– मिलन सिन्हा
मैनेजर ने बड़े बाबू से पूछा,
ये क्या हाल बना रक्खा है,
टेबुल पर फाइलों का
अंबार लगा रक्खा है ?
क्या बात है,
कुछ कहते क्यों नहीं ?
सर, कहने से क्या लाभ
हमीं अब बदल रहें है
अपना स्टाइल, अपना स्वभाव !
सर, हम जो मर्द हैं न, अर्थात ‘मेल’
परेशां हैं हर हाल में .
आफिस में, घर में
हर मौसम, हर काल में .
आफिस में परेशान हैं हम
फोन,फैक्स और ई-मेल से
तो घर में,
पडोसी, आगंतुक और ‘फी-मेल’ से !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
मैनेजर ने बड़े बाबू से पूछा,
ये क्या हाल बना रक्खा है,
टेबुल पर फाइलों का
अंबार लगा रक्खा है ?
क्या बात है,
कुछ कहते क्यों नहीं ?
सर, कहने से क्या लाभ
हमीं अब बदल रहें है
अपना स्टाइल, अपना स्वभाव !
सर, हम जो मर्द हैं न, अर्थात ‘मेल’
परेशां हैं हर हाल में .
आफिस में, घर में
हर मौसम, हर काल में .
आफिस में परेशान हैं हम
फोन,फैक्स और ई-मेल से
तो घर में,
पडोसी, आगंतुक और ‘फी-मेल’ से !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
No comments:
Post a Comment