- मिलन सिन्हा
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
जल का कल ?
‘जल’ ना
तो फिर
‘जलना’ होगा
अंगारों पर
चलना होगा
देती जितना प्रकृति
काफी है
बस उसका
सदुपयोग बाकी है
याद रहे
हर पल
कैसे बचेगा 'कल'
जब न होगा 'जल' !
(विश्व जल दिवस के अवसर पर )और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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