- मिलन सिन्हा
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए. सुबह से देश-प्रदेश के ढेर सारे न्यूज़ चैनल्स (मूलतः राजनीतिक न्यूज़ को समर्पित) लगातार रुझान और फिर परिणाम पर घनघोर चर्चा कर रहे हैं, नेताओं -पत्रकारों के विचार ले रहे हैं. यह सिलसिला अभी जारी रहेगा, कुछ कम -ज्यादा तीव्रता के साथ जब तक इन राज्यों में नई सरकार स्थापित नहीं हो जाती.
दीगर बात है कि चुनाव परिणाम आने से पहले तक सभी बड़ी पार्टियां अपने-अपने जीत का दवा करती हैं. फिर चुनाव परिणाम आने के बाद हार -जीत के हिसाब से उनके नेताओं का बयान -स्पष्टीकरण भी आ जाता है - ज्यादातर तर्क व तथ्य से परे. एक-दो बानगी देखिए:
22 करोड़ की आबादी वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के 403 सीटों में से भाजपा ने 312 सीटों पर विजय प्राप्त की है, लेकिन बसपा की नेता मायावती जी कहती हैं कि ऐसा इवीएम (वोटिंग मशीन) में छेड़छाड़ करके किया गया यानी उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और उनके अधीन काम करने वाला प्रशासन सत्तारूढ़ पार्टी और बसपा को चुनाव में हराने के लिए वोटिंग मशीन के साथ छेड़छाड़ करता रहा और खुद मुख्यमंत्री तथा निर्वाचन आयोग मूक दर्शक बना रहा.....
2. सपा सरकार और निवर्तमान मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश जी कहते है कि प्रदेश के मतदाता बहकावे में आ गए यानी कल तक जो मतदाता समझदार था, "हाथ" से हाथ मिला रहा था और "साइकिल" की सवारी करने को प्रतिबद्ध था, मतदान के दिन बहक गया, नासमझ हो गया. ...
उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से आज सुबह तक सोशल मीडिया या न्यूज़ चैनल्स या समाचार पत्रों में आये ज्यादातर हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकारों व संपादकों (कुछ पूर्व संपादकों जो अपने अतीतगान में लगे रहते हैं, सोशल मीडिया पर रोज न जाने क्या-क्या लिखते रहते हैं) के विचारों-रपटों पर गौर कर लें, तो आपको उनके Intellectual dishonesty का अंदाजा लग जाएगा. शायद यही कारण रहा कि पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा करने व वहां के मतदाताओं का मिजाज समझने का दावा करने के बावजूद ये लोग भाजपा के इस अभूतपूर्व जीत का संकेत तक नहीं दे पाए. ऐसे लोग खुद को समाचार जगत के नामचीन प्रतिनिधि तो बताते रहते हैं, लेकिन क्या इनका आचरण सम-आचार के बुनियादी सिद्धांत के अनुरूप है ? Either they fail to see the obvious or reporting otherwise even by seeing the truth or knowing the real fact.
इसे आप क्या कहेंगे ?
अंत में एक छोटा-सा तथ्य आपके विचारार्थ व आपके निरपेक्ष मंतव्य हेतु :
इन पांच राज्यों में हुए चुनाव में कुल 690 सीटों, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में 403 हैं, के लिए चुनाव हुए और इनमें से सिर्फ भाजपा ने अकेले करीब 406 सीटों (58 .84%) पर जीत हासिल की, जब कि भाजपा ने सभी 690 सीटों पर चुनाव नहीं लड़े. एक बात और. पहले भाजपा को इन राज्यों में मात्र 110 सीटें हासिल थी.
....इसे आप किसी भी पार्टी के लिए कैसी उपलब्धि मानते हैं?
(hellomilansinha@gmail.com)
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और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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