Monday, October 22, 2012

आज की कविता : स्मिति

                                                                        - मिलन  सिन्हा 
एक नन्ही सी लड़की 
मुस्कुराई, 
पेड़ पर  लगे 
फूल को देखकर .
फूल  ने भी किया 
लड़की का अभिवादन 
खिलखिलाकर .
हुए दोनों प्रफुल्लित .
देखकर यह सब 
पेड़ का मन हुआ पुलकित .
फिर,
पेड़ फूलों से भर गया .
विद्वेष की कालिमा लगी मिटने .
सब ओर 
मुस्कुराहट लगी फैलने .
समाज लगा फूलों से सजने .
खुशबुओं से लगा भरने !

प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित

                       और भी बातें करेंगे, चलते-चलतेअसीम शुभकामनाएं

2 comments:

  1. perfect definition of smiti.....Luved it...:)

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    1. प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। आपको मेरी असीम शुभकामनाएं।

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