Monday, August 1, 2016

यात्रा के रंग : गंगटोक शहर की चंद बातें

                                                                                - मिलन  सिन्हा 

...गतांक से आगे ...पहाड़ पर  बसे इस शहर में नीचे से काफी ऊपर तक मकान, दुकान, होटल, ऑफिस आदि कमोबेश ढंग से अवस्थित हैं. यहाँ  आवागमन घुमावदार मार्गों या पैदल सीढ़ियों के मार्फ़त होता है. यहाँ के बाशिंदों के लिए चलना और चढ़ना–उतरना एक ही तरह का काम है. बाजार में पैदल चलने वालों की तादाद अच्छी है.  यहाँ न साइकिल रिक्शा है, न टेम्पो और न ही आम छोटे  शहरों में धुआं छोड़ते मिनी बस. मोटर साइकिल, स्कूटर आदि भी बहुत कम ही दिखे. हाँ, कहीं भी आने-जाने के लिए शेयर और रिज़र्व टैक्सी उपलब्ध है. बोझ ढोने के लिए हर चौक–चौराहे पर मजदूर सुलभ हैं, जो रस्सी के फंदे के सहारे अपने पीठ और कंधे पर न जाने कितनी चीजें लेकर तेजी से चढ़ते –उतरते रहते हैं.

गंगटोक शहर अपेक्षाकृत साफ़–सुथरा है, लेकिन लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाये जाने की अच्छी गुंजाइश तो है ही. मुख्यतः पर्यटन पर आधारित वहां की अर्थ व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए स्वच्छता पर और ज्यादा ध्यान देने की अनिवार्यता से कोई कैसे इन्कार कर सकता है. यूँ  भी देश–विदेश के विभिन्न जगहों और परिवेश से रोज आने वाले हजारों सैलानी शहर को जाने-अनजाने कुछ तो गन्दा करेंगे ही.

गंगटोक में अलग-अलग श्रेणी के अनेक होटल, लॉज, गेस्ट हाउस आदि हैं जहाँ हर आय वर्ग के पर्यटक रुकते हैं. सड़क किनारे खुले में खाने –पीने की चीजें बिकते हुए कम ही नजर आये, बेशक टूरिस्ट स्पॉट्स को छोड़कर. करीब एक लाख के आबादी वाले  इस शहर में लोगों के रहन-सहन में महानगरीय खाई नहीं दिखती.

हमारे होटल के पास ही सिक्किम का पुलिस मुख्यालय था, बिना किसी सुरक्षा तामझाम के और थोड़ी चढ़ाई पर था गंगटोक का प्रसिद्ध शॉपिंग एरिया, महात्मा गांधी मार्ग यानी एम. जी रोड. वहां पहुंचने पर आपको लगेगा कि आप किसी विदेशी पर्यटन केन्द्र के मुख्य बाजार में आ पहुंचे हैं. इस रोड पर हर तरह के वाहन का प्रवेश निषेध है. दायें और बाएं दोनों ओर सड़क रंगीन टाइल्स से बनी है और चकाचक है. दोनों सड़क के बीच के हिस्से में बैठने की व्यवस्था है, जहाँ सैलानी घंटों बैठते हैं और उस स्थान की खूबसूरती और चहल-पहल का आनंद उठाते हैं. यहाँ यह जानना दिलचस्प होगा कि अगर आप महात्मा गांधी की ताम्बे के आदमकद मूर्ति को देखकर यह सोच रहे हों कि वहां के बाजार में सस्ती और सही मूल्य पर चीजें उपलब्ध होंगी  तो आपको निराशा हाथ लग सकती है.


एक बात और. महात्मा गांधी मार्ग पर दर्जनों टूरिस्ट एजेंसी के बोर्ड सहज ही दिखाई पड़ेंगे. उनसे मिलने और कुछ जानकारी लेने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोई निर्णय करने से पहले उक्त मार्ग के प्रवेश छोर पर स्थित सिक्किम सरकार के पर्यटन एवं नागरिक विमानन विभाग द्वारा संचालित ऑफिस में जरुर जाएं. आपको बेहतर जानकारी मिलेगी. इससे आपको सही और गलत का भी पता चलेगा, जो आपके वक्त और पैसे के सदुपयोग के लिए जरुरी भी है, शायद सुरक्षा के लिहाज से भी. ...आगे जारी ...
                                                                    (hellomilansinha@gmail.com)

                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
# साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' में प्रकाशित

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