- मिलन सिन्हा
# डॉ. राममनोहर लोहिया के जन्मदिन के अवसर पर
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मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही राममनोहर लोहिया अपने पिता श्री हीरालाल लोहिया के साथ गाँधी जी से पहली बार मिले थे. पिता तो गाँधी भक्त थे ही, पुत्र भी प्रथम दर्शन में ही प्रभावित हुए. फिर तो लोहिया जी ने अपनी शक्ति और बुद्धि के अनुसार राजनीति में प्रवेश के अपने प्रथम चरण में बी. ए. पास करने तक देश में गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई. उसके बाद बर्लिन में अपने शोधकार्य के दौरान भी उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण अवसरों पर गाँधी जी के कार्यक्रमों एवं देश में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम के औचित्य की सशक्त वकालत की. गाँधी जी के प्रति उनकी श्रद्धा एवं उनके कार्यक्रमों के प्रति उनकी आस्था का इससे अच्छा और क्या प्रमाण होगा कि लोहिया जी ने 'नमक और सत्याग्रह' विषय पर वर्ष 1932 में अपना शोध प्रबंध पूरा कर बर्लिन विश्वविद्द्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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