-मिलन सिन्हा
संकट
नेताजी से जब
एक पत्रकार ने पूछा ,
महाशय, तेल संकट पर
क्या हैं आपके विचार ?
तो कहा नेताजी ने हँसते हुए,
कहाँ तेल संकट
जो करें सोच विचार .
अरे , हमारे घर तो रोज
हजारों लोग आते हैं
और हमें लगाने के लिए
भर-भर टीन तेल
साथ लाते हैं !
योजना
मंत्री जी ने कहा,
अगले पंच वर्षीय योजना में
गावों से
गरीबी हटायेंगे .
ऐसा लगता है
जैसे कि वे उसे (गरीबी को)
शहर में ले जायेंगे !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :27.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
– मिलन सिन्हा
मैनेजर ने बड़े बाबू से पूछा,
ये क्या हाल बना रक्खा है,
टेबुल पर फाइलों का
अंबार लगा रक्खा है ?
क्या बात है,
कुछ कहते क्यों नहीं ?
सर, कहने से क्या लाभ
हमीं अब बदल रहें है
अपना स्टाइल, अपना स्वभाव !
सर, हम जो मर्द हैं न, अर्थात ‘मेल’
परेशां हैं हर हाल में .
आफिस में, घर में
हर मौसम, हर काल में .
आफिस में परेशान हैं हम
फोन,फैक्स और ई-मेल से
तो घर में,
पडोसी, आगंतुक और ‘फी-मेल’ से !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
मजाक
मंत्री जी ने कहा,
“पांच वर्ष के बाद देश में
कोई भी अनपढ़ नहीं रहेगा।”
अगर सचमुच ऐसा हो पाया
तो सारा देश
उनका आभारी रहेगा।
पर, फिलहाल तो
हमारे अनेक नेताओं /शिक्षकों को
फिर से पढ़ना पड़ेगा,
‘ कुपढ़ ‘ नहीं,
वाकई शिक्षित होना पड़ेगा।
क्यों कि,
शिक्षा को उन्होंने ही
मजाक बनाया है,
देश में कुपढ़ों की संख्या को
बहुत बढ़ाया है।
सच मानिए,
‘ कुपढ़ ‘ होने से तो अच्छा है
अनपढ़ रह जाना,
सिर्फ भाषण देकर नहीं
खुद कमाकर दो रोटी खाना,
दूसरों का हक़ मार कर नहीं,
अपने हक़ का इज्जत पाना,
सही मायने में
आदमी बन पाना !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
सोचनीय विषयों पर
सोचते नहीं
वादा जो करते हैं
वह करते नहीं
अच्छे लोगों को
साथ रखते नहीं
गलत करने वालों को
रोकते नहीं
बड़ी आबादी को
खाना, कपड़ा तक नहीं
गांववालों को
शौचालय भी नहीं
बच्चों को जरूरी
शिक्षा व पोषण तक नहीं
गरीब, शोषित के प्रति
वाकई कोई संवेदना नहीं
अपने गुरूर में ही जीते हैं
अपने जमीर की भी सुनते नहीं
वक्त दस्तक देता है
फिर भी चेतते नहीं
सच कहते हैं गुणीजन
ऐसे नेताओं को
आम जनता भूलती नहीं
ऐसे शासकों को
तारीखें माफ़ करती नहीं !
#
प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :20.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
सफाई
धो डाला
सब धो डाला
घोटाला
सब घोटाला
धो डाला
जो अब भी मुझ पर
कीचड़ उछाले
उसी का मुंह काला !
माफिया
जिसने जनता का
जेब साफ़ किया
उसे बेकदर
तबाह किया
लेकिन जिसे नेताओं ने
अपने साथ किया
उसे बिलकुल
माफ़ किया
वही तो है ‘माफिया’.
# प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :16.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
शिष्टाचार
माल सब
साफ़ किया
विकास के नाम पर
विनाश किया
भ्रष्टाचार ही
शिष्टाचार है
कहो न प्यार है.
भाईचारा
‘भाईचारा’ का
शानदार नमूना देखिये
घर का चारा खानेवाला
खा रहा अब
‘भाई’ का ‘चारा’ देखिये.
मौज
मिल बाँट कर खाते हैं
रोज मौज मनाते हैं
नीति हमारी है
बस खाने की
और राजनीति ?
बहाने के बदौलत
शासन चलाने की.
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :19.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।
बन्दर है, मदारी है
पनघट है, फूलों की क्यारी है
खेत है, खलिहान है
झूमते पेड़, खुला आसमान है।
यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।
मदरसा है, पाठशाला है
कोई गोरा, कोई काला है
कुश्ती है, कबड्डी है
कोई अव्वल, कोई फिसड्डी है।
यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।
न गम है, न तनाव है
सबका अच्छा स्वभाव है
न कहीं कोई पेंच है
न कहीं कोई दांव है।
यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।
चिड़ियों की चहकार है
इधर नदी, उधर पहाड़ है
खुशबू है, संगीत की बहार है
हर ओर प्यार-ही-प्यार है।
यही वह अपना गाँव है
हम बच्चों का गाँव है।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
तुम जो चाहो सब मिल जाये, जरूरी तो नहीं
तुम जो कहो सब ठीक हो, जरूरी तो नहीं।
दूसरों से भी मिलो, उनकी भी बातें सुनो
वो जो कहें सब गलत हो, जरूरी तो नहीं।
सुनता हूँ यह होगा, वह होगा,पर होता नहीं कुछ
जो जैसा कहे, वैसा ही करे, जरूरी तो नहीं।
जिन्दगी के हर मुकाम पे इम्तहान दे रहा है आदमी
इम्तहान के बाद ही परिणाम मालूम हो, जरूरी तो नहीं।
संघर्ष से मत डरो, प्रयास हमेशा तुम करो
हर बार तुम्हें हार ही मिले, जरूरी तो नहीं।
कहते हैं बेवफ़ाई एक फैशन हो गया है आजकल
पर हर कोई यहाँ बेवफ़ा हो, जरूरी तो नहीं।
जनता यहाँ शोषित है, शासक भी है यहाँ शोषक
हर शासक अशोक या अकबर हो, जरूरी तो नहीं।
जानता हूँ ‘मिलन’ का अंजाम जुदाई होता है
पर हर जुदाई गमनाक हो,जरूरी तो नहीं।
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :10.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
मैं, मैं हूँ
तुम, तुम हो
वह भी, वह ही है
यह सत्य है
जानते हैं हम सब
यह सब
पर,
इतना ही
जानना -समझना
क्या
जीवन का लक्ष्य है ?
या
यह भी
जानना-समझना-मानना
कि
कहीं-न-कहीं
एक दूसरे में हैं हम
अन्यथा
वाकई अधूरे हैं हम !
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :03.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
-मिलन सिन्हा
उसने देखा है
गाय और भैसों को
ट्रक और ट्रेक्टर से
ले जाते हुए
उसने देखा है
भेड़ और बकरी को
टैम्पू और तांगे पर
ले जाते हुए
उसने देखा है
मेमने को
बोरे में डाल कर
साइकिल से
ले जाते हुए
उसने देखा है
मुर्गियों को
रिक्शे- ठेले पर
ले जाते हुए
और हर बार
कई कई बार
महसूस किया है
उस दर्द, दहशत,
खौफ, जहालत,
अनिश्चितता, बेबसी …को
जो उस गाय, भैंस, बकरी,
भेड़, मेमने और मुर्गी ने
महसूस किया है
अपनी छोटी सी जिंदगी में !
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प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :01.07.2013
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।