- मिलन सिन्हा
विचारणीय सवाल यह है कि 24 घंटे या 1440 मिनट के एक दिन में हम कितना कुछ कर सकते हैं। तो फिर क्यों न इसका एक डायरी नोट बनाएं; पैरेटो के 20/80 के सिद्धांत को फॉलो करें ? सोचिये जरा गंभीरता से कि हम राजनीति या धर्म पर बहस करते हुए अपना कितना समय बिना किसी ठोस व सार्थक नतीजे पर पहुंचे यूँ ही गंवाते रहते हैं; मोबाइल, फेस बुक, इंटरनेट आदि पर हम रोज कितना वक्त गैरजरूरतन व्यतीत कर देते हैं! देखिए, आप भी तो जानते हैं कि खोया हुआ ज्ञान, धन या स्वास्थ्य क्रमशः तीव्र अध्ययन, कठोर श्रम या समुचित चिकित्सा से दोबारा प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु खोया हुआ समय किसी भी तरह दोबारा हासिल करना संभव नहीं है। सो, आज का संदेश : समय में करें निवेश !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# 'प्रभात खबर' के मेरे संडे कॉलम, 'गुड लाइफ' में प्रकाशित
No comments:
Post a Comment