Tuesday, April 14, 2020

परीक्षा के दौर में स्ट्रेस को कैसे करें मैनेज?

                             - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के मौसम में छात्र-छात्राओं के तनाव में थोड़ी वृद्धि बिलकुल स्वाभाविक है. यह असामान्य तब होता है जब विद्यार्थी तनावग्रस्त रहने लगे या तनाव उन्हें बराबर परेशान करता रहे और परिणामस्वरूप वे पढ़ाई-लिखाई में फोकस न कर सकें. देखा गया है कि कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जिनका तनाव बढ़ता जाता है, जैसे-जैसे परीक्षा की तिथि नजदीक आती है. तनावग्रस्त रहने के दुष्परिणाम बहुआयामी होते हैं. तो आइए तनाव को मैनेज करने के तरीकों पर थोड़ी चर्चा करते हैं.

परीक्षा के दौर में यह बेहतर होगा कि छात्र-छात्राएं सामान्य दिनचर्या का पालन  करने की कोशिश करें. इतने कम समय में इतना कुछ पढ़ना है, यह सब अब कैसे होगा जैसे नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी न होने दें. अब तक जो नहीं पढ़ पाए हैं, उसकी चिंता छोड़कर जितना पढ़ना है और जिसे पढ़ना जरुरी जान पड़ता है, उन्हें चिन्हित कर बस पढ़ना शुरू कर दें. जो भी बात आपको परेशान कर रही है, उसे दोस्तों के बजाय अपने अभिभावक या शिक्षक को खुल कर बताएं और उनकी सलाह-सुझाव पर अमल करने की कोशिश करें.

आपके दोस्त-सहपाठी क्या कर रहें हैं, क्या–क्या पढ़ रहें हैं, ऐसा सोच–सोच कर न तो अपना दिमाग खराब करें और न ही अपना कीमती वक्त. फ़ोन करके यह सब जानने की कोशिश तो कतई न करें. उचित तो यह होगा कि इस दौरान अपने मोबाइल फ़ोन का उपयोग बहुत जरुरी हो तभी करें. मोबाइल या तो बंद रखें या साइलेंट मोड पर  कर लें. फेस बुक, व्हाट्सएप आदि से इस समय दूर रहना अच्छा. अभी तो बस खुद पर और परीक्षा की अपनी तैयारी पर ध्यान देना सबसे जरुरी है.

जब भी ज्यादा तनाव महसूस हो तो थोड़ा पानी पी लें. रोजाना बढ़िया से स्नान करें. पानी तनाव की तीव्रता को कम कर देगा. ऐसे भी आपका शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, आप उतना ही स्वस्थ रहेंगे. केला, दूध, लेमन टी, डार्क चाकलेट, ड्राई फ्रूट्स, वेजिटेबल सूप आदि  मानसिक तनाव को कम करने में अहम रोल अदा करते हैं. कुछ पल के लिए खुले में निकल आएं और स्वाद लेकर इनमें से किसी चीज का धीरे –घीरे सेवन करें, अच्छा फील करेंगे.

संगीत का साथ  न केवल हमारे व्यक्तित्व में निखार लाता है, बल्कि हमें शारीरिक और मानसिक रूप में स्वस्थ रखने में कारगर भूमिका अदा करता है. मानसिक तनाव से परेशान रहने वाले छात्र-छात्राओं के लिए तो संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है. ज्ञानीजन कहते हैं कि जिनके जीवन में लय,ताल व सुर का बेहतर समन्वय होता है, वे सरलता से अपने कार्यों को संपन्न करने में ज्यादा सक्षम होते हैं. 

जानकार-समझदार लोग भी श्वास की महत्ता को बखूबी समझते हैं और मानसिक तनाव  को कम करने में इसकी प्रभावी भूमिका की तार्किक व्याख्या भी करते हैं. अतः सुबह  15-20 मिनट प्राणायाम और ध्यान करें. अगर समय कम हो तो मिनी मेडीटेशन यानी ध्यान की मुद्रा में 5 मिनट बैठ कर सिर्फ श्वास को आते-जाते देखना भी फायदेमंद होता है. एक बात और. खेलकूद  और  एक्सरसाइज  ऐसे तो सामान्य शारीरिक क्रियाएं हैं, लेकिन इनका असर बहुत व्यापक और सकारात्मक होता है. तनाव के क्षणों में कुछ मिनट का  हल्का व्यायाम तनाव को कम करने में प्रभावी भूमिका निभाता है. 

इस पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है कि हंसी सर्वोत्तम औषधि है. गांधीजी ने हंसी की अमूल्यता की प्रशंसा की है. विशषज्ञों का यह स्पष्ट मत है कि हंसी का समय तनावमुक्त होता है. पूर्व की अपनी उपलब्धियों एवं खुशनुमा क्षणों को याद कर हंस लिया करें. खाने के टेबल पर  परिवार के सदस्यों के साथ जोक्स आदि शेयर करने  से भी आप तनावमुक्त रह सकते हैं. समय मिले तो कुछ देर के लिए ही सही, कॉमेडी फिल्म या टीवी शो देख लें.

सच पूछिये तो नींद प्राणी मात्र की जिन्दगी में सुख का बेहतरीन समय होता है और तनाव मुक्ति  की अचूक दवा. रात में अच्छी नींद का पॉजिटिव असर दिनभर महसूस होता है. आप  दिन भर सक्रिय रहते हैं. अतः रात में जल्दी सोयें और सुबह जल्दी उठें. रात में 7-8 घंटा जरुर सोयें. सच तो यह है कि नींद हमारी जरुरत नहीं, आवश्यकता है. मौका मिले तो दोपहर में भी थोड़ी देर (घंटा भर) सो लें, आप तरोताजा महसूस करेंगे.
(hellomilansinha@gmail.com)

         
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 26.01.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com    

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