- मिलन सिन्हा
यदयपि वोटिंग प्रतिशत कम होने से सामन्यतः चुनाव परिणाम के आकलन व अनुमान गड्डमड्ड हो जाते हैं, तथापि बिहार विधानसभा की दस सीटों के लिए हुए उप चुनाव के परिणाम अनुमान के अनुरूप हैं क्यों कि ये उपचुनाव स्थानीय मुद्दों और जातीय आधार पर लड़े गए। ऐसे, उम्मीदवारों के व्यक्तिगत प्रभाव एवं दसों सीटों पर हार-जीत के पैटर्न में हुए उलट-पुलट के गहन विश्लेषण के पश्चात हम अनेक दिलचस्प तथ्यों से वाकिफ हो पायेंगे।
प्रत्याशा के अनुरूप दोनों गठबंधन के नेता -प्रवक्ता दलगत आधार पर नतीजों की राजनीतिक व्याख्या कर रहे हैं। फिर भी, सिर्फ परिणामों के सन्दर्भ में कहें तो जहां यह राजद -जदयू -कांग्रेस महागठबंधन के लिये हर्ष व उत्साह का विषय है, वहीं भाजपा गठबंधन के लिये चिंतन और चुनौती का । सच तो यह है कि इस उपचुनाव के जरिये लालू प्रसाद ने 'जो चाहा, वो पाया' का मुकाम हासिल कर लिया। महागठबंधन की राजनीति में आनेवाले दिन इसे साबित करेंगे।
बहरहाल, अगले वर्ष जब विधान सभा के चुनाव होंगे तब भी परिणाम इसी उपचुनाव के ट्रेंड को दोहरायेंगे, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी । कारण करीब एक साल के इस अंतराल में बिहार की राजनीति में, खासकर राजद -जदयू -कांग्रेस महागठबंधन के सन्दर्भ में, सब कुछ वैसा ही होगा जैसा आज हो रहा है, यह कोई नहीं कह सकता। वैसे भी संभावनाओं के इस अदभुत खेल में उपचुनावों के परिणाम न तो पूरे प्रदेश की जनता के मूड का बैरोमीटर होते हैं और न ही सुदूर भविष्य में होनेवाले विधानसभा या लोकसभा के चुनाव परिणाम के दिशा सूचक।
भाजपा गठबंधन के लिये यह संतोष का विषय होना चाहिए है कि नरेन्द्र मोदी लहर के बिना, किन्तु तमाम अंदरुनी खींचतान तथा विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों के मजबूत जातीय घेराबंदी के बावजूद उन्होंने चार सीटें हासिल कर ली। लेकिन, एक बात तो साफ़ है कि भाजपा गठबंधन के लिये मौजूदा रणनीति की बुनियाद पर अगला विधान सभा चुनाव जीतना काफी मुश्किल होगाजो उनका बड़ा लक्ष्य है।
बिहार की मौजूदा सरकार के पिछले 100 दिनों के कामकाज को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अगर यही सरकार अगले चुनाव तक काबिज रह जाती है तो कानून व्यवस्था हो या विकास की गति, सरकार का स्कोर कार्ड शायद ही बेहतर हो पाये। नतीजतन, इसका नुकसान सत्तारूढ़ दल व महागठबंधन को उठाना पड़ेगा। यह भाजपा गठबंधन के लिये बोनस होगा। फिर देखने वाली बात यह भी होगी कि अगले कुछेक महीनों में केन्द्र की मोदी सरकार किस तरह काम करती है। अगर वह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण के अनुरूप कार्य करके दिखा सकें, तो उन अच्छे कार्यों का राजनीतिक व चुनावी लाभ प्रदेश के भाजपा गठबंधन को मिलना स्वाभाविक है। दूसरी ओर अगर चारा घोटाला मामले में आने वाले दिनों में लालू प्रसाद को अदालती फैसलों से लाभ के बदले नुकसान होता है तो इसका दुष्प्रभाव राजद को झेलना पड़ेगा।
कुल मिला कर आने वाले महीने तमाम राजनीतिक बयानबाजी, आरोप -प्रत्यारोप, आयाराम -गयाराम जैसे दृश्यों के गवाह होंगे।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं ।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं ।
# लोकप्रिय हिंदी दैनिक, 'दैनिक भास्कर' में प्रकाशित दिनांक :26.08.2014
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