- मिलन सिन्हा
लो, आ गया फिर चुनाव !
न जाने इस बार
किस -किस की डूबेगी नाव
इसी सोच में पड़े नेतागण
घूमेंगे अब गाँव -गाँव
पहले जहाँ यदा -कदा ही
पड़ते थे उनके पाँव
लो, आ गया फिर चुनाव !
आज जब कि बाजार में
कई चीजों का बना है अभाव
और जो मिल भी रही है
उनका चढ़ा हुआ है भाव
तब हमारे गाँवों - गलियों में
नेताओं का नहीं रहेगा अभाव
लो, आ गया फिर चुनाव !
खेलेंगे हर खेल, चलेंगे हर दांव
बदलते रहेंगे अपना हावभाव
पर चुनाव समाप्त होते ही
बदल जायेगा उनका स्वभाव
और फिर ख़त्म हो जाएगा
जनता से उनका कथित लगाव
लो, आ गया फिर चुनाव !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
लो, आ गया फिर चुनाव !
न जाने इस बार
किस -किस की डूबेगी नाव
इसी सोच में पड़े नेतागण
घूमेंगे अब गाँव -गाँव
पहले जहाँ यदा -कदा ही
पड़ते थे उनके पाँव
लो, आ गया फिर चुनाव !
आज जब कि बाजार में
कई चीजों का बना है अभाव
और जो मिल भी रही है
उनका चढ़ा हुआ है भाव
तब हमारे गाँवों - गलियों में
नेताओं का नहीं रहेगा अभाव
लो, आ गया फिर चुनाव !
खेलेंगे हर खेल, चलेंगे हर दांव
बदलते रहेंगे अपना हावभाव
पर चुनाव समाप्त होते ही
बदल जायेगा उनका स्वभाव
और फिर ख़त्म हो जाएगा
जनता से उनका कथित लगाव
लो, आ गया फिर चुनाव !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
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