Sunday, March 10, 2013

आज की कविता : कामना

                                                                                          - मिलन सिन्हा 
कामना 
झूमते-गाते 
हरे-भरे पेड़ 
उड़ते,फुदकते, चहकते पक्षी 
खेलते,कूदते, पढ़ते बच्चे 
हंसती, गाती, नाचती,पढ़ती लड़कियां 
खेलते,पढ़ते उत्साही, जोशीले लड़के 
हरियाली के बीच किसान 
सीमा पर चौकस जवान 
पैदल/साइकिल पर चलते नेता 
व्यस्त बाबू 
जवाबदेह अधिकारी 
वीरान थाना 
तीन शिफ्टोंवाला कारखाना
धकमपेल रहित रेल 
मिलावट रहित तेल 
राजनीति  रहित खेल 
खाली-खाली सा हो जेल 
सबको मिले सामान शिक्षा 
बच्चों में जगे पढ़ने  की इच्छा 
विद्यार्थी से भरे विद्यालय 
साफ़-सुथरे चिकित्सालय 
प्रशासन में रहे कठोर अनुशासन 
न बन सके कोई दु:शासन  
कर्म से बने पहचान 
सबके पास हो 
रोटी, कपड़ा और मकान 
सब रहें साथ-साथ 
सब बढ़ें साथ-साथ 
ऐसे  ही और कुछ।
जब हो ऐसा  कोई देश/ प्रदेश 
तो 
क्यों भागें लोग परदेश !

                             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं                              

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