- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
आमतौर पर यह पाया जाता है कि ज्यादातर विद्यार्थी अपेक्षित मेहनत करने के बाद भी अपेक्षित रिजल्ट के हकदार नहीं बन पाते. व्यक्तिगत काउंसलिंग में अनेक विद्यार्थी मुझसे पूछते हैं कि ऐसा क्यों होता है. इस समस्या की गहराई में जाकर विद्यार्थियों से बातचीत करने और फिर उसका विश्लेषण करने पर एक कॉमन बात जो सामने आती है, वह है यादाश्त की समस्या. छात्र-छात्राएं बेशक पढ़ते हैं, पर दो-चार दिन के बाद वह पूर्णतः याद नहीं रहता, कई बार तो बिल्कुल ही याद नहीं रहता. मीडिया में मेमोरी पॉवर को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपायों और प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हम सब अक्सर देखते रहते हैं. सच मानिए, अपनी स्मरण शक्ति को उन्नत करना हर विद्यार्थी के अपने हाथ में है. प्रस्तुत है कुछ आसान उपाय.
पढ़ाई के समय बस पढ़ना: दिनभर में जब-जब पढ़ने बैठें, बस पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित करें. उस समय कोई दूसरा काम न करें. मोबाइल को ऑफ कर दें. जिस विषय के जिस चैप्टर को पढ़ना है, उसके विषय में पहले दो-चार मिनट चिंतन करें और अपने मन को उस टास्क के लिए तैयार करें. कई बार कोई चीज हमें पहली बार पूरी समझ में नहीं आती है. तो यह सोच कर कि यह विषय कठिन है, उसे छोड़ने की गलती न करें. इसके बजाय इस संकल्प के साथ उसे पूरे मनोयोग से दोबारा पढ़ें. आप पायेंगे कि इस बार आपको ज्यादा समझ में आया है. अब उसी संकल्प और मनोयोग से आप जब उसे फिर पढ़ेंगे तो 100 से 90 फीसदी बात पूरी तरह समझ में आ जाएगी. अगर 10 प्रतिशत बात जो किसी कारणवश समझ में नहीं आई तो उसे चिंतन का हिस्सा बनाने के साथ-साथ एक कॉपी में नोट कर लें, जिससे कि बाद में टीचर से आप उसका समाधान पा सकें. जब पूरी बात एक बार अच्छी तरह समझ में आ जाए तो अगले कदम के रूप में उसे लिखने का प्रयास करें. आप पायेंगे कि अच्छी तरह समझने के बावजूद आप उस चैप्टर को सौ फीसदी उसी रूप में नहीं लिख पा रहे हैं, कहीं अटक रहें हैं तो कभी भटक रहे हैं. यह अस्वाभाविक नहीं है. अतः परेशान होने की जरुरत नहीं है. यहां जरुरत है उसे फिर से पढ़ने, समझने और लिखने का अभ्यास करने की. दिलचस्प बात है कि किसी एक विषय को ठीक से याद कर लेने से यह गारंटी नहीं मिल जाती कि हमेशा आपको वह वैसे ही याद रहे. लिहाजा समय-समय पर इसे टेस्ट करके देखना बेहतर होता है. ऐसे भी कहा जाता है कि दिमाग को आप जिस विषय में जितना सक्रिय रखेंगे, वह चीज उतना ज्यादा याद रहेगी. कहने का तात्पर्य यह कि नियमित अभ्यास से बातें हमारे स्मृति में अच्छी तरह बैठ जाती हैं.
सुबह जल्दी उठें और रात में अच्छी तरह सोएं: सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत पॉजिटिव सोच से करें. शरीर को हाइड्रेटेड करें यानी आराम से बैठकर कम-से-कम आधा लीटर पानी पीएं और फिर नित्य क्रिया से निवृत होकर सुबह एक-दो घंटा पढ़ने की आदत डालें. एकाधिक मेडिकल रिसर्च बताते हैं कि सुबह पढ़ी हुई चीजें हमें ज्यादा अच्छी तरह याद रहती हैं. इसके कई कारण हैं, जैसे दिमाग फ्रेश रहता है, शरीर ऊर्जावान, वातावरण अपेक्षाकृत साफ़ और ऑक्सीजनयुक्त आदि. सच तो यह भी है कि सुबह की बेहतर शुरुआत से मन प्रसन्न हो जाता है और आत्मविश्वास व यादाश्त में वृद्धि. इसका पॉजिटिव असर हमारे दिनभर के सभी एक्टिविटी पर पड़ता है. देर रात तक जगकर पढ़ने की आदत मेमोरी को कमजोर करती हैं और शरीर को दुर्बल. अतः रात में जल्दी सोना चाहिए. रात में सात-आठ घंटे की अच्छी नींद मेमोरी पॉवर को उन्नत करने में अहम भूमिका निभाती है. अंग्रेजी के एक प्रसिद्द कहावत का भावार्थ है कि रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने वाले लोग स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान होते हैं.
हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करें: हमारे दिमाग की क्षमता असीमित है, लेकिन सामान्यतः हम उसका बहुत कम उपयोग करते हैं. हम एक कम्फर्ट जोन में रहना पसंद करते हैं. अतः अनेक नई चीजें नहीं सीख पाते हैं. पाया गया है कि हम अपने दिमाग को जितना नई चीजों को सीखने में लगायेंगे, दिमाग की सक्रियता उतनी बढ़ेगी और स्मरण शक्ति भी. यह शतरंज जैसा कोई नया खेल हो सकता है या सिलेबस में शामिल कोई नया विषय या शब्द पहेली का नया टास्क या अन्य कोई सकारात्मक विधा. करके देखिए, बहुत लाभ होगा.
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