Sunday, July 21, 2013

आज की कविता : तारीखें माफ़ करती नहीं

                                      -मिलन सिन्हा 
poverty

सोचनीय विषयों  पर
सोचते नहीं 
वादा जो करते हैं 
वह करते नहीं 
अच्छे  लोगों को 
साथ रखते नहीं 
गलत करने वालों को 
रोकते नहीं 
बड़ी आबादी को 
खाना, कपड़ा  तक नहीं 
गांववालों को 
शौचालय भी नहीं 
बच्चों को जरूरी 
शिक्षा व पोषण तक नहीं 
गरीब, शोषित के प्रति 
वाकई कोई संवेदना नहीं 
अपने  गुरूर में ही जीते हैं 
अपने जमीर की भी सुनते नहीं 
वक्त दस्तक देता है 
फिर भी चेतते नहीं 
सच कहते हैं गुणीजन 
ऐसे नेताओं को 
आम जनता भूलती नहीं 
ऐसे शासकों  को 
तारीखें  माफ़ करती नहीं ! 
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :20.07.2013

                        और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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