Tuesday, July 6, 2021

अच्छी सोच का कमाल

                         - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट

सम्प्रति देश के कई महानगरों सहित अन्य अनेक स्थानों पर कोविड-19 संक्रमण के एक और बड़े दौर में आशंका, चिंता व भय का माहौल बना हुआ है. बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं भी  हैरान, परेशान और थोड़े तनावग्रस्त हैं, पर निराश या हताश नहीं हैं. दरअसल वे ज्ञानीजनों और मनोवैज्ञानिकों की इस मान्यता से सहमत हैं कि ऐसी परिस्थिति में अच्छी सोच के साथ जीना आसान हो जाता है. ऐसे स्वामी विवेकानंद सहित कई महान लोगों ने भी अलग-अलग शब्दों में साफ़ तौर पर यह कहा है कि "जैसा तुम सोचते हो, घीरे-धीरे वैसा ही बनने लगते हो. यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे." आइए जानते हैं अच्छी सोच के कुछ अहम फायदों के बारे में.

 
आत्मविश्वास में वृद्धि: सोच से आत्मविश्वास का गहरा ताल्लुक है. कहते हैं न कि मन के हारे हार, मन के जीते जीत. "हम कर सकते हैं और हम करेंगे" का भाव अच्छी  सोच का परिणाम होता है. इसके विपरीत सोच का असर भी हम अपने आसपास रोजाना देखते हैं, जिसका भाव वही चिरपरिचित "हम नहीं कर सकते और हम नहीं करेंगे" होता है. रोचक बात है कि सही सोच के कारण जैसे ही हम अभीष्ट कार्य को करने का फैसला करते हैं, हमारा तन और मन उसमें स्वतः संलिप्त हो जाता है और  हमारे आत्मविश्वास में स्वतः वृद्धि होने लगती है. ज्ञानीजन कहते हैं कि आत्मविश्वास को साथी बनाकर चलनेवाले विद्यार्थी न केवल बेहतर अध्ययन कर पाते हैं और ज्यादा सफल होते हैं, बल्कि जीवन को बेहतर ढ़ंग से एन्जॉय भी करते हैं. 


कार्य क्षमता में सुधार: कहते हैं अच्छी सोच का व्यापक और बहुआयामी असर हमारी कार्यशैली और कार्य क्षमता पर पड़ता है. "अच्छा करेंगे तो परिणाम अच्छा होगा" की सोच के कारण हम एक प्रभावी कार्ययोजना बनाने और उसे अमल में लाने को प्रेरित होते हैं. इससे अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर तेज गति से बढ़ना संभव होता है. अगर हम खुद इस तरह कार्य को संपादित कर पाते है तो हमारी प्रोडक्टिविटी और सक्सेस में बड़ा उछाल दर्ज होता है. इससे अच्छी सोच के प्रति हमारा जुड़ाव और भी स्ट्रांग हो जाता है और हम एक्सीलेंस यानी उत्कृष्टता की यात्रा में निरंतर अग्रसर होते रहते हैं. 


बेहतर स्वास्थ्य:  महात्मा बुद्ध का कहना है कि "अच्छी सेहत के बिना जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है - मौत की छवि है. अतः तन और मन दोनों को अच्छी सेहत में रखना हमारा कर्तव्य है."  चिकित्सा वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दोनों मानते और कहते रहे हैं कि  सोच का गंभीर और दूरगामी असर हमारे इमोशनल-मेंटल हेल्थ के साथ-साथ फिजिकल हेल्थ पर पड़ता है. हम सभी जानते हैं कि मानसिक तनाव से पीड़ित होने और रहनेवालों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है और उसके कारण विभिन्न रोगों के चपेट में आनेवाले लोगों की संख्या भी. अच्छी सोच के कारण हमारे लिए दैनंदिन जीवन में आनेवाले तनाव का प्रबंधन आसान हो जाता है. परिणामस्वरूप हमारा मेटाबोलिज्म बेहतर ढंग से काम कर पाता है. इससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहता है और हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है. इसके समेकित पॉजिटिव प्रभाव  से हमारे  लिए  कोविड-19 के संक्रमण के अलावे अनिद्रा, सिरदर्द, माइग्रेन, डिप्रेशन से लेकर ह्रदय रोग, मधुमेह, कैंसर आदि रोगों से बचे रहना बहुत आसान हो जाता है.  


खुशी में इजाफा: जीवन में सबसे अहम है खुशी और अच्छी सोच से खुशी का गहरा संबंध है. यह सच है कि हम जो करना चाहते हैं, उसे अगर उसी तरह कर पाते हैं और तदनुरूप परिणाम भी मिलता है, जो कि अधिकांश मामले में पाया जाता है, तो हमें बहुत ख़ुशी मिलती है. यदि असफल भी हुए  तो हायतौबा मचाने के बजाय उसका निरपेक्ष विश्लेषण करते हैं, और ज्यादा मेहनत  करने का संकल्प लेते हैं और उस क्षण को न भूलने के लिए कदाचित उसे सेलिब्रेट भी करते हैं. स्वाभाविक रूप से ऐसे विद्यार्थियों की खुशी दूसरों तक किसी-न-किसी रूप से संप्रेषित  भी होती है. किसी शैक्षणिक संस्थान में जब छात्र-छात्राएं इस तरह अपनी अच्छी सोच को कार्यरूप देकर खुशी का हकदार बनते हैं तो वहाँ सबका मोटिवेशन लेवल कितना ऊंचा रहता है, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है. लोकप्रिय अमेरिकी लेखक रिचर्ड बाख़ सही कहते हैं कि खुशी वह पुरस्कार है जो हमारी सोच के अनुरूप सबसे सही जीवन जीने पर हासिल होती है. 

 (hellomilansinha@gmail.com) 

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय पाक्षिक "यथावत" के 16 -31 मई, 2021 अंक में प्रकाशित

#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com 

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