Friday, July 19, 2013

हास्य व्यंग्य कविताएं : शिष्टाचार, भाईचारा, मौज

                                 -मिलन सिन्हा
bhaichara









शिष्टाचार
माल सब
साफ़ किया
विकास के नाम पर
विनाश किया
भ्रष्टाचार ही
शिष्टाचार है
कहो न प्यार है.

भाईचारा
‘भाईचारा’ का
शानदार नमूना देखिये
घर का चारा खानेवाला
खा रहा अब
‘भाई’ का ‘चारा’ देखिये.

मौज
मिल बाँट कर खाते हैं
रोज मौज  मनाते हैं
नीति हमारी है
बस खाने की
और राजनीति ?
बहाने के बदौलत
शासन  चलाने  की.

# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :19.07.2013

                         और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

No comments:

Post a Comment