Tuesday, July 16, 2013

बाल कविता : बच्चों की कल्पना

                                     -मिलन सिन्हा

village

यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।

बन्दर है,   मदारी  है
पनघट है, फूलों की क्यारी है


खेत  है,   खलिहान है
झूमते पेड़, खुला आसमान  है।

यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।

मदरसा है, पाठशाला है
कोई गोरा, कोई  काला  है
कुश्ती है, कबड्डी है
कोई अव्वल, कोई फिसड्डी है।

यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।

न गम है, न तनाव है
सबका अच्छा स्वभाव है
न  कहीं  कोई  पेंच है
न कहीं कोई दांव  है।

यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।

चिड़ियों  की चहकार है
इधर नदी, उधर पहाड़ है
खुशबू है, संगीत की बहार है
हर ओर  प्यार-ही-प्यार है।

यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :14.07.2013

                       और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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