Wednesday, February 26, 2020

स्ट्रेस मैनेजमेंट: सब अच्छा होगा, यह सोच कर दें परीक्षा

                           - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ... 
इस समय देश भर में हर उम्र के विद्यार्थी विभिन्न परीक्षाओं के दौर से गुजर रहे हैं. परीक्षा और तनाव के बीच गहरा संबंध रहा है. कारण अनेक हैं.  ऐसे नाजुक समय पर कितना पढ़ा, कितना अभी तक बाकी है, सब कैसे पढ़ पायेंगे, किससे बात करें, किससे पूछें–सलाह लें, अन्य साथी कैसी तैयारी कर रहे हैं, रिजल्ट कैसा होगा जैसे सवाल कमोबेश सभी छात्र-छात्राओं को परेशान करते रहते हैं. शंका, आशंका, अनिश्चितता और डर से छात्र-छात्राएं  अनावश्यक तनाव में रहते हैं. ऐसे में वे अध्ययन में फोकस नहीं कर पाते हैं. जैसे-जैसे परीक्षा की तिथि नजदीक आती है, उनका तनाव बढ़ता जाता है. सब जानते हैं कि तनावग्रस्त रहने के दुष्परिणाम व्यापक तथा बहुआयामी होते हैं. इस दौर में अभिभावक और परिजन भी परेशान और तनाव ग्रस्त रहते हैं. सच कहें तो आजकल परीक्षा सिर्फ विद्यार्थियों का ही नहीं, बल्कि घरवालों की भी परीक्षा लेता है. तो आइए तनाव से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा करते हुए इसे मैनेज करने के तरीकों के बारे में भी जानते हैं.

तनाव के आम लक्षण:  यदि आपका मन आपके काम में नहीं लग रहा है, आप हर समय खुद को थका हुआ महसूस कर रहे हैं और दिमाग में हर समय कुछ ना कुछ नकारात्मक विचार  चलता रहता है, आप बेवजह  क्रोधित या नाराज हो रहे हैं, अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा देर तक बस यूँ ही टीवी देख रहे हैं, अपने दोस्तों तक से मिलने में कतराने लगे हैं या ऐसे ही कुछ अनबुझ कार्यों में शामिल हैं या असामान्य व्यवहार कर रहे हैं तो आप किसी-न-किसी वजह से तनावग्रस्त हैं.

पहले यह जान लेते हैं कि अचानक तनावग्रस्त होने पर तुरत क्या करें: 
  • आंख बंद कर थोड़ा पानी धीरे-धीरे सिप करें. अच्छा फील करेंगे. शरीर को हाइड्रेटेड रखें.   
  • आराम से बैठ कर दो मिनट तक दीर्घ श्वास लें और अपने श्वास को आते-जाते महसूस करें.
  • आराम से बैठकर 20 से शून्य तक उल्टी गिनती करें. अच्छा महसूस हो तो दुबारा करें.
  • अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्ग या अपने किसी अच्छे यानी पॉजिटिव सोचवाले दोस्त से बात करें. 
  • हल्का फ्री हैण्ड एक्सरसाइज करें. 
  • अपना पसंदीदा गाना सुनें या कॉमेडी शो या फिल्म देखें. 
  • घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ थोड़ा समय बिताएं, उनके साथ खेलें 
  • नींद आए तो थोड़ा सो लें. फ्रेश फील करेंगे. 
  • केला, दूध, नींबू चाय, चाकलेट, ड्राई फ्रूट्स, वेजिटेबल सूप आदि  मानसिक तनाव को तुरत कम करने में अहम रोल अदा करते हैं. 
अब तनाव से बचे रहने के बुनियादी तरीके: इसके बहुत से तरीके हैं जिनपर हम एक-एक करके चर्चा करेंगे. देखा जाए तो इन्हें आप लाइफ स्किल के तौर पर किसी भी समय और किसी भी जगह उपयोग में लाकर तनाव को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं और लाइफ एन्जॉय कर सकते हैं.

1. समय प्रबंधन: सबके पास समय सीमित  होता है. रूटीन बनाकर चलें  और अपने समय का पूरा सदुपयोग करें. जस्ट डू योर बेस्ट. स्ट्रेस कम होगा.  सही दिनचर्या या रूटीन का तनाव को मैनेज करने में बड़ी भूमिका है.

2.कैसी हो सुबह की शुरुआत: दिन की शुरुआत आशा और उत्साह के साथ करें ; संकल्प और पूरे सामर्थ्य के साथ करें. सुबह का एक घंटा खुद पर इन्वेस्ट करें – खुद को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्णतः तैयार करने के लिए. 60 मिनट को तीन हिस्से में बांट लें. सुबह जागने के बाद पहले बीस मिनट में पहले आधा लीटर गुनगुना पानी पीएं. फिर शौच आदि से निवृत हो लें. फिर अगले चरण में शरीर की जड़ता को, जो रात भर सोने के कारण स्वभाविक रूप से महसूस होती है, सामान्य व्यायाम से दूर करें. तत्पश्चात अगले बीस मिनट में प्राणायाम और ध्यान का निष्ठापूर्वक अभ्यास कर लें. 

3.योग बहुत लाभकारी: मानसिक तनाव  को कम करने में योग की प्रभावी भूमिका है. सूर्योदय के आसपास शौच आदि से निवृत होकर पहले आसन, फिर प्राणायाम और अंत में ध्यान – इस क्रम में पूरे योगाभ्यास को 30-40 मिनट में भी पूरा किया जा सकता है. 
कुछ देर के सामान्य वार्मअप एक्सरसाइज के बाद पवनमुक्तासन श्रेणी के चार-पांच आसन जैसे ताड़ासन, कटि-चक्रासन, भुजंगासन, शशांकासन, नौकासन नियमित रुप से करें. 
प्राणायाम यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज में अनुलोम-विलोम, कपालभाती, उज्जायी, शीतली और भ्रामरी से शुरू कर सकते हैं. डीप ब्रीदिंग करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और रक्त प्रवाह में भी गुणात्मक सुधार होता है. इसके बाद ध्यान मुद्रा यानी मेडिटेशन में कम-से-कम 5-10 मिनट बैठें. इन क्रियाओं के फलस्वरूप फील गुड और फील हैप्पी होरमोंस का स्राव शुरू होता है. कुल मिलाकर हमारा तनाव बहुत घटता है और हम बेहतर फील करते हैं. कहना न होगा, नियमित योगाभ्यास के जरिए हम निराशा एवं अवसाद (डिप्रेशन) से भी निजात पा सकते हैं.

4.खानपान पौष्टिक हो: सुबह के नाश्ते में क्या खाएं:  पहले एक चम्मच शहद लें. उसके बाद एक छोटी कटोरी भर अंकुरित चना, मूंग आदि के साथ थोड़ा-सा  गुड़, बादाम, किसमिस, अखरोट लें और उसे खूब चबा कर खाएं. नाश्ते में सत्तू , लिट्टी , चूड़ा–दही , रोटी-दाल /हरी सब्जी–सलाद, टोस्ट-ऑमलेट आदि लें. 
दोपहर के खाने में चावल या रोटी के साथ दाल, मौसमी हरी सब्जी, दही, सलाद का सेवन करें. अपने आहार  में मौसमी फलों – केला, पपीता, नारंगी, अमरुद, सेव आदि को भी शामिल करें. 
रात के खाने को सादा एवं सबसे हल्का रखें और  खाना जल्दी खा भी लें. सोने से पहले एक कप / गिलास  गुनगुना दूध पी कर सोयें. 
हाँ, जंक,बाजारू एवं प्रोसेस्ड चीजों से बचने की हरसंभव कोशिश करें. भोज, पार्टी आदि से दूर रहें. परीक्षा के दिन यथासंभव सादा एवं सुपाच्य भोजन करें, मसलन दाल –रोटी, दही –चूड़ा, खिचड़ी  आदि. शरीर को बराबर हाइड्रेटेड रखें, अर्थात पानी पीते रहें.

5.संगीत की अहम् भूमिका: मानसिक तनाव से परेशान रहने वाले लोगों के लिए संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है. तनाव के समय अपना पसंदीदा गाना सुनें. गिटार, बांसुरी या माउथऑर्गन या तबला बजा लें.

6.खेलकूद-व्यायाम या हॉबी: सुबह जल्दी उठकर पानी पीने एवं  शौच से निवृत होने के बाद  5-10 मिनट फ्री हैण्ड एक्सरसाइज कर लें, वार्म-अप हो लें. या फिर 10 -15 मिनट दौड़ लें, साइकिलिंग कर लें  या  स्किपिंग कर लें  या  मैदान या स्टेडियम में कोई गेम खेल लें. इससे आपका मानसिक तनाव बहुत कम हो जाएगा और आप बेहतर फील करेंगे. उसी तरह अगर आपका कोई हॉबी है तो उस काम में थोड़ा समय दें. तनाव से बचे रहेंगे.

7.हंसी का महत्व:  विशषज्ञों का यह स्पष्ट मत है कि हंसी का समय तनावरहित होता है. पूर्व की अपनी उपलब्धियों एवं खुशनुमा क्षणों को याद कर हंस लिया करें. खाने के टेबल पर  परिवार के सदस्यों के साथ जोक्स आदि शेयर करें. करने  से भी आप तनावमुक्त रहते हैं. 

8.अच्छी  नींद है जरुरी: नींद प्राणी मात्र की जिन्दगी में सुख का बेहतरीन समय होता है और तनाव मुक्ति की अचूक दवा. रात में अच्छी नींद का पॉजिटिव असर दिनभर महसूस होता है. आप  दिन भर सक्रिय रहते हैं. अतः रात में जल्दी सोयें और सुबह जल्दी उठें. रात में 7-8 घंटा जरुर सोयें. सच तो यह है कि नींद हमारी जरुरत नहीं, आवश्यकता है. मौका मिले तो दोपहर में भी थोड़ी देर (घंटा भर) सो लें, अच्छा लगेगा. 

9. न तो किसी से अपनी तुलना करें और न ही प्रतिस्पर्धा: हर आदमी अनोखा है. क्षमता का किसी में अभाव नहीं. दृढ़ संकल्प और स्पष्ट लक्ष्य के साथ यथासाध्य कर्मपथ पर बढ़े चलें. अच्छी बातें दूसरों से सीखें जरुर, पर किसी से तुलना न करें. कल से बेहतर आज कैसे परफॉर्म करें, इस पर फोकस करें. प्रतिस्पर्धा के बजाय अनुस्पर्धा करें. परीक्षा के समय यह जानने के बजाय कि दोस्त क्या पढ़ रहे हैं, महान धनुर्धर अर्जुन की तरह बस अपनी तैयारी पर पूरा ध्यान केन्द्रित करें. 

10.लोगों की बात सुनें, काम की बात हो तो ग्रहण करें अन्यथा इग्नोर करें: लोग तो कुछ कहेंगे, लोगों का काम है कहना. फिर भी लोगों की बात शांति से सुन लें. अपने फायदे का कुछ हो तो रख लें, अन्यथा इग्नोर कर आगे बढ़ें. आवेग-उत्तेजना से कोई लाभ नहीं. सिर्फ तनाव बढ़ेगा.

11.मोबाइल और सोशल मीडिया आपके हित के साधन मात्र हैं, आपकी जिंदगी नहीं: इन्हें अपने ज्ञानवर्धन और जरुरी कार्यकलाप को सुगम बनाने के लिए उपयोग करें. परीक्षा के समय मोबाइल का न्यूनतम उपयोग करें. दूसरों को कॉल करके डिस्टर्ब भी न करें. सोशल  मीडिया से इस अवधि में दूर रहेंगे तो अनावश्यक तनाव से बचेंगे. आपका बहुत समय भी बचेगा. इसका उपयोग रिवीजन करने, अहम पॉइंट्स और फार्मूला को याद करने में करें. काफी लाभ होगा.

12.परीक्षा के दिन की तैयारी कैसे करें: हर विषय की परीक्षा से पहली रात को जल्दी सो जाएं, सबेरे उठकर कर सामान्य दिनचर्या पर अमल करें. परीक्षा सेंटर पर समय से थोड़ा पहले पहुंचें. कूल-कूल रहें. प्रश्नपत्र मिलने पर सभी प्रश्नों को पहले अच्छी तरह पढ़ें और हर प्रश्न के उत्तर पर कितने अंक मिलेंगे उस पर ध्यान देकर समय प्रबंधन की रुपरेखा बना लें. इसमें सभी प्रश्नों का जवाब लिखने के बाद अंत में 10-15 मिनट का समय रिवीजन के लिए रखें. अब उन सवालों को हल करते चलें जिन्हें कम समय में कर सकते हैं. जैसे-जैसे आप सवाल हल करते जायेंगे, आपका तनाव कम होता जाएगा और आप बेहतर परफॉर्म कर पायेंगे.

अब कुछ बातें पारिवारिक परिवेश, अभिभावक, शिक्षक तथा हॉस्टल अधीक्षक की. 
1. पारिवारिक परिवेश: एकल परिवार के वर्तमान दौर में घर के परिवेश को हेल्थ और हैप्पीनेस के अनुकूल बनाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. तथापि घर के माहौल को सरल, सहज और आडम्बरहीन बनाए रखने के साथ ही संवाद और आपसी रिश्ते का हमेशा अच्छे बने रहना जरुरी है. परीक्षा के समय तो सबको इसका ख़ास ध्यान रखना है, तभी बच्चों को पढ़ने का तनाव रहित खुशनुमा माहौल मिल पायेगा.

2. अभिभावक की अहम भूमिका: परीक्षा के वक्त वे घर पर रहें. बच्चे बड़ों के सानिद्ध में सुकून महसूस करते हैं. 'मैं हूँ न' वाले  डायलाग से वे आश्वस्त होते हैं. अतः बच्चों को मोटीवेट करते रहें और उनके खानपान का विशेष ध्यान रखें जिससे कि उन्हें स्वस्थ और जीवंत बनाए रखने में आसानी हो. इससे बच्चों का तनाव कम होगा और बच्चे परीक्षा में अच्छा कर पायेंगे.

3. शिक्षकों-हॉस्टल अधीक्षकों का रोल: परीक्षा के समय उनकी  जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. अगर हर विद्यार्थी की हर परेशानी में मदद के लिए बराबर तत्पर रहें तो  बच्चों को तनावमुक्त रखने में बहुत मदद मिलेगी. हॉस्टल में रहनेवाले बच्चों के लिए वे ही पहले अभिभावक हैं. लिहाजा उनके खानपान और उनकी दिनचर्या पर नजर रखना और उन्हें परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए निरंतर प्रोत्साहित करना सबके लिए तनाव रहित एवं सुखकर होगा. (hellomilansinha@gmail.com)
       
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय दैनिक "प्रभात खबर" में 26.02.2020 को प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com 

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