Friday, July 26, 2013

हास्य व्यंग्य कविता : परेशान ‘मेल’

                                                 – मिलन सिन्हा 
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मैनेजर  ने बड़े  बाबू से  पूछा,
ये क्या हाल बना  रक्खा है,
टेबुल पर फाइलों का
अंबार लगा रक्खा है ?
क्या बात है,
कुछ  कहते क्यों नहीं ?
सर, कहने से  क्या लाभ
हमीं अब बदल रहें है
अपना स्टाइल, अपना स्वभाव !
सर, हम जो मर्द हैं न, अर्थात ‘मेल’
परेशां  हैं हर हाल में .
आफिस में, घर में
हर मौसम, हर काल में .
आफिस में परेशान हैं हम
फोन,फैक्स और ई-मेल  से
तो घर में,
पडोसी, आगंतुक और ‘फी-मेल’ से ! 

 # प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित

                          और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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