- मिलन सिन्हा
अभी -अभी स्कॉटलैंड के ग्लास्गो 20 वें राष्ट्र मंडल खेलों का समापन हुआ जिसमें हमारे देश के खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में 15 स्वर्ण पदक सहित कुल 64 पदक प्राप्त कर मेडल तालिका में पांचवा स्थान हासिल किया, जब कि इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और स्कॉटलैंड क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे । संसद के दोनों सदनों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की गयी । 2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत 101 पदक के साथ दूसरे स्थान पर था । जनसंख्या के लिहाज से पदक तालिका में पहले चार स्थान पर रहे देशों की कुल आबादी हमसे 110 करोड़ कम है, लेकिन पदकों की संख्या हमसे करीब सात गुनी ज्यादा । यह विश्व के सबसे बड़े युवा आबादीवाले हमारे देश के लिए विचारणीय विषय है । ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि देश के मात्र दस फीसदी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के लिए खेल का मैदान है। ऐसा तब जब हम सभी जानते हैं कि खेलकूद का हमारे बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास में कितना सकारात्मक योगदान रहता है।योजना,कार्यन्वयन,समय प्रबंधन,टीम वर्क जैसे अहम नेतृत्व क्षमताओं को विकसित करने का अवसर खेल के मैदान में अनायास ही मिल जाता है । बच्चों को सामजिक, नैतिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से मजबूत एवं परिपक्व बनाने में इसका कोई जोड़ नहीं । संसार के प्रसिद्ध खिलाड़ियों ने इस बात को सार्वजनिक रूप से रेखांकित किया है । देखिये न, पटना में चल रहे पहली प्रो -कबड्डी लीग मैच के प्रति खिलाड़ियों के साथ -साथ दर्शकों और खेल प्रेमियों में कितना उत्साह और उमंग है । हमारे गांव-देहात,टोले-मोहल्ले के करोड़ों बच्चों एवं युवाओं के बीच लोकप्रिय ऐसे शुद्ध देशी व कम खर्चीले खेलों का आयोजन खेलकूद से जुड़े रहने की हमारी नैसर्गिक इच्छा का ही तो द्योतक है ।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
अभी -अभी स्कॉटलैंड के ग्लास्गो 20 वें राष्ट्र मंडल खेलों का समापन हुआ जिसमें हमारे देश के खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में 15 स्वर्ण पदक सहित कुल 64 पदक प्राप्त कर मेडल तालिका में पांचवा स्थान हासिल किया, जब कि इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और स्कॉटलैंड क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे । संसद के दोनों सदनों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की गयी । 2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत 101 पदक के साथ दूसरे स्थान पर था । जनसंख्या के लिहाज से पदक तालिका में पहले चार स्थान पर रहे देशों की कुल आबादी हमसे 110 करोड़ कम है, लेकिन पदकों की संख्या हमसे करीब सात गुनी ज्यादा । यह विश्व के सबसे बड़े युवा आबादीवाले हमारे देश के लिए विचारणीय विषय है । ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि देश के मात्र दस फीसदी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के लिए खेल का मैदान है। ऐसा तब जब हम सभी जानते हैं कि खेलकूद का हमारे बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास में कितना सकारात्मक योगदान रहता है।योजना,कार्यन्वयन,समय प्रबंधन,टीम वर्क जैसे अहम नेतृत्व क्षमताओं को विकसित करने का अवसर खेल के मैदान में अनायास ही मिल जाता है । बच्चों को सामजिक, नैतिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से मजबूत एवं परिपक्व बनाने में इसका कोई जोड़ नहीं । संसार के प्रसिद्ध खिलाड़ियों ने इस बात को सार्वजनिक रूप से रेखांकित किया है । देखिये न, पटना में चल रहे पहली प्रो -कबड्डी लीग मैच के प्रति खिलाड़ियों के साथ -साथ दर्शकों और खेल प्रेमियों में कितना उत्साह और उमंग है । हमारे गांव-देहात,टोले-मोहल्ले के करोड़ों बच्चों एवं युवाओं के बीच लोकप्रिय ऐसे शुद्ध देशी व कम खर्चीले खेलों का आयोजन खेलकूद से जुड़े रहने की हमारी नैसर्गिक इच्छा का ही तो द्योतक है ।
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