Wednesday, December 30, 2020

वेलनेस पॉइंट: प्रशंसा का मनोविज्ञान

                                     - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस  कंसलटेंट ... ...

अमेरिकी दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स कहते हैं,  “मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा पाने की इच्छा होती है.”
सही है. बच्चे-बूढ़े, राजा-रंक, मालिक-नौकर सबको प्रशंसा अच्छी भी लगती है. मनोवैज्ञानिकों का  कहना  है कि किसी की प्रशंसा करने के लिए हिम्मत चाहिए, निंदा करने के लिए नहीं. सही कार्य के लिए सही समय पर सही प्रशंसा मन को आनंदित कर देता है. इससे प्रशंसा पानेवाले और प्रशंसा करनेवाले दोनों के बीच एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता कायम हो जाता है. आचार्य वेदांत तीर्थ  के अनुसार "प्रशंसा की मीठी अग्नि यमराज के कठोर ह्रदय को भी मोम बना देती है, तभी तो वह अपने भक्त को अमर होने का वर दे देते हैं, यह जानते हुए भी कि इस संसार में कोई अमर नहीं." आइए, प्रशंसा से जुड़े कई अहम आयामों की चर्चा करते हैं.


दीगर बात तो यह है कि
सच्ची एवं समय पर प्रशंसा करना सबके बस की बात नहीं होती है. इसके लिए साफ़ दिल और खुले दिमाग के साथ-साथ आत्मिक बल की आवश्यकता होती है. हर मनुष्य के लिए अपने आत्मिक बल को बढ़ाना सदैव लाभकारी साबित होता है. लिहाजा किसी के भी अच्छे काम  की प्रशंसा करने का कोई अवसर कभी नहीं छोड़ना चाहिए. कहते हैं कि मनुष्य में जो कुछ उत्तम विद्दमान है, सही प्रशंसा और प्रोत्साहन के माध्यम से उसके विकास को गति देना आसान होता है. 

   
सदा यह याद रखें कि वर्कप्लेस में किसी भी व्यक्ति के काम की  प्रशंसा एकांत में या अपने चैम्बर में करने के बदले सार्वजनिक रूप से की जाए तो सबसे अच्छा.
इसका मतलब यह कि अगर ऑफिस में या अन्य किसी वर्कप्लेस में किसी कर्मी ने तारीफ़ योग्य कोई काम किया है तो किसी तय समय में उस ऑफिस के सारे लोगों के सामने उस कर्मी का अभिवादन एवं तारीफ़ करें. इससे उस स्टाफ  के अलावे उनके सहकर्मियों को बढ़िया फील होगा, उन सबमें  अनायास ही बेहतर परफॉरमेंस के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा का संचार भी होगा. 


किसी भी उपलब्धि के लिए आप जब उन्हें बधाई देते हैं -आमने-सामने या टेलीफोन पर या संदेश भेजकर, हमेशा अच्छी तरह बधाई दें. खानापूर्ति न करें. उन्हें यह फील होना चाहिए कि बधाई देनेवाले को उनकी उपलब्धि पर सचमुच ख़ुशी हुई है.
बनावटी बातें न करें. इससे आपकी सही भावना  सही तरीके से नहीं पहुँच सकती हैं. अगर आप खुद मिलकर अपनी भावना का इजहार करना चाहते हैं तो यह सबसे अच्छा होता है, बशर्ते कि आप सहजता और सरलता से उस भावना को प्रदर्शित कर सकें. कई बार अच्छी मंशा से की जाने वाली प्रशंसा भी खुशामद प्रतीत होती है क्योंकि उस प्रक्रिया में अतिरेक का तत्व अनायास ही शामिल हो जाता है. लिहाजा किसी की तारीफ़ करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए. 


प्रशंसा करने में टाल-मटोल करना, बिलंव करना अच्छा नहीं होता.
जैसे बासी खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, उसी प्रकार देर से की जानेवाली प्रशंसा रिश्ते की सेहत के लिए अच्छा साबित नहीं होता. दोस्तों की प्रशंसा उनके पीठ पीछे करने की अहमियत ज्यादा मानी गई है. ऐसा इसलिए कि सांसारिक दुनिया में सिर्फ मुंह पर प्रशंसा करके अपना उल्लू सीधा करना आम होता जा रहा है. 


सामान्यतः हम देखते हैं कि लोग किसी को मात्र खुश करने के मकसद से उनकी तारीफ़ करते हैं जो थोड़े समय के बाद अंततः चापलूसी का रूप ले लेता है. ऐसा तब और भी स्पष्ट साफ़ हो जाता है जब हम किसी के अच्छे काम की तारीफ़ करने के बजाय उस व्यक्ति की यूँ ही तारीफ़ करने लगते हैं. जैसे कि आप जैसा दिलदार आदमी तो हमने अब तक नहीं देखा, आप इतने स्मार्ट कैसे हैं, आपके अंदाज तो वाकई बेमिसाल हैं आदि, आदि. राजनीति में  ऐसी चापलूसी बहुत आम है. जाहिर है, ऐसा स्वार्थवश किया जाता है.
अंग्रेजी के महान कवि जॉन मिल्टन कहते हैं, "प्रशंसा कर्तव्यपरायणता के लिए बाध्य करती है, जब कि चापलूसी कर्तव्यविमुखता की ओर ले जाती है." 


कहने का तात्पर्य यह कि जो भी जब भी कोई अच्छा काम करे और उसे उसके लिए  वाहवाही मिले, प्रशंसा मिले तो निश्चय ही वह और अच्छे काम करने को प्रेरित होगा. इसका सकारात्मक असर उसके परिवार के साथ -साथ पूरे समाज पर पड़ना लाजिमी है.
विश्व विख्यात ब्रिटिश उपन्यासकार चार्ल्स डिकेन्स के जीवन में जो सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट आया वह उस तारीफ़ के कारण था जो उन्हें उनकी पहली कहानी के प्रकाशन के बाद संपादक से मिली. ऐसी अनेक मिसाल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में  दर्ज है. कहना न होगा, प्रशंसा जैसे सरल पर बेहद प्रभावी मनोवैज्ञानिक औजार से अच्छे काम करनेवालों की तादाद में अप्रत्याशित बढ़ोतरी करके किसी भी समाज और देश को बहुत मजबूत बनाया जा सकता है.

 (hellomilansinha@gmail.com)   


            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
# लोकप्रिय अखबार "दैनिक जागरण" में 06.09.2020 को प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

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