Tuesday, July 20, 2021

स्टार्टअप की ओर कैसे बढ़ाएं कदम

                              - मिलन  सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड  वेलनेस कंसलटेंट

देश में इस समय शिक्षित युवाओं द्वारा व्यवसाय-व्यापार और रोजगार के क्षेत्र में स्टार्टअप के रूप में एक नई पहल साफ़ दिखाई पड़ रही है. कोरोना महामारी के दौरान रोजगार की  प्रतिकूल परिस्थिति ने इस पहल को गति प्रदान की है. जब कोई गंभीर समस्या हमारे युवाओं के सामने आती है तो देखा गया है कि वे नवाचार और रचनात्मक तरीके से सफलता के रास्ते तलाश लेते है. इसके प्रत्यक्ष अनुभव से हाल ही में मुझे गुजरने का अवसर मिला जब देश भर से प्राप्त सैकड़ों स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स में से उत्तम दस प्रोजेक्ट्स को सेलेक्ट करनेवाले एक निर्णायक मंडल में सक्रिय रूप से जुड़ा. आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी सहित अनेक अच्छे संस्थाओं से शिक्षित छात्र-छात्राओं ने हेल्थ केयर, ट्रेवल मैनेजमेंट, डाइट मैनेजमेंट, लैंग्वेज लर्निंग, डिजिटल हेंडीक्राफ्ट प्रमोशन व मार्केटिंग आदि अनेक विषयों से संबंधित नायाब प्रोजेक्ट्स पेश किए. इनका आकलन-विश्लेषण करने के क्रम में हमने कई बातें नोट की और टॉप टेन प्रोजेक्ट्स के प्रेजेंटेशन सेशन में हमने उन पर चर्चा भी की. बताते चलें कि स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2015 को प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी ने लाल किले से की थी. इसका  उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम  का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सके. 


अवसर हैं बड़े: दरअसल पिछले कुछ सालों में युवाओं  में एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति बढ़ते रुझान के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम में अच्छी उन्नति देखी गई है. नवाचार और जोखिम से जूझने के उनके सकारात्मक जज्बे के कारण यह विश्वास निरंतर मजबूत हो रहा है. टेक्नोलॉजी  का सपोर्ट भी देश में स्टार्टअप की वृद्धि को गति प्रदान कर रहा है.  इंटरनेट की सुलभता, इसका उपयोग करने वालों की संख्या में तेज वृद्धि और इंटरनेट चार्जेज में कमी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई है. वर्तमान में पचास करोड़ से ज्यादा भारतीय संपूर्ण देश में इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं. हां, समाज और सरकार का रुख भी इस मामले में उत्साहवर्धक रहा है. हाल ही में नैसकॉम के टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि कहा कि इस समय दुनिया भारत की तरफ अधिक भरोसे और उम्मीद से देख रही है. कोरोना महामारी के इस दौर में  भारत के ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी ने न केवल खुद को साबित किया है बल्कि खुद को इवॉल्व भी किया है. ऐसे में स्टार्टअप को ऐसे इंस्टीट्यूशंस का निर्माण करना चाहिए जो ऐसे विश्व स्तरीय उत्पाद तैयार करे  जो उत्कृष्टता  के मामले में एक बेहतर मानक स्थापित कर सके.


बहरहाल, देश में स्टार्टअप के क्षेत्र में कदम रखने वाले युवाओं के लिए निम्नलिखित पॉइंट्स पर ध्यान देना फायदेमंद साबित होगा. 

 
आइडिया है अहम: यहां आइडिया बहुत अहम होता है. सचमुच इनोवेटिव और क्रिएटिव आईडिया सबको आकर्षित करते है. लेकिन यह भी सच है कि आईडिया में इस आकर्षण  के साथ-साथ इसकी टेक्निकल फिजिबिलिटी यानी इसे जमीन पर उतारना संभव है या नहीं, इसकी स्पष्ट व्याख्या   होनी चाहिए. इतना ही नहीं, प्रस्तावित प्रोजेक्ट की इकनोमिक वायबिलिटी को जांचना भी जरुरी  है. कहने का साफ़ मतलब यह कि आपके प्रोजेक्ट को वास्तव में खड़ा करना न केवल तकनीकी रूप से मुमकिन हो, बल्कि वह आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद भी हो. 


प्रोजेक्ट से आपका लगाव:  कई बार यह बात सामने आती है कि प्रोजेक्ट तो प्रथम दृष्टया ठीक है, लेकिन आपका उससे कोई लगाव नहीं है या यह आपके पैशन का हिस्सा नहीं है. प्रोजेक्ट रिपोर्ट आदि आपने किसी मिलते-जुलते सफल प्रोजेक्ट को देखकर तैयार कर लिया है या करवा लिया है. लिहाजा आपका ऐसे सेक्टर के किसी प्रोजेक्ट से वास्तविक जुडाव या उसका अनुभव नहीं है. इससे प्रोजेक्ट की निरंतरता और दीर्घकालिक सफलता संदिग्ध हो जाती है.  


प्रोजेक्ट की खूबियां व खामियां: कहते हैं जो भी प्रोजेक्ट आप स्टार्ट करना चाहते हैं उसके विषय में पूरी जानकारी - छोटी या बड़ी सब आपको होनी चाहिए. कहीं और कभी भी प्रोजेक्ट के प्रेजेंटेशन में उसकी खूबियों और खामियों को स्पष्ट रूप से लोगों को बताना आपको मार्केट में एक अच्छी पहचान दे सकता है. इसके अनेक फायदे हैं. प्रोजेक्ट को संचालित करने में जिनकी प्रमुख भूमिका हो, उनके प्रोफाइल स्ट्रांग और पारदर्शी होना भी जरुरी है, जिससे शुरुआत में इन्वेस्टर या बैंक को कन्विंस करना आसान हो जाए. ऐसे इसका बहुआयामी फायदा प्रोजेक्ट को आगे भी बराबर मिलता रहता है.  


जमीनी हकीकत से परिचित होना जरुरी: इस सम्बन्ध में प्रोजेक्ट को 3-सी यानी  कैपेसिटी, कैपिटल और करैक्टर के चिर स्थापित फार्मूला के कसौटी पर परखना लाजिमी है. कहने का अभिप्राय यह कि आपकी क्षमता क्या है, आपके पास कैपिटल जुटाने के क्या-क्या विकल्प हैं और प्रोजेक्ट को सफल बनाने के पीछे आपकी योजना और सोच क्या है? इसके साथ ही प्रोजेक्ट के सामने उपस्थित और संभावित अवसरों और जोखिमों का विस्तृत आकलन -विश्लेषण करना अनिवार्य है. अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज के मामले में मार्केट में डिमांड-सप्लाई और प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति से अवगत होना भी अच्छा होता है. इस क्रम में आपको मोटे तौर पर जमीनी हकीकत से परिचित होने का सुअवसर मिलता है. 

 
कानूनी पहलुओं को जानें: प्रोजेक्ट से संबंधित सभी छोटे-बड़े कानूनी पहलुओं को अच्छी तरह जानना अनिवार्य है जिससे कि प्रोजेक्ट शुरू करने से लेकर उसके सफल परिचालन तक सभी कानूनी शर्तों का कंप्लायंस समय से हो सके. जहां पेटेंट आदि करवाना जरुरी है, वहां उस प्रोसेस को फॉलो करें, अन्यथा बाद में बहुत नुकसान हो सकता है. 

 
चुनौतियों से हार न मानें: इस क्षेत्र में ज्ञात-अज्ञात कई चुनौतियां कभी भी सामने आ सकती हैं. अतः अपनी ओर से तैयारी पूरी रखें और यथासंभव प्रो-एक्टिव हो कर काम करें. चुनौतियों से न  तो घबराएं और न ही कभी उनसे हार मानें. देश-विदेश में जितने भी स्टार्टअप आज सफलता का परचम लहरा रहें हैं, कमोबेश उन सभी को इसी परिस्थिति से गुजरना पड़ा है. यहां स्वामी विवेकानंद के इस अनमोल विचार को हमेशा याद रखें कि "जब किसी दिन आपके सामने कोई समस्या ना आये, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं." इससे आपका आत्मबल स्ट्रांग बना रहेगा और अंततः आप "हार के आगे जीत है" जैसे कथन को वाकई चरितार्थ कर पायेंगे. 

 (hellomilansinha@gmail.com)


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               "दैनिक जागरण" के राष्ट्रीय संस्करण में 17 जुलाई, 2021 को प्रकाशित   

#For Motivational Articles in English, pl.visit my site : www.milanksinha.com

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