-मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
मनुष्य की हार तब होती है, जब वह खुद पर यकीन करना छोड़ देता है. वास्तविकता यह है कि आप जैसा दूसरा कोई नहीं है; आप किसी का कॉपी-पेस्ट वर्सन नहीं हैं; आप में असीम क्षमताएं हैं, केवल उनका समुचित दोहन किया जाना शेष है. इस तथ्य को अच्छी तरह जान लें और मान लें तो एक अच्छी शुरुआत स्वतः हो जाएगी. दरअसल अपनी क्षमताओं को जो पहचान लेगा और उसके अनुरूप काम करने लगेगा, सफलता का साथ उसे मिलता रहेगा.
क्षमताओं को उपलब्धियों में तब्दील करने के लिए जरुरी है कि आप जीवन को सजगता से जीएं और इसके हर मिनट का आनंद लें. सदा सीखने की कोशिश करते रहें और खुद को हमेशा युवा ही समझें. ऐसे भी रोचक तथ्य तो यही है कि मनुष्य कभी भी बूढ़ा नहीं होता, सिर्फ उसकी उम्र बढ़ती है. अगर आप खुद को तन-मन से स्वस्थ रखेंगे तो न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा, बल्कि आपका जीवन भी उत्साह, उमंग और आनंद से भर उठेगा.
खुद के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए एक सरल मंत्र है. इसे आजमाकर जरुर देखें. सुबह सो कर उठने के बाद सबसे पहले कुछ पल आईने के सामने खड़े होकर खुद को निहारें और एक प्यारभरी मुस्कान से खुद का अभिवादन करें. इसके बाद खुद से कई बार कहें "आइ एम द बेस्ट", "आई केन एंड आई विल." अर्थात मैं सबसे अच्छा हूँ, मैं कर सकता हूँ और मैं करूंगा. इससे न सिर्फ शरीर में स्फूर्ति महसूस होगी, बल्कि आत्मविश्वास बढेगा और विचार भी बेहतर बनेंगे. दरअसल, मन को जैसा समझाएंगे, मानस भी वैसा बनेगा और व्यक्तित्व भी वैसा ही बनेगा.
एक और दिलचस्प बात. संघर्ष और सफलता दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं और करीब-करीब साथ ही चलते हैं. दुनिया के किसी भी सफलतम व्यक्ति का इतिहास उठाकर अगर हम देखेंगे तो पायेंगे कि उन्होंने जीवन में संघर्ष का मार्ग कभी नहीं छोड़ा और न ही कभी असफलता से घबराए. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि एकाधिक असफलताओं के बाद ही उन्होंने सफलता का स्वाद चखा है. कहने का सीधा अर्थ यह है कि यदि आप असफलता से बिना डरे, संघर्ष का दामन थामे रहे तो सफलता ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकती है. फल मिलने में वक्त लग सकता है, लेकिन मिलता जरूर है.
(hellomilansinha@gmail.com)
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