Friday, March 16, 2018

यात्रा के रंग : भारत-चीन सीमा की ओर -6 (अब बाबा मंदिर...)

                                                                                                 - मिलन सिन्हा 

गतांक से आगे ... ...  ड्राईवर गाड़ी बढ़ा चुका था उल्टी दिशा में यानी गंगटोक की ओर. रास्ते में बाबा मंदिर और सोमगो अर्थात छान्गू झील पर भी तो हमें रुकना था. 
बस दस मिनट में हम आ गए बाबा मंदिर,  बीच में एक स्थान पर रुकते हुए. रुकने का सबब यह था कि सड़क के दोनों ओर पहाड़ की तलहटी तक बर्फ फैला था और हम सबों का मन बच्चों की तरह मचल रहा था, बर्फ से खेलने को; फोटो खिचवाने को. बर्फ की बहुत मोटी परत यहां से वहां सफ़ेद मोटे बिछावन की तरह बिछी हुई थी. अदभुत.



चारों ओर बर्फ ही बर्फ. हिमपात जारी था, सो बहुत दूर तक साफ़ देखना कठिन हो रहा था. ठंढ भी उतनी ही. खैर, बच्चों और युवाओं ने तो बहुत धमाचौकड़ी और मस्ती की. बर्फ के बॉल बना-बनाकर एक-दूसरे पर निशाना साधा गया. कुछ लोग पहाड़ पर थोड़े ऊपर तक फिसलते हुए चढ़े भी. सेल्फी का दौर भी खूब चला. बड़े –बुजुर्गों ने भी बर्फ पर बैठकर-लेटकर उस पल का आनंद लिया और कुछ फोटो खिंचवाए, कुछ खींचे भी.तभी हमारी नजर भारत तिब्बत सीमा पुलिस के एक बोर्ड पर पड़ी. लिखा था, “ ताकत वतन की हमसे है, हिम्मत वतन की हमसे है....” सच ही लिखा है. ऐसे कठिन परिस्थिति में अहर्निश देश सेवा वाकई काबिले तारीफ़ है. 


इधर, सड़क किनारे खड़ी गाड़ी में बैठे ड्राईवर हॉर्न बजा-बजा कर हमें जल्दी लौटने का रिमाइंडर देते रहे. सो इन अप्रतिम दृश्यों को आँखों और कैमरे में समेटे हम लौट आये.
  
बाबा मंदिर के पास पार्किंग स्थल पर बड़ी संख्या में सुस्ताते गाड़ियों को देखकर अंदाजा लग गया था कि मंदिर में काफी भीड़ होगी. अब हम मंदिर के बड़े से प्रांगण में आ गए थे. यहां तीन कमरों के समूह में बीच वाले हिस्से में बाबा हरभजन सिंह के मूर्ति स्थापित है और सामने दीवार पर उनका एक फोटो भी लगा है. बगल के एक कमरे में उनसे जुड़ी सामग्री मसलन उनकी वर्दी, कुरता, जूते, बिछावन आदि बहुत तरतीब से रखे गए हैं. पर्यटक और श्रद्धालु  उन्हें श्रद्धा  सुमन अर्पित कर निकल रहे थे. 



वहां से बाहर आते ही हमें सामने पहाड़ के बीचोबीच  शिव जी की एक बड़ी सी सफ़ेद मूर्ति दिखाई दी. दूर से भी बहुत आकर्षक लग रहा था. कुछ लोग पहाड़ी रास्ते से वहां भी पहुंच रहे थे. समयाभाव के कारण हम वहां न जा सके. हमें ड्राईवर दिलीप ने बताया कि सामान्यतः वैसे पर्यटक जिन्हें सिर्फ बाबा मंदिर तक आने का ही परमिट मिलता है, उनके पास थोड़ा ज्यादा वक्त होता है और उनमें से ही कुछ लोग ऊपर शिव जी की मूर्ति तक जाते हैं.   ...आगे जारी.   (hellomilansinha@gmail.com)                                                                                                
                         और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
# साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' में प्रकाशित 
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

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