Sunday, September 15, 2013

आज की कविता :व्यस्त- मदमस्त

                                                             - मिलन सिन्हा
पेड़ के शिखर पर बैठा
अपने में व्यस्त
पूर्णतः मदमस्त  
एक बगुला दूध -सफ़ेद
जो जानता - समझता
हर खेल का भेद
झट खोज लेता 
हर कानून में छेद 
फिर जुट जाता 
करने काले को सफ़ेद 
क्या करता है
आपको  कुछ संकेत ?
जरा सोचिये,
वह पेड़ नहीं
राजनीति है, राजनीति।
और वह दूध -सफ़ेद बगुला ?
समझ गए न !

                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित

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