Tuesday, October 14, 2014

आज की कविता : जगत मिलन

                                                                  - मिलन सिन्हा 
adventurer

जगत मिलन 

सख्त चेहरा था उसका 
पत्थर जैसा 
झांक कर देखा अंदर 
बच्चों -सा दिल 
मोम -सा पिघलने लगा 
संकल्प था उसके मन में 
सपना सबका पूरा करूँगा 
मिलन का वातावरण होगा 
हर होंठ पर स्मिति ला दूंगा 
शालीन बनकर साथ रहूँगा। 

                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :07.06.2014

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