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करें. यकीन मानिए, आपका कल आज से जरुर बेहतर होगा. आप सफल तो होंगे ही, स्वस्थ और आनंदित भी रहेंगे. (hellomilansinha@gmail.com)
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Saturday, January 4, 2025
खुद को परखें खरी कसौटी पर
- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
जीवन गतिशील है. छात्र जीवन की यात्रा रोमांचक होती है और फ़ास्ट भी. इस यात्रा में हर युवा को जीवन के कई मार्गों और कई चौराहों से होकर गुजरना पड़ता है. इस क्रम में कई बार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकना भी पड़ता है. यह सही भी है, क्यों कि इस क्रम में उसे सोच-विचार का एक मौका मिलता है. दरअसल, हर युवा को खुद ही सही दिशा में गतिशील या स्थिर रखने में पारंगत होना पड़ता है, जो थोड़ा कठिन तो है, पर असंभव नहीं. बहरहाल, भागमभाग के मौजूदा दौर में कई बार वे बहुत तेज गति से कई चौराहों को पार करते हुए जीवन पथ पर बहुत दूर निकल जाते हैं, तब कहीं जा कर अपनी यात्रा पर कुछ सोच-विचार करते हैं और अधिकतर मामलों में उन्हें यह पता चलता है कि वे सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं. स्वाभाविक है, वे निराश होते है क्यों कि वे अपेक्षा के विपरीत सफलता से दूर खड़े होते हैं.
साल 2024 की विदाई और साल 2025 के शुभागमन के साथ ही संसार के सभी देशों के सभी कार्यक्षेत्रों - स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, व्यापार, आर्थिक -सामाजिक सेक्टर, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि में समीक्षा और संकल्प का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है. अपनी-अपनी स्थिति-परिस्थिति के अनुसार हर सेक्टर अपनी उपलब्धियों तथा नाकामियों की गंभीर समीक्षा कर रहा है और बेहतर विकास सुनिश्चित करने हेतु नए संकल्प भी ले रहा है. सभी युवाओं के लिए भी बीते वर्ष के अपने कार्यकलापों की समीक्षा और नए वर्ष के लिए संकल्प लेने का यह विशेष अवसर है. तो आइए आज 'स' अक्षर से शुरू होनेवाले दो शब्दों - समीक्षा और संकल्प की अहमियत पर चर्चा करते हैं.
अपने अंदर देखने की डालें आदत: अच्छी बात है कि समीक्षा का भाव हर विद्यार्थी में बुनियादी रूप से विद्दमान होता है. पुस्तक समीक्षा, फिल्म समीक्षा या भाई-बहन से लेकर दोस्त-सहपाठी-सहकर्मी तक के ड्रेस और स्टाइल पर समीक्षा की बात हो, युवा इनमें शामिल रहते हैं. उसी तरह हर युवा अपने कार्यकलाप की समीक्षा भी करते रहते हैं, बेशक यदाकदा. ऐसा इसलिए कि आमतौर पर उन्हें बाहर देखने की आदत अधिक होती है, अंदर देखने की कम. खैर, खुद को सुधारने और निखारने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हर युवा बीते वर्ष में अपनी कार्यशैली और कार्यकलापों की गंभीर और निरपेक्ष समीक्षा खुद ही करें. इसके लिए बीते वर्ष के सभी मुख्य कार्यकलापों को एक स्थान पर नोट करें और फिर इसके सामने अपने प्रयासों के परिणामों – पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों को लिखें. स्वाभाविक रूप से पॉजिटिव और नेगेटिव परिणामों के पीछे के कुछ तो स्पष्ट कारण होंगे, जो उन्हें अच्छी तरह मालूम होते हैं – मसलन मेहनत, निष्ठा, जुनून, नियमितता, एकाग्रता आदि. अब अगर हरेक युवा अपनी इस समीक्षा प्रक्रिया के दौरान निरपेक्ष विश्लेषण और विवेचना करके अपनी अच्छाइयों को और उन्नत करने तथा अपनी कमजोरियों या गलतियों को सुधारने का सबक ले सके तो साल 2025 में उसे अपना बेस्ट देने से कोई रोक नहीं सकता है. हाँ, इस पूरी प्रक्रिया में अगर कहीं बड़ा कनफूजन हो तो अपने अभिभावक या मेंटर से सलाह लेने में संकोच न करें.
बढ़ती है आतंरिक शक्ति: ज्ञानीजन बराबर कहते रहे हैं कि जो युवा सोच-विचार कर संकल्प लेता है और उससे पूर्णतः प्रतिबद्ध रहता है, उसके लिए कर्मपथ पर चलना एक साधना के समान हो जाता है और फिर तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि संकल्पित होते ही वह पॉजिटिव फील करने लगता है और उसकी आंतरिक शक्ति बढ़ने लगती है, फुलप्रूफ कार्य योजना बनती है और उसपर अमल शुरू हो जाता है, जो कार्य विशेष को सफ़ल बनाने में बहुत सहायक होता है. दरअसल, किसी भी युवा में शक्ति की कमी नही होती, बस दृढ़ संकल्प की कमी होती हैं. इसके अभाव में युवा सफ़लता के निकट पहुंच कर भी असफल हो जाते हैं. कहने का अभिप्राय यह कि किसी कार्य का असंभव या संभव होना युवा विशेष के संकल्प पर निर्भर करता हैं. इसलिए पिछले साल को भूलते हुए इस साल अपने हर दिन को एक विशेष दिन बनाने पर ध्यान दें.
स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री व महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार पटेल हों या हॉकी के जादूगर कहे जानेवाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद या दक्षिण अफ्रीका के महान नेता व पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला या सिंगापुर के युगपुरुष व पूर्व प्रधानमन्त्री ली कुआन यू या देश के महान स्पेस साइंटिस्ट विक्रम साराभाई या विश्व प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट आलराउंडर कपिल देव, सबने अपने-अपने क्षेत्र में अपने संकल्प को निष्ठापूर्वक साधते हुए तथा निरंतर अपने प्रदर्शन की बेबाक समीक्षा करते हुए देश-विदेश में अपनी सफलता का झंडा बुलंद किया. मेरी तो स्पष्ट मान्यता है कि हमारे युवाओं में असीम क्षमता है और उनमें अनेक खूबियां भी मौजूद हैं. बस जरुरत इस बात की है कि नववर्ष के मौके पर समीक्षा और संकल्प को यथोचित महत्व देते हुए वे अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने हेतु कर्मपथ पर दृढ़ता से सतत आगे बढ़ें और अपने व देश के लिए वर्ष 2025 को हर तरह से बेस्ट साबित करें. नववर्ष की असीम शुभकामनाएं. (hellomilansinha@gmail.com)








