Monday, March 4, 2013

आज की कविता : देश का बजट


                                            - मिलन सिन्हा 


फिर पेश हुआ 
देश का बजट।

चल भाई हट 
मत कर 
खटपट 
करें काम 
झटपट 
क्यों करें 
हम अपना 
समय नष्ट 

फिर पेश हुआ 

देश का बजट। 

किसको मिला लाभ 

हमें न बता 
किसको होगी  हानि 
हमें है पता 
गरीबों की 
नहीं कोई खता 
फिर भी बढ़ेगा 
उनका  कष्ट 


फिर पेश हुआ 
देश का बजट। 

लाखों - करोड़ों का 

है लेखा -जोखा 
विश्लेषक बतायेंगे 
किसे मिला मौका 
किसके साथ हुआ 
फिर से  धोखा 
जो भी हो, सुखी रहेंगे 
हैं जो देश में भ्रष्ट 


फिर पेश हुआ 
देश का बजट। 

# प्रवक्ता . कॉम  पर प्रकाशित 

                      और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
                                     

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